-इमरजेंसी में डायल 108 का जल्द नहीं मिल रहा साथ, रास्ते में जगह जगह जाम का सामना होने से एंबुलेंस को थम जा रही रफ्तार

-आधा घंटा का रास्ता तय करने में लग रहा दो से ढाई घंटे, घायल हुए लोगों व गंभीर मरीजों के जान पर बन आ रही आफत

बनारस में ट्रैफिक जाम की समस्या अब जान लेने लगी है. रोड एक्सिडेंट, मारपीट, बवाल में गंभीर रूप से घायल हुए किसी शख्स को एम्बुलेंस से तत्काल हॉस्पिटल पहुंचा पाना जाम के चलते मुश्किल साबित हो रहा है. सही समय पर हॉस्पिटल न पहुंचने के कारण कितने ही मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. खराब हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आधे घंटे की दूरी को तय करने में एम्बुलेंस को डेढ़ से दो घंटे तक लग जा रहा है. बुधवार को जिले के डीएम ने भी डॉयल 108 एम्बुलेंस की लेटलतीफी पर नाराजगी जाहिर की थी.

ष्टड्डह्यद्ग-1

सुबह करीब 11.33 बजे मंडलीय हॉस्पिटल से एसएस हॉस्पिटल बीएचयू के लिए निकली एम्बुलेंस वहां दोपहर 1.38 बजे पहुंची. इस तरह एम्बुलेंस को बीएचयू पहुंचने में करीब 2 घंटे लग गए. जबकि यह रास्ता मात्र आधे घंटे का है. जाम में फंसी 108 एम्बुलेंस का चालक सायरन बजाता रहा, लेकिन उसे रास्ता नहीं मिला. बस किसी तरह मरीज की जान बच सकी.

ष्टड्डह्यद्ग-2

डॉयल 108 पर कॉल आते ही मंडलीय हॉस्पिटल में खड़ी एम्बुलेंस एक्सीडेंट में घायल हुए व्यक्ति को लेकर शाम 7.15 बजे बीएचयू के लिए रवाना हुई, बीएचयू पहुंचने में उसे रात 9 बज गए. यह एम्बुलेंस करीब एक घंटा सिगरा, मलदहिया व कमच्छा में लगे जाम में फंसी रही. यहां भी मरीज को पहुंचाने में 2 घंटे 15 मिनट लग गया.

ष्टड्डह्यद्ग-3

एक प्रेग्नेंट वूमेन को घर से राजकीय महिला अस्पताल पहुंचाने के लिए गोदौलिया से 102 एम्बुलेंस पर कॉल किया गया, लेकिन उसे अस्पताल तक पहुंचने में एक घंटे लग गया. कारण कबीरचौरा से गोदौलिया तक ट्रैफिक जाम लगा रहा. इस तरह एम्बुलेंस को राजकीय महिला अस्पताल तक पहुंचने व वहां से लौटने में दो घंटे लग गए. जबकि यह रास्ता भी मात्र 7 से 8 का है.

ये तीन केसेज यह बताने के लिए काफी हैं कि इन दिनों सिटी में ट्रैफिक जाम में किसी एम्बुलेंस के फंस जाने पर उसमें सवार घायल या मरीज की क्या हालत हो रही है. लगातार जाम लगने की समस्या एम्बुलेंस से लाने और ले जाने वाले गंभीर पेशेंट्स के जान पर भारी पड़ रही है. हॉस्पिटल से रेफर पेशेंट को दूसरे हॉस्पिटल लेकर निकली एम्बुलेंस रास्ते में अगर जाम में फंस गई और उसे निकलने का रास्ता नहीं मिला तो उसमें सवार पेशेंट की जान बचा पाना डॉक्टर के लिए भी मुश्किल हो रहा है. गुरुवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब इसकी वजह जानने के लिए पड़ताल शूरू की तो बेहद चौंकाने वाले फैक्ट सामने आए. रास्ते में जाम लगे होने के कारण डॉयल 108 डेढ़ घंटे तक उसमें फंसी रही. गनीमत थी कि मरीज की हालत ज्यादा सीरियस नहीं थी, अगर होती तो उसकी हालत क्या होती ये आप खुद समझ सकते हैं.

यहां हमेशा लगता है जाम

कबीरचौरा से बड़ी पियरी, बेनिया, नई सड़क, गोदौलिया, मदनपुरा. सोनारपुरा व उधर मलदहिया, लहुराबीर, मलदहिया, फातमान, सिगरा, रथयात्रा, कमच्छा, गुरुबाग के अलावा लहरतारा, कैंट, चौकाघाट पांडेयपुर, अर्दली बाजार आदि क्षेत्रों में में हमेशा ट्रैफिक जाम लगा रहता है.

सायरन सुनकर कर देते हैं अनसुना

108 और 102 एम्बुलेंस से रोजाना दर्जनों घायल व मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लाए और ले जाए जाते हैं. लेकिन अगर आप शहर में किसी भी एरिया में निकल जाइए तो एक-दो एंम्बुलेंस जाम में फंसी नजर आ जाएंगी. जाम में फंस रही एंबुलेंस को लेकर आम लोगों का रवैया बेहद चिंताजनक है. लोग एंबुलेंस का सायरन सुनने के बाद भी साइड नहीं देते. किसी को भी इस बात की परवाह नहीं होती कि एंबुलेंस में सवार किसी शख्स की जान खतरे में है.

क्या कहते हैं एंबुलेंस ड्राइवर

एम्बुलेंस चालकों का कहना है कि शहर की मुख्य सड़कों पर जाम लगना तो पुरानी बीमारी है. इसकी वजह से एंम्बुलेंस जाम में फंस कर खड़ी रहती है. इस बीच अगर ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो जाए तो मरीज की जान भी जा सकती है.

अजीत कुमार,

--

अधिकारी हमेशा चालकों को ही कसूरवार मानते हैं, जबकि दोष सिस्टम का है. पहले ट्रैफिक जाम खत्म करने का इंतजाम हो फिर ड्राइवरों को दोषी ठहराया जाए. एंबुलेंस में सवार बीमार आदमी की जान बचाने के लिए हम जल्दबाजी करते हैं. लेकिन पब्लिक नहीं समझती. क्योंकि मरीज से ज्यादा उन्हें जल्दी रहती है.

नीरज कुमार

फैक्ट फाइल

19

बेसिक एम्बुलेंस हैं बनारस में

03

एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस हैं

02

एम्बुलेंस मंडलीय हॉस्पिटल में

02

एम्बुलेंस डीडीयू हॉस्पिटल में

04

एम्बुलेंस राजकीय महिला अस्पताल में

7 से 8

एम्बुलेंस रहते हैं सीएचसी, पीएचसी वाले एरिया में

एम्बुलेंस चालकों का पूरा प्रयास रहता है कि वह तत्काल मौके पर पहुंच सकें. लेकिन उस बीच ऐसा भी होता है जब संबंधित एरिया से एम्बुलेंस केस लेकर निकले रहते हैं. आम लोगों को भी समझना चाहिए कि एंबुलेंस को रास्ता न देकर वह किसी की जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं.

डॉ. बीबी सिंह, एसीएमओ

Posted By: Vivek Srivastava