- कमिश्नर की ओर कराई गई जांच में हुआ खुलासा, कई तरह से नियमों की उड़ाई गई धज्जियां

- गीडा सीईओ और सम्पत्ति अधिकारी पर लगे ज्यादातर आरोप जांच में सही पाए गये, गीडा को लाखों की क्षति पहुंचने का है अनुमान

- एडीशनल कमिश्नर और सीडीओ की की जांच रिपोर्ट पर कमिश्नर ने आवंटन किया निरस्त, दोषियों पर कार्रवाई की संस्तुति

upendra.shukla@inext.co.in

GORAKHPUR

गोरखपुर इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट अथॉरिटी यानि 'गीडा' के जिम्मेदार अफसरों ने नियमों को ताख पर रखकर ना सिर्फ लाखों-करोड़ों की कीमत के जमीन आवंटन के नाम पर बड़ा खेल किया। इससे गीडा को भी रेवेन्यू का जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। ये खुलासा हुआ है उस जांच में जिसे शासन के निर्देश पर कमिश्नर पी। गुरुप्रसाद ने कराया और अब जांच रिपोर्ट सामने आ चुकी है। गीडा अफसरों ने नियमों को कई तरह से धता बताते हुए मनमाने ढंग से प्लाट का आवंटन किया। जांच रिपोर्ट में ज्यादातर आरोपों की पुष्टि के बाद कमिश्नर ने आवंटन प्रक्रिया निरस्त करते हुए प्लाट ट्रांसफर के खेल पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इसके साथ ही उन्होंने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति के लिए शासन को पत्र भेजा है।

सितम्बर और अक्टूबर के महीने में सहबाजगंज सहजनवां के नीरज तिवारी, चैम्बर ऑफ कार्मस एंड इंडस्ट्रीज गीडा के अध्यक्ष दाता राम सिंह, सपा के जिला महासचिव इशराक अब्बासी तथा फरेन्दा महाराजगंज निवासी विनोद तिवारी ने अलग-अलग पत्र लिखकर गीडा की ओर से प्लाट आवंटन तथा अन्य अनियमितताओं के बारे में शासन में शिकायत की थी। इस मामले में शासन के निर्देश पर कमिश्नर ने एडिशनल कमिश्नर बसंत राम तथा सीडीओ कुमार प्रशांत की अगुवाई में जांच कमेटी गठित की। इस कमेटी ने सभी गंभीर आरोपों की जांच में पाया कि ज्यादातर आरोप सही थे। इसमें गीडा के सीईओ तथा प्रॉपर्टी मैनेजर की भूमिका पर जो आरोप लगे थे, वो भी सही पाए गये।

ये थे आरोप जिनकी हुई जांच

(फार योर इंफार्मेशन)

- 26 प्लाट का विज्ञापन निकाल 83 लोगों को प्लाट आवंटन कर दिया।

- ग्रीन बेल्ट और पार्क की भूमि को भी गलत ढंग आवंटित कर दिया।

- विकास कार्यो के घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग।

- अपने चहेतों और रिश्तेदारों को गलत तरह से प्लाट आवंटित किया।

- औद्योगिक भूखंडों को नियम विरूद्ध लोगों को आवंटित किया।

- एक ही परिवार के कई लोगों को अलग-अलग पते पर प्लाट आवंटन।

- प्लाट आवंटित कराने वालों ने कुछ ही महीनों दूसरों को ट्रांसफर किया।

- ट्रांसफर कराने में गीडा अफसरों की रेवेन्यू का जबरदस्त नुकसान कराया।

- ट्रांसपोर्ट टर्मिनल के व्यवसायिक कार्य वाले भूखंड को औद्योगिक मूल्य पर आवंटित किया।

- अफसरों ने मनमाने ढंग से खुद ही भूखंड आवंटन में आरक्षण व्यवस्था समाप्त कर दी।

हाईलाइट्स

- जुलाई-अगस्त में 26 प्लाट आवंटन के लिए विज्ञापन प्रकाशित हुआ।

- इस विज्ञापन के सापेक्ष में अफसरों ने 83 प्लाट का आवंटन किया।

- 2 नवंबर 2015 को गठित की गई जांच दो सदस्यीय जांच टीम।

- 54 दिन में पूरी हुई जांच, 28 दिसंबर को टीम ने सौंपी जांच रिपोर्ट।

प्लाट ट्रांसफर में बड़ा खेल, करोड़ों की क्षति

गीडा के अधिकारियों ने प्लाटों को ट्रांसफर में बड़ा खेल किया। पूर्व में जिन लोगों को प्लाट आवंटन हुआ था और उन्होंने निर्धारित समय में बकाया राशि जमा नहीं की थी, उनके प्लाट नये आवेदकों से कुछ परसेंट ट्रांसफर धनराशि जमा कर स्थानांतरित कर दिया। जबकि नियमानुसार पुराने आवंटन को निरस्त करते हुए उसके लिए नीलामी प्रक्रिया या वर्तमान जमीन के रेट पर आवंटन किया जाना चाहिए था। इसके पीछे बड़े खेल की आशंका है क्योंकि नये लोगों को कई साल पुराने रेट पर भी जमीन मिल गई।

83 प्लाट का निकलता विज्ञापन तो कुछ और होती कहानी

2014 में गीडा की ओर से एक विज्ञापन निकाला गया जिसमें 26 प्लाटों के लिए आवेदन माना गया। इसके लिए 242 लोगों ने आवेदन किया। बाद में पुराने निरस्त आवंटन वाले प्लाटों के साथ तथा कुछ नये प्लाटों को शामिल कराते हुए 83 प्लाटों को आवंटित किया गया। जांच समिति ने माना है कि यदि 83 प्लाट का विज्ञापन जारी होता तो आवेदकों की संख्या कहीं अधिक होती। आवेदन शुल्क से ही गीडा का अच्छी आय होती। जांच रिपोर्ट के आधार पर दो दिन पहले हुई गीडा बोर्ड की बैठक में कमिश्नर पी। प्रसाद ने इन सभी आवंटन को निरस्त करते हुए। इसमें शामिल गीडा के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए शासन को लिखा है।

ग्रीन बेल्ट व पार्क की भूमि भी बेच डाली

जांच समिति ने ये भी पाया कि गीडा अफसरों ने 2012 में लक्ष्मीकांत राय पुत्र दीनानाथ को सेक्टर 22 में वाणिज्यिक प्लाट आवंटित किया गया था। लेकिन बाद में उसे बदल करके ग्रीन बेल्ट के निर्धारित सेक्टर नौ में आवंटित कर दिया। गीडा द्वारा उसमें लगे वृक्षों को भी काट दिया गया। जांच में यह भी सच सामने आया कि औद्योगिक क्षेत्र के सेक्टर 13 में गीडा बोर्ड की ओर से निर्धारित तीन पार्को और ग्रीन बेल्ट को रुपए लेकर प्राधिकरण के अधिकारियों ने अपने चहेतों के नाम कर दिया। वहीं गीडा की ओर से सेक्टर 13 में पार्क के लिए निर्धारित प्लाट नंबर डी-1 और 2ई को श्री प्रकाश मिश्र और भूखंड संख्या ए-4 व 18 ए को ज्ञान प्रकाश यादव को आंवटित कर दिया गया।