- उपकेंद्र के लिए आने वाली जमीन संबंधी समस्या को दूर करने की तैयारी

- मध्यांचल की ओर से की जा रही है कवायद, निगम से की जाएगी चर्चा

LUCKNOW: बस कुछ दिन का इंतजार, फिर आप बिजली उपकेंद्र में जाकर बिजली बिल जमा करने के साथ-साथ शॉपिंग भी कर सकेंगे। इसकी वजह यह है कि नए उपकेंद्र के लिए आने वाली जमीन की समस्या को दूर करने के लिए मध्यांचल की ओर से इस दिशा में कदम आगे बढ़ाए जा रहे हैं। हालांकि अभी यह योजना बेहद प्रारंभिक चरण में है। कई बिंदुओं पर विचार विमर्श किए जाने के बाद इस दिशा में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

यह आती है समस्या

दरअसल, अक्सर देखने में आता है कि नए उपकेंद्र के लिए जमीन की समस्या सामने आती है। मध्यांचल की ओर से जमीन के लिए संबंधित विभाग से वार्तालाप की जाती है, लेकिन नतीजा सिफर रहता है। इसकी वजह से उपकेंद्र स्थापित नहीं हो पाते हैं। वहीं उपकेंद्र स्थापित न होने की वजह से जनता को भरपूर बिजली मिलने में अड़चन भी आती है।

अब यह रास्ता

मध्यांचल के अधिकारियों की ओर से उपकेंद्र की दिशा में आने वाली जमीन संबंधी बाधा को दूर करने के लिए एक योजना तैयार कराई जा रही है। योजना पर गौर फरमाए तो उपकेंद्र के लिए मिलने वाली जमीन को कॉमर्शियल यूज करने की तैयारी की जा रही है। इसका मतलब यह है कि मध्यांचल को उपकेंद्र के लिए जो जमीन मिलती है, उस पर दुकान आदि बनाई जाएंगी, जिससे लोग खरीदारी भी कर सकेंगे। इतना ही नहीं, जो विभाग अपनी जमीन देगा, दुकानों आदि के संचालन की जिम्मेदारी भी उन्हीं को दी जाएगी, जिससे संबंधित महकमे को राजस्व संबंधी फायदा होगा वहीं उपकेंद्र के लिए भी आसानी से जमीन मिल सकेगी।

निगम से वार्ता

चूंकि शहर में सबसे ज्यादा नगर निगम की जमीनें हैं। ऐसे में मध्यांचल के अधिकारियों की ओर से निगम के अधिकारियों से संपर्क किया जाएगा। उनके सामने पूरा प्रपोजल रखा जाएगा। हालांकि जब तक निगम की ओर से अंतिम निर्णय नहीं लिया जाएगा, तब तक मध्यांचल की ओर से एक भी कदम आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। वहीं निगम की ओर से भी यह प्रस्ताव सदन में रखा जाएगा। चूंकि सदन की सहमति के बिना निगम अपनी जमीनों को किसी भी विभाग को नहीं दे सकता है। जिससे साफ है कि इस प्रक्रिया में लंबा वक्त लगेगा।

यह चुनौती भी

मध्यांचल की ओर से योजना तो तैयार की जा रही है, लेकिन उसे शुरू करने में खासी चुनौती भी आएगी। इसकी वजह यह है कि उपकेंद्र परिसर बेहद संवेदनशील होता है। यहां 33 से लेकर 11 केवी के प्वाइंट्स होते हैं। जरा सी लापरवाही से बड़ा हादसा हो सकता है। मध्यांचल के अधिकारियों की मानें तो पहले सुरक्षा से जुड़े बिंदुओं पर मंथन किया जाएगा, इसके बाद ही दुकानों आदि के निर्माण पर विचार किया जाएगा।

वर्जन

हमारी ओर से इस दिशा में प्लानिंग की जा रही है। हालांकि अभी यह कदम बेहद प्रारंभिक चरण में है। हर बिंदु पर विचार विमर्श करने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

संजय गोयल, एमडी, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि।