कानपुर। एक खास तरह के वायरल इन्फेक्शन के तौर पर फैलने वाले निपाह' वायरस के बारे में कहा जा रहा है कि उसने केरल के कोझिकोड जिले में कई लोगों को मौत की नींद सुला दिया है। हालांकि आज ही आईएएनएस ने नई दिल्ली में एक सीनियर डॉक्टर के हवाले से खबर दी है कि निपाह वायरस को लेकर देश के दूसरे भागों में किसी तरह की पैनिक सिचुएशन नहीं है। क्योंकि देश के उत्तरी राज्यों में इसके फैलने की संभावना नहीं दिख रही है। हालांकि इस बात का दावा करना मुश्किल है कि निपाह वायरस कहीं और नहीं फैलेगा। इसीलिए तो जानना जरूरी है कि यह वायरस है क्या?

फ्रूट बैट द्वारा इंसानों तक पहुंचता है निपाह वायरस

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक निपाह वायरस जानवर और इंसानों में पाई जाने वाली एक नई तरह की संक्रामक बीमारी है। मूल रूप से यह बीमारी एक ऐसे वायरस से होती है जोकि फ्रूट बैट यानि एक प्रजाति के चमगादड़ द्वारा फैलाया जाता है। दिल्ली में सर गंगा राम हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अतुल गोगिया के मुताबिक निपाह वायरस एक तरह का वायरल इन्फेक्शन ही है। जो कि मनुष्य के श्वसन तंत्र और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इस वायरस के अटैक होने पर दूसरे वायरल इन्फेक्शन की तरह सिम्टम्स नजर आते हैं। डॉक्टर के मुताबिक इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है और इंटेंसिव मेडिकल ट्रीटमेंट और केयर द्वारा ही इस पर काबू पाया जा सकता है। गोगिया कहते हैं कि फ्रूट बैट द्वारा फैलाए जाने वाला यह वायरस आसानी से इंसानों तक नहीं पहुंचता। यूं तो यह चमगादड़ जंगलों में ही पाया जाता है लेकिन जबरदस्त शहरीकरण के चलते ही कई बार यह चमगादड़ शहरों में भी मिल जाते हैं। डॉक्टर के मुताबिक निपाह वायरस का इन्फेक्शन नार्थ इंडिया सफेद दिल्ली और आसपास के राज्यों में होने की कोई संभावना नहीं दिखती, क्योंकि यहां पर शहरों में आमतौर पर चमगादड़ नहीं मिलते। कभी कभी यह बीमारी सुअर द्वारा भी फैलती है। हालांकि उन्होंने कहा अगर निपाह वायरस से पीड़ित कोई व्यक्ति देश के एक कोने से दूसरे कोने में चला जाए और इस वायरस का प्रसार कर दे तब यह बीमारी इन जगहों पर भी पहुंच सकती है।

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बीमारी के लक्षण

किसी दूसरे वायरल इंफेक्शन की तरह निपाह वायरस से पीड़ित व्यक्ति को बुखार, सिर दर्द, चक्कर आना जैसे शुरुआती लक्षण महसूस होते हैं और फिर सांस लेने में दिक्कत महसूस हो सकती है। डॉक्टर बताते हैं कि कई बार 1 से 2 दिन के भीतर ही इस बार इसके लक्षण बहुत तेजी से बढ़ते हैं और मरीज कोमा में जा सकता है। अगर सही वक्त पर अगर इलाज ना मिले तो व्यक्ति की मौत हो जाती है।

 

कैसे होगा बचाव?

डॉक्टरों के मुताबिक यह वायरस एक इंसान से दूसरे में या एक जानवर से दूसरे इंसान में फैल सकता है। इसलिए सबसे पहले यह जरूरी है। संक्रमित रोगी से दूरी बनाकर रखी जाए। यानि कि बाकी लोगों से अलग रख कर उसका इलाज किया जाए। इसके अलावा पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए, क्योंकि ये चमगादड या सुअर द्वारा चखे हुए हो सकते हैं।

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