- प्रसूता को अस्पताल में भर्ती करने से कर दिया था इंकार

- इलाज के अभाव में हो गई प्रसूता की मौत

CHAYAL(JNN): गर्भवती महिलाओं के लिए चल रही तमाम सरकारी योजनाएं चिकित्सकों की मनमानी के चलते बेमानी साबित हो रही हैं। एंबुलेंस से लेकर सुरक्षित प्रसव की व्यवस्थाओं के बावजूद प्रसूताओं को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। ऐसा ही एक मामला क्षेत्र में भी प्रकाश में आया है। प्रसव के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची महिला को भर्ती न किए जाने के कारण उसकी मौत हो गई। डॉक्टर व नर्स की इस मनमानी से प्रसूता के परिजनों में खासा आक्रोश है।

अस्पताल से भगाया

सरायअकिल थाना क्षेत्र के भखंदा निवासी नंदलाल निषाद मेहनत मजदूरी करके परिवार का पालन-पोषण करता है। उसकी 38 वर्षीय पत्नी सूरसती को प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन इलाज के लिए उसे कनैली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। परिजनों की मानें तो वहां पर मौजूद डॉक्टर और नर्स ने प्रसूता का इलाज करने से मना करते हुए भर्ती नहीं किया। इसके बाद परिजनों ने प्रसूता को सरायअकिल के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। प्रसव के दौरान विवाहिता ने एक बेटी को जन्म दिया। इसके बाद नवजात पूरी तरह से स्वस्थ थी, लेकिन सूरसती की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। शनिवार की देर शाम उसकी हालत बिगड़ गई तो परिजन इलाज के लिए उसे पास के ही अस्पताल ले गए। वहां पर समुचित इलाज न होने के कारण प्रसूता ने दम तोड़ दिया।

झोलाछाप ने ले ली जान

BARA: विकास खण्ड जसरा के ग्राम पंचायत परवेजाबाद के मजरा पीतू का पुरवा में बुखार से पीडि़त युवक की उचित उपचार न मिलने से जान चली गई। पीतू का पुरवा निवासी गुडडू पाल का 8 वर्षीय पुत्र पीयूष पाल एक सप्ताह से बुखार से पीडि़त चल रहा था। परिजन खड़ेसर गांव में ही एक झोलाछाप डाक्टर से उसका इलाज करा रहे थे। गलत उपचार के कारण बच्चे के पेट में छाले पड़ गए। उसकी हालत खराब हुई तो झोलाछाप ने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद परिजन बच्चे को जसरा स्थित निजी चिकित्सालय ले गये जहां चिकित्सकों ने जवाब दिया। परिजन बच्चे को नैनी स्थित निजी चिकित्सालय ले गये जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।