1860 के आसपास भारत लाया गया एक एतिहासिक वाद्ययंत्र अब फिर अपनी धुन बिखेर रहा है. यह रांची के संत पॉल कैथेड्रल चर्च में दशकों से खराब होकर पड़ा था. वहीं के युवकों ने इसकी मरम्मत कर इसे बजने लायक बनाया.


कहा जाता है वाद्ययंत्रों की रानी
इसे वाद्ययंत्रों की रानी कहा जाता है. लोग इसे रानी पाइप ऑरगेन के नाम से पुकारते हैं. दो हजार साल पहले इस तरह के वाद्य यंत्र का निर्माण किया जाता था. इससे प्राकृतिक आवाज निकलती है. इसका उपयोग चर्च की आराधना विधि में किया जाता है. रांची में जीईएल चर्च मिशनरियों ने मेन रोड स्थित चर्च में यह वाद्ययंत्र सन 1860 में लाया गया था. इसके बाद उसे दूसरी जगह भेज दिया गया. अब यह वाद्ययंत्र बहुबाजार स्थित संत पॉल कैथेड्रल में है. डेढ़ सौ वर्षों से भी अधिक पुराने हो चुके यंत्र को खराब होने के कारण इसे बजाना बंद कर रख दिया गया था. स्थानीय युवकों ने 2005 में इसकी मरम्मत का बीड़ा उठाया. लोचन खलखो के नेतृत्व में आशीष समद, सहाय धान, आनंद पूर्ति, अजित समद व मनीष कच्छप ने जब इसे ठीक कर दिया तो देश-विदेश में उनकी पहचान बनी. मरम्मत में एक साल लगा. बीच-बीच में फिर खराब होता रहा. जर्मनी के संगीतज्ञ ने दिया प्रशिक्षण


ऑरगेन मरम्मत टीम के मनीष कच्छप बताते हैं कि उन्होंने इंटरनेट पर पुराने वाद्ययंत्रों का अध्ययन किया. इसी क्रम में जर्मनी के चर्च संगीतज्ञ हाटमूट ग्रोस से उनका संपर्क हुआ. उन्होंने इसकी मरम्मत का तरीका बताया और सामाना भी मुहैया कराया. मनीष ने 2006-09 तक जर्मनी में पाइप ऑरगेन फर्म में एक ट्रेनी के रूप में कार्य किया. फिर रांची लौटकर इसे ठीक किया. इस ऑरगेन को ठीक करने के बाद अब कोलकाता और पूना जैसे शहरों से भी उनकी टीम को काम मिल रहे हैं. एक कमरे जैसा है वाद्ययंत्र इस ऑरगेन में लगी पाइप बांसुरी की तरह भी है और पानी के पाइप की भी तरह. 56-56 की संख्या में की-बोर्ड हैं. इससे 11 तरह की धुनें निकलती हैं. वाद्ययंत्र एक कमरे के आकार का है. इसमें 20 प्रतिशत लकड़ी और 80 प्रतिशत सीसा, जिंक व टिन की पाइप है. इसे बजाने में हाथ-पैर दोनों का उपयोग होता है. इससे 27 तरह का बेस टोन निकाल सकते हैं. पहले इसमें चप्पू की तरह हवा भरी जाती थी. इसमें दो आदमी लगते थे. 1960 में बिजली आने के बाद मोटर से हवा भरी जाने लगी. ‘करीब दो हजार साल पहले इस तरह का वाद्ययंत्र यूनान में बजाया जाता था. रांची में 1860 के आसपास इसे लाया गया. खराब हो गया था. मरम्मत में काफी खर्च था. स्थानीय युवकों ने इसकी मरम्मत की.’-पेरिस प्रीस्ट अरुण बरवा, सीएनआइ चर्च, रांची Report by: Ashish Tigga (Dainik Jagran)

Posted By: Satyendra Kumar Singh