स्वाइन फ्लू की फिर से दस्तक, 1 की मौत, 6 भर्ती
- गुरुवार को मैक्स अस्पताल में भर्ती स्वाइन फ्लू के मरीज की मौत
- दून में स्वाइन फ्लू से पीडि़त 6 मरीजों के केस सामने आने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप DEHRADUN: प्रदेश में स्वाइन फ्लू ने एक बार फिर दस्तक दे दी है। गुरुवार को सामने आए एक मामले में मैक्स अस्पताल में भर्ती स्वाइन फ्लू पीडि़त एक मरीज की मौत हो गई। 61 वर्षीय मरीज देहरादून का रहने वाला था। प्रथम दृष्टया मरीज में स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए गए। इसके बाद ब्लड सैंपल जांच के लिए दिल्ली भेजा गया। लेकिन जांच रिपोर्ट आने से पहले ही बीती तीन जनवरी को मरीज की मौत हो गई थी। गुरुवार को दिल्ली के एनसीडीसी लैब से आई मरीज की एलाइजा जांच में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। स्वास्थ्य महकमा हुआ अलर्टदून में स्वाइन फ्लू से पीडि़त 6 मरीजों के केस सामने आने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। सीएमओ एसके गुप्ता ने बताया कि 1 मरीज मैक्स अस्पताल में, 1 सिनर्जी अस्पताल, 4 मरीज महंत इन्दिरेश अस्पताल में भर्ती हैं। सभी का उपचार चल रहा है। गुरुवार को मैक्स अस्पताल से दो और मिलिट्री अस्पताल से एक संदिग्ध मरीज का सैंपल भी जांच के लिए दिल्ली भेजा गया है। इस संबंध में सीएमओ की ओर से सरकारी व निजी अस्पतालों को एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने कहा कि मरीजों के उपचार में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाए। दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल को भी अलर्ट किया गया है।
तेजी से फैलता है स्वाइन फ्लू स्वाइन फ्लू इनफ्लुएंजा, फ्लू वायरस के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस से होने वाला संक्रमण है। इस वायरस को ही एच1 एन1 कहा जाता है। इसे स्वाइन फ्लू इसलिए कहा गया था क्योंकि सुअर में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से यह मिलता जुलता था। स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार यह मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और तीमारदारों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखे तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए। क्या हैं लक्षण - नाक का लगातार बहना, छींक आना, कफ , कोल्ड और लगातार खांसी - मांसपेशियों में दर्द या अकड़न - सिर में भयानक दर्द - नींद न आना, ज्यादा थकान - गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना।ऐसे करें बचाव
मरीज को आराम और खूब पानी पीना चाहिए। शुरुआत में पैरासीटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं। डॉक्टर्स से परामर्श जरूर लें।