I am disturbed that my name has been un-necessarily being dragged in this connection. Some agencies/groups are playing dirty game by falsely involving my name. This is not for the first time that my name has been dragged by some mischievous persons /groups for such heinous crimes. It has become a routine that whenever such blasts take place my name is sought to be dragged in order to de-characterize and malign me to cultivate public opinion against me -Afzal Guru


आज संसद पर हमले की दसवीं बरसी है. 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए एक आतंकी हमले से सारा देश सकते में आ गया था. इस हमले में पाँच आतंकियों समेत 14 लोग मारे गए थे. इसमें दिल्ली पुलिस के पाँच जवान और एक सीआरपीएफ़ की महिला कांस्टेबिल शामिल थी. इस हमले की शाजिश में पकड़े गयो आतंकी अफजल गुरू को फासी की सजा दी गई थी. बाद में उनकी पत्नी की दया याचिका पर सुनवाई के चलते अफजल की फांसी को टाल दिया गया.  - प्रेसीडेंट ने इस दया याचिका पर होम मिनिस्ट्री से सलाह मांगी. - मिनिस्ट्री ने इसे दिल्ली सरकार को भेज दिया.- दिल्ली गवर्नमेंट ने चार सालों तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया.- होम मिनिस्ट्री ने इसपर 15 बार रिमाइंडर भेजे.


- 3 जून 2010 को दिल्ली के उपराज्यपाल तेजिन्दर खन्ना ने अफजल की दया याचिका निरस्त किए जाने की राय दी. - होम मिनिस्ट्री ने फिर से इसे 1 साल से भी ज्यादा समय तक तक अपने पास रखा. - होम मिनिस्ट्री ने 27 जुलाई 2011 को राष्ट्रपति सचिवालय को बताया कि अफजल की दया याचिका खारिज की जानी चाहिए. - अब फाइल को प्रेसीडेंट के पास वापस भेज दिया गया है.

10 सालों के इस लंबे प्रासेस के बाद भी अब तक कोई ऐक्शन नहीं लिया जा सका. माना जा रहा है कि इस केस में इस बार फैसला प्रेसीडेंट को ही लेना है. पर साथ में यह बता दें कि उन पर फैसले के लिए कोई डेडलाइन तय नहीं की जा सकती है. आकड़े कहते हैं कि दया याचिका पर फैसला लेने में राष्ट्रपति को 12 साल भी लगे हैं. वैसे इस बात से भी राहत की जा सकती है कि एक फैसला ऐसा भी था जिसे केवल 18 दिनों में ले लिया गया था. नाराज हैं शहीदों के relative इस घटना में मारे गए कई सेक्योरिटी पर्सनल्स के रिलेटिव सरकार से बेहद नाराज भी हैं. 'एंटी टैररिस्ट फ़्रंट' के मनिंदरजीत सिंह बिट्टा की अगवाई में उन्होने सरकार द्वारा दिये पदक भी लौटा दिए हैं. उनके मुताबिक मामले में मोहम्मद अफ़ज़ल को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद फासी न दिया जाना उन बहादुरों का अपमान है जिन्होन संसद को बचाने के लिये खुद को शहीद कर दिया.  अगर अफ़ज़ल की सज़ा घटाई जाती है तो ये उनके शहीदों का मज़ाक उड़ाने जैसा होगा.अफजल के supporters की मुहिम

अफजल को फासी न दिये जाने को लेकर भी कई सारे कैंपेन चलाए जा रहे हैं. अफजल के सपोर्टर्स का मानना है कि उन्हे एजेंसियों ने बलि का बकरा बनाया है. अफजल के बचाव में उनके सपोर्टर्स ने एक वेबसाइट भी बनाई है जिसमें अफजल के सपोर्ट की मांग की गई है. http://justiceforafzalguru.org नाम की इस बेबसाइट में अफजल का लिखा एक स्टेटमेंट भी पब्लिश किया गया है जिसमें अफजल ने लिखा है कि उसे गलत तरह से फसाया गया है. Statement of Mohd. Afzal Guru                                                                                    Date. 8 September 2011 From Tihar jail No.3 It is a serious matter of concern that some criminal elements and anti-social persons committed that heinous and barbarous crime of bomb blast in Delhi High Court. It is a cowardly act and must be condemned by all. No religion permits killing of innocent persons.
I am disturbed that my name has been un-necessarily being dragged in this connection. Some agencies/groups are playing dirty game by falsely involving my name. This is not for the first time that my name has been dragged by some mischievous persons /groups for such heinous crimes. It has become a routine that whenever such blasts take place my name is sought to be dragged in order to de-characterize and malign me to cultivate public opinion against me. I am sending this statement through Shri N.D.Pancholi my advocate and request the press to publish this statement. Sd/- Afzal Guru s/o Habibullah W.No……8 (H.S.W.) Jail No.3….Tihar. body.जस्टिस फार अफजल गुरू नाम की इस वेबसाइट को इंडिया सालिडैरिटी ग्रुप के संदीप वैद्य, ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट शुभा माथुर और कम्युनिटी फार कम्युनल एमाइटी के शुक्ला सेन चला रहे हैं. इस फोरम पर जम्मू कश्मीर के कई लीडर्स भी अफजल के सपोर्ट में अपनी बात रखते रहे हैं.

Posted By: Divyanshu Bhard