अगर हम वास्तु के अनुरुप अपने घर के पूजा घर या दुकान के मंदिर को व्यवस्थित करते हैं तो उन्नति और शांति बनी रहती है।

हर मकान या दुकान में पूजाघर जरूर होता है। घरों में तो पूजन कक्ष का होना और भी जरूरी है क्योंकि यह मकान का वह हिस्सा है जो हमारी आध्यात्मिक उन्नति और शांति से जुड़ा होता है। यहां आते ही हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं और नकारात्मकता खत्म हो जाती है, इसलिए अगर यह जगह वास्तु के अनुरूप होती है तो उसका हमारे जीवन पर बेहतर असर होता है।

कुछ वास्तु सिद्धांत हैं, जिनपर गौर करके हम अपने पूजाघर को अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं:

1. पूजाघर में कलश, गुंबद इत्यादि नहीं बनाना चाहिए।

2. पूजाघर में किसी प्राचीन मंदिर से लाई गई प्रतिमा या स्थिर प्रतिमा को स्थापित नहीं करना चाहिए।

3. पूजाघर में यदि हवन की व्यवस्था है तो वह हमेशा आग्नेय कोण में ही किया जाना चाहिए।

4. पूजास्थल में कभी भी धन या बहुमूल्य वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए।

5. पूजाघर की दीवारों का रंग बहुत गहरा न होकर सफेद, हल्का पीला या हल्का नीला होना चाहिए।

6. पूजाघर की फर्श सफेद अथवा हल्का पीले रंग की होना चाहिए।

7. पूजाघर में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, इंद्र, सूर्य एवं कार्तिकेय का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।

8. पूजाघर में गणेश, कुबेर, दुर्गा का मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।

9. पूजाघर में हनुमानजी का मुख नैऋत्य कोण में होना चाहिए।

10.पूजाघर में प्रतिमाएं कभी भी प्रवेशद्वार के सम्मुख नहीं होनी चाहिए।

11.पूजाघर के निकट एवं भवन के ईशान कोण में झाड़ू या कूड़ादान आदि नहीं रखना चाहिए।

12.पूजाघर शयनकक्ष में नहीं बनवाना चाहिए। यदि परिस्थितिवश ऐसा करना ही पड़े तो वह शयनकक्ष विवाहितों के लिए नहीं होना चाहिए।

 

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Posted By: Kartikeya Tiwari