उत्‍तराखंड में आई आफत की वजह से अभी तक सैंकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है तो हजारों लोग अभी भी यहां-वहां फंसे हुए हैं.


होम मिनिस्टर सुशील कुमार शिंदे ने बताया कि अभी तक फंसे हुए 73 हजार लोगों को निकाला जा चुका है. जबकि अभी भी लगभग 32 हजार लोग फंसे हुए हैं. इन लोगों को निकालने का काम जारी है. इसके लिए सेना और आईटीबीपी के जवान जुटे हुए हैं. फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा रही है. इस समय 55 हेलीकॉप्टर इस काम में लगे हुए हैं. मलबे में दबकर मरे हजारों लोगों की पहचान मुश्िकलउत्तराखंड में बाढ़, बारिश और भूस्खलन की चपेट में आकर सैकड़ों जिंदगियों के चिराग बुझ गए. इसी के साथ यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि मलबे के ढेर में जहां-तहां दफन हो गए शव निकल भी सकेंगे या नहीं और अगर निकल पाए तो उनकी शिनाख्त हो सकेगी या नहीं?


मौत के आगोश में जाने वालों लोगों के परिजन आखिर कब तक अंधेरे में हाथ-पांव मारते रहेंगे? दैवीय आपदा में बचाव और राहत कार्यों के रफ्तार पकडऩे के साथ ही मृतकों का आंकड़ा सैकड़ों में जा पहुंचा है, लेकिन शवों को निकालने और शिनाख्त करने का काम अभी शुरू ही नहीं हो सका है.

जिस तरह जिंदा यात्रियों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने पर सरकारी मशीनरी ध्यान केंद्रित किए हुए है, उससे फिलहाल अगले हफ्ते भी शवों के मलबे में ही दबे रहने का अंदेशा है. इस स्थिति में केदार घाटी में संक्रामक बीमारियों के आपदा की शक्ल लेने का गंभीर खतरा है.    आम तौर पर केदारनाथ मंदिर में प्रतिदिन 13 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि केदार घाटी में आपदा के वक्त 30 हजार से ज्यादा श्रद्धालु और स्थानीय लोग मौजूद थे. जल प्रलय ने जिस तरह केदारनाथ मंदिर क्षेत्र, रामबाड़ा, गौरीकुंड, सोनप्रयाग में कहर बरपाया, उससे मरने वालों का आंकड़ा कई सैकड़ों में पहुंचने की बात सरकारी मशीनरी भी करने लगी है. मृतकों की बड़ी तादाद मलबे के ढेर में दफन बताई जा रही है. पांच दिन से चल रहे राहत और बचाव का कार्य का फोकस जिंदा यात्रियों को बचाना है. मलबे के ढेर से शवों को निकालने और उनकी शिनाख्त की चुनौती सरकारी मशीनरी के सामने है, लेकिन अभी कोई यह बताने की स्थिति में भी नहीं है कि मलबे का ढेर हटाने का काम कब शुरू हो सकता है.  

चूंकि शिनाख्त होने के बाद ही शवों को उनके परिजनों अथवा निकट संबंधियों को सौंपा जा सकेगा, इसलिए आपदा से प्रभावित यात्रियों के कुशलक्षेम को लेकर परिजनों की चिंता और बेचैनी बढ़ती जा रही है. केदार घाटी में बड़े-बड़े बोल्डर वाले मलबे के ढेर से शवों को निकालना आसान काम नहीं है. शिनाख्त करने का कार्य भी पेचीदा होगा. आपदा प्रबंधन तंत्र इस परेशानी से निपटने की कार्ययोजना तैयार नहीं कर सका है.

Posted By: Garima Shukla