कारगिल युद्ध में सेना में रहे लांसनायक देवेन्द्र सिंह कर रहे हैं कल्पवास

युवाओं को इंडियन आर्मी से जुड़ने के लिए कर हैं प्रेरित, बताते हैं कारगिल गाथा

dhruva.shankar@inext.co.in

संगम की रेती पर बसा एक शिविर ऐसा भी है जहां पर कारगिल युद्ध में अपनी बहादुरी से दुश्मनों को मौत के घाट उतारने वाले जांबाज देवेन्द्रर सिंह कल्पवास कर रहे हैं। कल्पवास करने के साथ ही वे कारगिल युद्ध की हकीकत से ना केवल श्रद्धालुओं को रूबरू करा रहे हैं बल्कि युवाओं में देशभक्ति की अलख जगाकर उन्हें देशसेवा के लिए इंडियन आर्मी से जुड़ने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।

सिर्फ देश सेवा का जज्बा

जम्मू के कटरा एरिया में रहने वाले देवेन्द्रर सिंह वर्ष 1978 में इंडियन आर्मी में लांसनायक के पद पर नियुक्त हुए थे। उन्हें जबलपुर में आर्मी ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण के भेजा गया था। 1999 में हुए कारगिल युद्ध के समय वे श्रीनगर में हवलदार के पद पर तैनात थे। वर्ष 2006 में देवेन्द्रर सिंह आर्डिनरी कैप्टन के पद से पठानकोट आर्मी कैंप से रिटायर हुए थे। श्री सिंह बताते है कि रिटायर होने के बाद जम्मू में ही युवाओं को आर्मी में शामिल होकर देशसेवा के लिए प्रेरित करने का कार्य शुरू किया। प्रयागराज में चल रहे कुंभ में संत योगीराज बालकदास के शिविर में शहीदों के सम्मान में 108 कुंडीय महायज्ञ की जानकारी मिलने के बाद देवेन्द्रर सिंह यहां दस जनवरी को पहुंच गए। शिविर में पहुंचने पर यहां भी जनमानस के बीच जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेने वाले जांबाजों की शौर्य गाथा बता रहे हैं।

आज भी आपरेशन विजय की दिखती है कसक

श्री सिंह ने बताया कि श्रीनगर के डुबरी कैंप से हमारी बटालियन हथियार और खाद्य सामग्री लेकर कोलोनील जैसी दुर्लभ पहाड़ी पर आंतकवादियों से मोर्चा लेने के लिए रवाना हुई थी। जिसका नाम आपरेशन विजय रखा गया था। बटालियन में कैप्टन विक्त्रम बत्रा व कैप्टन सिसोदिया सहित कुल 950 जांबाज शामिल थे। दो दिनों के भीतर आतंकवादियों का सफाया कर दिया गया था। लेकिन सौ से अधिक जवान शहीद हो गए थे। आपरेशन विजय सफल हुआ लेकिन जांबाजों के शहीद होने की कसक आज तक मेरे दिल-दिमाग में बनी हुई है। इसीलिए कुंभ मेला में आकर ज्यादा से ज्यादा युवाओं को इंडियन आर्मी में शामिल होने के लिए प्रेरित करने का कार्य कर रहा हूं।

एक दर्जन शिविरों में जगा चुके अलख

संतश्री योगीराज बालकदास का शिविर सेक्टर बारह में स्थित है। देवेन्द्रर सिंह शिविर में 14 फरवरी तक रहकर कल्पवास करेंगे। खास बात है कि जिस दिन से वे शिविर में आएं है उसी दिन से अपने शिविर के आसपास के एक दर्जन से अधिक शिविरों में जाकर लोगों को देशसेवा के लिए प्रेरित करने का अभियान चला चुके हैं।