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LUCKNOW: जब सत्ता हाथों में होती है तो वह न केवल राजनेता को बल्कि उनके आशियाने को भी पावरफुल बना देती है। खासकर जब मामला यूपी के ऐसे बड़े राजनेताओं का हो जिन्होंने मुख्यमंत्री पद तक का सफर पूरा किया हो तो उनके बंगलों की रौनक भी जल्दी सुर्खियां बन जाती है। राजधानी में भी राजनेताओं के ऐसे तमाम बंगले हैं जो पिछले चुनाव तक तो काफी गुलजार थे पर इस बार वीरान हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनको अपने बंगले खाली करने पड़े तो उनके अलावा कार्यकर्ताओं को भी निराशा का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके  तमाम कार्यकर्ता आज भी अनजाने में उनके बंगलों के चक्कर काटते दिख जाते है। सूबे की राजनीति के पावर सेंटर बनने वाले इन बंगलों के बारे में पेश है अनुज टंडन की विशेष रिपोर्ट...

दो दशक तक रही रौनक

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के 5 विक्रमादित्य मार्ग स्थित बंगले पर बीते विधानसभा चुनाव तक खासी रौनक थी। आलम यह था कि सपा के प्रदेश मुख्यालय के अलावा मुलायम सिंह के बंगले के बाहर मीडिया और कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा रहता था। सपा में रार के बाद हुई उलटफेर को भांपने के लिए सबकी नजरें इस बंगले पर टिकी रहती थी। लोगों में कौतूहल रहता था कि आखिर कौन सा नेता मुलायम सिंह के पास जाकर अपनी टिकट कंफर्म करा रहा है। अब यह बंगला पूरी तरह उजाड़ हो चुका है पर मुलायम के चाहने वाले आज भी यहां नजर आ जाते हैं। जैसे ही उनको पता चलता है कि वे अब काफी दूर सुल्तानपुर रोड पर रहते हैं तो उनके चेहरे पर मायूसी छा जाती है।

पांच विक्रमादित्य मार्ग

मुलायम सिंह यादव 1989ए 1993 और 2003 में मुख्यमंत्री रहे। मुलायम सीएम पद से हटने के बाद इस बंगले में आए थे।पूर्व सीएम अखिलेश यादव का बंगला इससे जुड़ा हुआ है। इसका समय-समय पर रेनोवेशन भी कराया जाता रहा है। यह बंगला आज वीरान पड़ा हुआ है।

एरिया- 2436 वर्ग मीटर

दलित राजनीति का केंद्र

इसी तरह मॉल एवेन्यू स्थित मायावती का बंगला भी खासे आकर्षक का केंद्र था। बसपा के बड़े कार्यक्रमों में राजधानी आने वाले कार्यकर्ता मायावती के आलीशान बंगले का नजारा लेने भी जाते थे। इस बंगले की भव्यता कुछ ऐसी है कि इसकी एक झलक पाने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती थी। इसे कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल घोषित करने के साथ इसकी देखभाल का जिम्मा सरकार को सौंप दिया गया है। अब इसमें कुछ सुरक्षाकर्मियों के अलावा कोई नजर नहीं आता है। हालांकि मायावती ने पास ही अपना नया बंगला बनवाया है पर जानकारी के अभाव में तमाम कार्यकर्ता वहां नहीं पहुंच पाते है। वहीं मायावती के नाम आवंटित एक दूसरा बंगला अब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को दिया गया है।

13 ए, माल एवेन्यू

मायावती 1995, 1997, 2002 और 2007 में प्रदेश की सीएम रहीं। उन्होंने अपने ढाई एकड़ के आवास में एक सरकारी दफ्तर की ढाई एकड़ भूमि को मिलाकर इसका निर्माण कराया था। उस समय इसके कंस्ट्रक्शन और रिनोवेशन पर 86 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।

एरिया- 2164 वर्ग मीटर

खासियत- बुलेटप्रूफ  खिड़कियां, इटैलियन मार्बल

अब पूरी तरह उजाड़

इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बड़े चाव से मुलायम सिंह यादव के बंगले के बगल वाली कोठी को ही बतौर पूर्व मुख्यमंत्री अपने लिए आवंटित कराया और इसे बेहद आलीशान तरीके से बनवाया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की गाज इस बंगले पर भी गिरी और इसे खाली करना पड़ गया। अब अखिलेश भी सुल्तानपुर रोड स्थित अंसल सिटी में रहते हैं। इस बंगले को लेकर सपा नेताओं और सत्तारुढ़ दल के नेताओं द्वारा आज भी बयानबाजी का सिलसिला जारी है। अखिलेश का आरोप है कि बंगला खाली होने के बाद इसे गंगाजल से धुलवाया गया तो भाजपा नेता आरोप लगाते है कि इस बंगले का सारा सामान निकालकर खाली किया गया था।

चार, विक्रमादित्य मार्ग

अखिलेश यादव 2007 से 2012 तक सीएम रहे। उस दौरान सपा कार्यकर्ताओं के साथ हाईप्रोफाइल लोगों का यहां आना जाना लगा रहा। इसकी बनवाई पर करोड़ों रुपये खर्च हुए थे। आज यह बंगला खाली होकर धूल फांक रहा है।

क्षेत्रफल- 1535 वर्गमीटर

खासियत- अरेबियन एंटीक अंदाज, स्टाइलिश गार्डन

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इन बंगलों का भी नहीं पुरसाहाल

इसी तरह एनडी तिवारी, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह जैसे कद्दावर नेताओं के बंगले अब सूनसान नजर आते है। इन बंगलों से कभी प्रदेश की राजनीति की दशा और दिशा तय होती थी। कई दशकों तक सूबे की राजनीतिक उठापटक के गवाह ये बंगले अब अपने नये मालिक के इंतजार में हैं। उनके चाहने वाले लोग आज भी लखनऊ आने पर इन बंगलों पर जाना नहीं भूलते।

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