RANCHI:मोरहाबादी को बिरसा मुण्डा फुटबॉल स्टेडियम में आज जब झारखंड के 10वें मुख्यमंत्री रूप में रघुवर दास शपथ ले रहे होंगे तो राज्यभर की जनता की उम्मीदों का सेहरा भी उनके सिर पर होगा। पहली बार राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार के मुखिया का चुनौतियां भी इंतजार कर रही होंगी। पिछले 14 सालों में झारखंड का जो ख्वाब अधूरा रह गया है उसे पूरा करना इनके लिए बड़ी चुनौती होगी।

1-संतुलित टीम बनाना

योग्य मंत्री चुनने के साथ नौकरशाहों को भी सौंपना होगा सटीक काम

अब तक शिथिल रही राज्य की प्रशासनिक मशीनरी को देनी होगी गति

झारखंड के मुख्यमंत्री के सामने प्रशासनिक कामकाज के लिए एक बेहतर और संतुलित टीम बनाने की चुनौती है। क्योंकि अब तक गठबंधन का दंश झेल रही सरकारों के पास संतुलित टीम का अभाव था, इसका सरकार के कामकाज पर असर पड़ा और विकास के काम प्रभावित हुए। रघुवर दास को योग्य मंत्री चुनने के साथ ही यह भी चुनौती फेस करना होगा कि वह झारखंड सरकार के योग्य और अनुभवी प्रशासनिक अधिकारियों को सटीक काम सौंपें। क्योंकि राज्य की प्रशासनिक मशीनरी अब तक शिथिल रही है। उसे गति देना मुख्यमंत्री के लिए बड़ा काम होगा।

2-ब्यूरोक्रेसी को चुस्त-दुरुस्त करना होगा

जरूरत 208 आइएएस की, काम चल रहा 77 के सहारे

डीसी लायक भी नहीं हैं आइएएस, प्रभार के भरोसे विभाग

झारखंड में शासन सुचारू रूप से चलाने के लिए ब्यूरोक्रेसी को चुस्त-दुरुस्त करना भी नए मुख्यमंत्री के सामने एक चुनौती है। यह तभी होगा जब राज्य में पर्याप्त संख्या में आईएएस अधिकारी होंगे। फिलहाल राज्य में प्रशासनिक अधिकारियों की भारी कमी है। झारखंड में आईएएस के 208 पद सृजित हैं, जबकि यहां पर मात्र 77 अधिकारियो के सहारे काम चल रहा है। हालत यह है कि उपायुक्तों के लिए भी उपयुक्त आईएएस अधिकारी नहीं मिल पा रहे हैं। एक ही आईएएस कई-कई विभागों में काम कर हैं, इस कारण कई विभाग प्रभार में चल रहे हैं। ऐसे में विकास कार्यो के क्रियान्वयन में राज्य को काफी परेशानी हो रही है। हालत यह है कि वन अधिकारियों को प्रशानिक पदों पर नियुक्त कर काम चलाया जा रहा है। झारखंड लोकसेवा आयोग भी 14 सालों में मात्र 5 परीक्षाएं ही ले पाया है। अधिकतर परीक्षाएं विवादों में ही रहीं।

3-गठबंधन के साथ तालमेल

बहुमत के लिए भाजपा को आजसू पर रहना होगा निर्भर

सहयोगी दल के मंत्रियों के साथ तालमेल नहीं होने पर पड़ेगा असर

झारखंड में पहली बार भले ही रघुवर दास पूर्ण बहुमत की सरकार का नेतृत्व करने जा रहे हैं। लेकिन, किसी एक पार्टी को अकेले पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के कारण इस बार भी गठबंधन की सरकार से इनकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि इस सरकार के साथ एक अच्छी बात यह है कि यह चुनाव पूर्व गठबंधन है और बीजेपी के साथ सिर्फ एक पार्टी का गठबंधन है। लेकिन इसके बाद भी गठबंधन सरकार की जो आशंकाएं होती हैं, वह इस सरकार के साथ भी बनी रहेंगी। हालांकि इस बार बीजेपी पहले की अपेक्षा मजबूत स्थिति में है। फिर भी गठबंधन में शामिल सहयोगी दल के मंत्रियों के साथ तालमेल बनाकर मुख्यमंत्री को चलना ही होगा। अगर इसमें समस्या आई तो सरकार के कामकाज पर इसका असर जरूर दिखेगा। क्योंकि इस विधानसभा में अपने बल पर 37 सीटें जीतने वाली बीजेपी को बहुमत के लिए आजसू की 5 सीटों पर निर्भर रहना पड़ेगा।

Posted By: Inextlive