वाशिंगटन (आईएएनएस)।  न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि सऊदी पत्रकार जमाल खाशोग्गी को इस्तांबुल में स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में प्रवेश करने के सात मिनट बाद मार दिया गया था। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप एर्दोगन के करीबी व्यक्ति ने दूतावास में पत्रकार पर हमला और उनकी मौत की स्पीड के बारे में खुलासा किया और उन्होंने बताया कि वे इन पहलुओं पर फिर से विचार कर रहे हैं। अमेरिकी अखबार के मुताबिक, वाणिज्य दूतावास में प्रवेश करने के बाद दो मिनट के भीतर खाशोग्गी पर हमला हुआ और सिर्फ सात मिनट के अंदर उन्हें मार दिया गया। इसके बाद 22 मिनट में उनके टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए।

दो घंटे में काम खत्म कर वापस लौटे हत्यारे
तुर्की के अधिकारियों ने पहले कहा था कि सऊदी से आए हत्यारों की टीम ने अपना काम खत्म कर दो घंटे से भी कम समय में दूतावास छोड़ दिया था। टाइम्स  के मुताबिक, जिन सऊदी हत्यारों ने पत्रकार का कत्ल किया, उन्होंने लोगों के बीच भ्रम पैदा करने के लिए खाशोग्गी के एक बॉडी डबल का इस्तेमाल किया था। हत्या के बाद उसे पत्रकार के कपड़े पहनाए गए जिससे लगे कि पत्रकार दूतावास से चले गए थे। कुछ समय तक ऐसे ही इस हत्या को छिपाया गया लेकिन बाद में एक जूते ने पोल खोल दी।

नहीं थी प्रिंस को हत्या की जानकारी
तुर्की के अधिकारियों ने सोमवार को सीसीटीवी कैमरे का एक वीडियो फुटेज लीक किया, जिसमें सऊदी वाणिज्य दूतावास के अंदर खाशोग्गी की हत्या के कुछ ही समय बाद उनके जैसा दिखने वाले एक व्यक्ति को इस्तांबुल के गलियों में घुमते हुए देखा गया। गौरतलब है कि शनिवार को, सऊदी अरब के शासक ने पहली बार स्वीकार किया कि उनके एजेंटों ने खशोग्गी को मार दिया। उन्होंने कहा कि सऊदी एजेंट पत्रकार को अपने देश वापस लौटने का अनुरोध कर रहे थे लेकिन इसी बीच दोनों के बीच इस बात को लेकर विवाद हो गया और झगड़े के दौरान जमाल की मौत हो गई । सऊदी अधिकारियों ने यह भी बताया कि देश के शासक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को मिशन की कोई जानकारी नहीं थी और इस हत्या के बारे में उन्हें दो हफ्ते बाद पता चला।

रियाद की आलोचना की थी
गौरतलब है कि 59 वर्षीय अनुभवी पत्रकार, जमाल खाशोग्गी 2 अक्टूबर को इस्तांबुल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में प्रवेश करने के बाद गायब हो गए थे। वे वहां अपने तलाक के दस्तावेजो को लेने के लिए गए थे।जमाल खाशोग्गी सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बड़े आलोचक थे और वे अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट में बतौर कॉंट्रिब्यूटर काम करते थे। बता दें कि जमाल, एक पूर्व सरकारी भी सलाहकार हैं और इन्होंने राजकुमार मोहम्मद की कुछ नीतियों और यमन में हुए युद्ध में रियाद के हस्तक्षेप की आलोचना की थी। वह अपने गिरफ्तारी से बचने के लिए पिछले साल सितंबर से अमेरिका में रह रहे थे।

पूछताछ के दौरान पत्रकार खाशोग्गी की मौत को स्वीकार कर सकता है सऊदी अरब

लापता पत्रकार जमाल खाशोग्गी के मामले में सऊदी अरब के राजा ने तुर्किश राष्ट्रपति से की बात

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