- सुरक्षा के नाम पर लगा दिया गया है केवल फायर एस्टिंगविशर

- खरीद के बाद एस्टिंगविशर को बस टांग दिया जाता है दीवार पर

PATNA : हाल ही में आईआईटी दिल्ली की केमिस्ट्री लैब में लगी भीषण आग ने टेक्निकल संस्थानों में सुरक्षा की पोल खोल कर रख दी है। देश के सबसे बेहतर संस्थान में शुमार आईआईटी में सुरक्षा का कोई इंतजाम न होना व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। अगर पटना की बात करें तो यहां आईआईटी, बीआईटी, एनआईटी और सरकारी-गैर सरकारी इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट्स है, पर कहीं भी आग से बचने के लिए कोई योजना नहीं है। सुरक्षा के नाम पर केवल फायर एस्टिंगविशर दिए गए है। ऐसे में अगर आईआईटी दिल्ली जैसा कोई हादसा होता है, तो सिचुेशन डेंजरस हो सकती है।

पटना के इंस्टीट्यूट्स का हाल

एनआईटी के एक स्टूडेंट के अकॉर्डिग कॉलेज के हर डिपार्टमेंट में लैब है। इसमें आग से बचने के लिए फायर एस्टिंगविशर भी लगे हुए है। मैं पिछले तीन साल से देख रहा हूं। इन फायर एस्टिंगविशर को नहीं बदला गया है और न ही इसे कैसे चलाते हैं इसकी ट्रेनिंग दी गई है। आईआईटी पटना का हाल भी कुछ ऐसा हीं है। दूसरे की बिल्डिंग में क्लास चलने के कारण पहले से ही जगह की किल्लत है। उस पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बनी लैब में अगर आग लगी, तो पूरा इंस्टीट्यूट इसकी चपेट में आ सकता है। नाम न छापने के शर्त पर एक स्टूडेंट्स ने बताया कि फायर एस्टिंगविशर केवल नाम के लिए लगे है। कुछ ऐसा ही कंडीशन बीआईटी और दूसरे इंजीनियरिंग संस्थानों की भी है।

पीयू और एमयू के कॉलेज

पटना यूनिवर्सिटी और मगध यूनिवर्सिटी के कॉलेजों का हाल तो और भी बुरा है। ज्यादातर कॉलेजों में फायर एस्टिंगविशर है ही नहीं। मगध महिला कॉलेज, जेडी वीमेंस, साइंस कॉलेज की लैब में फायर एस्टिंगविशर तो लगे हैं, पर वह ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। खरीद के बाद केवल उसे सजावट की वस्तु की तरह दीवार पर टांग दिया गया है।

चेक करने वाला कोई नहीं

कॉलेजों में एजुकेशन क्वालिटी और अन्य एस्टिंगविशर चेक करने तो होते हैं, लेकिन फायर सेफ्टी चेक करने के लिए कोई कमिटी या मेंबर नहीं होता है। लगभग हर कॉलेज में साइंस की पढ़ाई होती है और साइंस से रिलेटेड हर डिपार्टमेंट में लैब होता है, पर उनकी सुरक्षा की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है।

अलग से फंड नहीं

कॉलेजों में फायर सेफ्टी के लिए एक रूपया भी नहीं होता है। इसी कारण बहाने बनाने के मौके मिल जाते हैं। नैक या किसी बड़े आयोजन के समय दिखावे के लिए कॉलेज किराये पर संसाधन तो जुटा लेते है, पर यह परमानेंट नहीं होता है। दलील दी जाती है कि हमें कोई फंड नहीं मिलता है।

कॉलेज में फायर सेफ्टी से बचने के लिए कोई उपाय नहीं होते हैं। हमारे कॉलेज में जब नैक की टीम आई थी, तो हमने सब चेक किया था। फायर एस्टिंगविशर तो लगे थे, पर उसमें कितने काम कर रहे थे, यह नहीं पता।

- डॉ। रेखा मिश्रा, प्रॉक्टर, जेडी वीमेंस कॉलेज