गलियारे से कोई भी आए-जाए
मंदिर में इंट्री के दो रास्ते हैंं। एक मेन गेट है। यहां बाहर तो पुलिस की ड्यूटी लगती है लेकिन मंदिर की बाउंड्री वॉल से लगे स्थित पार्किंग की तरफ जाने वाले रास्ते पर सिक्योरिटी नाम की कोई चीज नजर नहीं आती। यहां कोई भी आराम से वाहन लेकर आ-जा सकता है। एक-दो होमगार्ड के जवान होते भी हैं तो सिर्फ ट्रैफिक क्लीयर कराने के लिए। पार्किंग में खड़ी की गई गाड़ी के भीतर क्या है? इसे जानने का न तो उनके पास कोई संसाधन है और न ही वे इसमें कोई इंट्रेस्ट लेते हैं। इस गलियारे की एक और खास बात यह है कि इसका एक सिरा कंपनी गार्डेन वाले रास्ते पर खुलता है तो दूसरा सिरा लोक सेवा आयोग की तरफ जाने वाले रास्ते पर। यानी एक तरफ से घुसकर आदमी दूसरी तरफ निकल जाए और किसी को इसकी भनक भी नहीं लगेगी.

अंदर लगा है मेटल डिटेक्टर 
ऐसा नहीं है कि पुलिस ने सिविल लाइंस हनुमान मंदिर की सिक्योरिटी का ख्याल नहीं है। पुलिस को पूरा ख्याल है। यही कारण है कि पुलिस ने मंदिर के अंदर कैंपस में एक मेटल डिटेक्टर लगा रखा है। कहने को अंदर जाने वाले व्यक्ति की पूरी चेकिंग होती है। कोई भी गन या आपत्तिजनक वस्तु आप मंदिर के अंदर नहीं ले जा सकता। सुबह-शाम मंदिर के बाद पुलिस की टीम लगती है। ट्यूजडे और सैटरडे को मॉब के कारण पुलिस बढ़ा दी जाती है। लेकिन, ट्यूजडे इवीनिंग आई नेक्स्ट ने विजिट किया तो पता चला कि सिक्योरिटी नाम की कोई चीज नहीं है। जिसका जैसे मन है आ-जा रहा है। कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है.
कई हैं loopholes

मंदिर के सिक्योरिटी अरेंजमेंट्स की जांच में पता चला कि कैंपस में कोई भी श्रद्धालु बन कर आसानी से इंट्री कर सकता है। इसमें कोई परेशानी नहीं है। प्राब्लमेटिक यह है कि मंदिर के पीछे के गेट पर कोई सिक्योरिटी नहीं रहती। कोई भी आसानी से अपनी गाड़ी के साथ कैंपस में एंट्री कर सकता है। कैंपस में बने साइकिल स्टैंड में कोई भी अपनी गाड़ी जमा करके निकल सकता है। स्टैंड में साइकिलें ही ज्यादा खड़ी होती हैं। अब तक की आतंकी घटनाओं का जो ट्रेंड सामने आया है उसके मुताबिक आतंकियों ने विस्फोटक के लिए साइकिल को ही हथियान बनाया है। इस दृष्टि से यह एरिया ज्यादा सेंसिटिव हो जाता है। फूल माला के साथ कोई भी विस्फोटक पदार्थ भगवान को चढ़ा सकता है. 

क्या है Solution 

मंदिर कैंपस की सिक्योरिटी जरूरी है।  सिक्योरिटी की अत्याधुनिक सुविधाओं से इस कैंपस को लैस किया जाना बेहद जरूरी है। मंदिर में कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। कैंपस की परमानेंट सिक्योरिटी के लिए कैंपस को अंडर सर्विलांस करना ही होगा। अगर हर जगह सीसीटीवी कैमरे लग जाए तो सिर्फ एक व्यक्ति कंट्रोल रूम से हर जगह की मानिटरिंग कर सकता है। इस मंदिर के मुखिया सचिदानंद मिश्रा भी सिक्योरिटी से खुश नहीं हैं। कई बार सिक्योरिटी के लिए उन्होंने पुलिस ऑफिसर को अवगत कराया है. 
गलियारे से कोई भी आए-जाए

मंदिर में इंट्री के दो रास्ते हैंं। एक मेन गेट है। यहां बाहर तो पुलिस की ड्यूटी लगती है लेकिन मंदिर की बाउंड्री वॉल से लगे स्थित पार्किंग की तरफ जाने वाले रास्ते पर सिक्योरिटी नाम की कोई चीज नजर नहीं आती। यहां कोई भी आराम से वाहन लेकर आ-जा सकता है। एक-दो होमगार्ड के जवान होते भी हैं तो सिर्फ ट्रैफिक क्लीयर कराने के लिए। पार्किंग में खड़ी की गई गाड़ी के भीतर क्या है? इसे जानने का न तो उनके पास कोई संसाधन है और न ही वे इसमें कोई इंट्रेस्ट लेते हैं। इस गलियारे की एक और खास बात यह है कि इसका एक सिरा कंपनी गार्डेन वाले रास्ते पर खुलता है तो दूसरा सिरा लोक सेवा आयोग की तरफ जाने वाले रास्ते पर। यानी एक तरफ से घुसकर आदमी दूसरी तरफ निकल जाए और किसी को इसकी भनक भी नहीं लगेगी।

अंदर लगा है मेटल डिटेक्टर

ऐसा नहीं है कि पुलिस ने सिविल लाइंस हनुमान मंदिर की सिक्योरिटी का ख्याल नहीं है। पुलिस को पूरा ख्याल है। यही कारण है कि पुलिस ने मंदिर के अंदर कैंपस में एक मेटल डिटेक्टर लगा रखा है। कहने को अंदर जाने वाले व्यक्ति की पूरी चेकिंग होती है। कोई भी गन या आपत्तिजनक वस्तु आप मंदिर के अंदर नहीं ले जा सकता। सुबह-शाम मंदिर के बाद पुलिस की टीम लगती है। ट्यूजडे और सैटरडे को मॉब के कारण पुलिस बढ़ा दी जाती है। लेकिन, ट्यूजडे इवीनिंग आई नेक्स्ट ने विजिट किया तो पता चला कि सिक्योरिटी नाम की कोई चीज नहीं है। जिसका जैसे मन है आ-जा रहा है। कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है।

कई हैं loopholes

मंदिर के सिक्योरिटी अरेंजमेंट्स की जांच में पता चला कि कैंपस में कोई भी श्रद्धालु बन कर आसानी से इंट्री कर सकता है। इसमें कोई परेशानी नहीं है। प्राब्लमेटिक यह है कि मंदिर के पीछे के गेट पर कोई सिक्योरिटी नहीं रहती। कोई भी आसानी से अपनी गाड़ी के साथ कैंपस में एंट्री कर सकता है। कैंपस में बने साइकिल स्टैंड में कोई भी अपनी गाड़ी जमा करके निकल सकता है। स्टैंड में साइकिलें ही ज्यादा खड़ी होती हैं। अब तक की आतंकी घटनाओं का जो ट्रेंड सामने आया है उसके मुताबिक आतंकियों ने विस्फोटक के लिए साइकिल को ही हथियान बनाया है। इस दृष्टि से यह एरिया ज्यादा सेंसिटिव हो जाता है। फूल माला के साथ कोई भी विस्फोटक पदार्थ भगवान को चढ़ा सकता है. 

क्या है Solution 

मंदिर कैंपस की सिक्योरिटी जरूरी है।  सिक्योरिटी की अत्याधुनिक सुविधाओं से इस कैंपस को लैस किया जाना बेहद जरूरी है। मंदिर में कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। कैंपस की परमानेंट सिक्योरिटी के लिए कैंपस को अंडर सर्विलांस करना ही होगा। अगर हर जगह सीसीटीवी कैमरे लग जाए तो सिर्फ एक व्यक्ति कंट्रोल रूम से हर जगह की मानिटरिंग कर सकता है। इस मंदिर के मुखिया सचिदानंद मिश्रा भी सिक्योरिटी से खुश नहीं हैं। कई बार सिक्योरिटी के लिए उन्होंने पुलिस ऑफिसर को अवगत कराया है.