-केजीएमयू के ट्रॉमा में मरीजों की भर्ती भी चलती है वेटिंग में

-पीजीआई के अपेक्स ट्रॉमा में हमेशा बेड खाली रहते हैं

-पीजीआई ट्रॉमा के मरीज विरोधी नियमों से लोग परेशान

LUCKNOW: केजीएमयू का ट्रॉमा सेंटर तमाम दिक्कतों के बाद भी लोगों की जान बचाने का काम कर रहा है। यहां डेली करीब 250 से 300 मरीज आते हैं, जिनमें से 120 से 150 को ही भर्ती हो पाते हैं। बेड की कमी के चलते बड़ी संख्या में मरीजों को फ‌र्स्ट एड देकर दूसरे अस्पताल भेज दिया जाता है। वहीं दूसरी ओर नियमों की आड़ लेकर पीजीआई ट्रॉमा सेंटर मरीजों का बिना ट्रीटमेंट किए उन्हें सीधे केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर भेज देता है, जबकि वहां बेड खाली रहते हैं।

केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर एक नजर में

- 24 दिसंबर 2003 को हुई थी शुरुआत

- शुरुआत में 150 बेड थे, जो अब बढ़कर 454 हो गए हैं

- करीब एक लाख मरीज हर साल यहां आते हैं

- इनमें से 40 से 50 हजार को ही किया जाता है भर्ती

- हर समय 500 से अधिक मरीज रहते हैं भर्ती

- 4 दिसंबर 2006 को वेंटीलेटर यूनिट की शुरुआत

- मरीजों को फ्री में किया जाता है भर्ती

केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में स्टॉफ

- दो दर्जन से अधिक सीनियर डॉक्टर

- 70 से अधिक रेजीडेंट डॉक्टर

- 200 से अधिक पैरामेडिकल स्टॉफ

- 115 वेंटीलेटर, सभी रहते हैं फुल

इतने स्टॉफ की जरूरत

- 200 से अधिक रेजीडेंट डॉक्टर

- 100 से अधिक फैकल्टी

- 450 से अधिक पैरामेडिकल स्टॉफ

ट्रॉमा के एक दिन के आकड़े

- 20 मरीज रोज भर्ती की वेटिंग में

- 24 घंटे चलती हैं पांच ओटी

- रोज 150 से अधिक सीटी स्कैन

- एक दिन में 500 से अधिक एक्सरे

- डेली करीब 150 से अधिक अल्ट्रासाउंड

- पैथोलॉजी टेस्ट करीब 2,670

अलग से बजट नहीं

- केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर के लिए अलग से कोई बजट नहीं।

- गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल के बजट पर चलता है ट्रॉमा सेंटर।

- डॉक्टर और अन्य स्टाफ भी ट्रॉमा सेंटर के लिए अलग नहीं।

- यहां सेवाएं पीजीआई ट्रॉमा सहित प्रदेश भर में सभी प्राइवेट व सरकार ट्रॉमा सेंटर्स से सस्ती।

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पीजीआई एपेक्स ट्रॉमा खाली

एक तरफ जहां केजीएमयू का ट्रॉमा सेंटर हमेशा फुल रहता है, वहीं वृंदावन कालोनी रायबरेली रोड पर स्थित 60 बेड का अपेक्स ट्रॉमा सेंटर के आधे से ज्यादा बेड हमेशा खाली रहते हैं। यहां नियमों के कारण अति गंभीर हालत में आए मरीजों को भी भर्ती नहीं किया जाता है। जबकि जरूरतमंद मरीजों को फ्री सुविधा देने के लिए सरकार ने 125 करोड़ रुपए एक वर्ष के लिए अलग से बजट दिया है।

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एपेक्स ट्रॉमा एक नजर में

स्टॉफ

37 असिस्टेंट प्रोफेसर पद स्वीकृत

150 सीनियर रेजीडेंट पद स्वीकृत

- 200 पैरामेडिकल तैनात

575 गैर शैक्षणिक पद स्वीकृत

250 रुपए का परचा

बजट-जरूरतमंदों के लिए 125 करोड़

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इसे भी जानें

- 2010 में शुरू हुआ निर्माण

- 2013 में निर्माण कार्य पूरा

- पहली बार केजीएमयू ने अप्रैल 2016 में शुरू किया

- दूसरे बार पीजीआई ने जुलाई 2018 में शुरू किया

- 50 करोड़ की लागत से लगी मशीनें

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पीजीआई ट्रॉमा तब नहीं देता इलाज

- उन्हीं को इलाज जिनका एक्सीडेंट 24 घंटे के अंदर हुआ हो।

- जिनकी सर्जरी कहीं और की गई हो उनका इलाज नहीं।

- लंबे समय से बेहोश मरीजों का भी नहीं करते इलाज।

कोट

ट्रॉमा सेंटर अपनी क्षमता से अधिक मरीजों को भर्ती कर इलाज कर रहा है। राजधानी में ऐसे और भी ट्रॉमा सेंटर शुरू किए जाने चाहिए, ताकि मरीजों को समय से इलाज मिल सके।

डॉ। एसएन शंखवार, केजीएमयू

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पूरे प्रदेश में कितने सरकारी ट्रामा सेंटर

20

35 रुपए था पहले भर्ती शुल्क

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