-हरे-भरे बाग में हजारों पौधों व वृक्षों के बीच अलग ही है ये बुजुर्ग वृक्ष

-मुगल सम्राट जहांगीर की पत्नी, बेटे व बेटी का मकबरा है खुसरोबाग में

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PRAYAGRAJ: अकबर के बेटे जहांगीर द्वारा बनवाए गए ऐतिहासिक खुसरोबाग में मुगल कालीन इतिहास का गवाह एक बहुत ही पुराना बरगद का पेड़ है. इसकी उम्र करीब 150 वर्ष बताई जाती है. यह इलाहाबाद के बदलते इतिहास का गवाह रहा है. मुगलकाल की जड़ से जुड़ा हुआ और आज अपनी विशाल छांव में लोगों को ठंडक और शीतलता का अहसास कराता है.

दूर से ही अलग दिखाई देता है

17 बीघा क्षेत्र में फैले ऐतिहासिक खुसरोबाग में 100-200 नहीं बल्कि हजारों पौधे व वृक्ष मौजूद हैं, जो पार्क की खुबसूरती को बढ़ाने के साथ ही जहरीली गैस ग्रहण करते हुए ऑक्सीजन छोड़ते हैं. इन हजारों पौधों व वृक्षों के बीच में एक बहुत ही पुराना बरगद का पेड़ है, जो पार्क में पहुंचते ही दूर से दिखाई देता है. लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है. इसके विशाल तने और विशाल छाया ये बताती है कि इस वृक्ष ने कितने मौसम और कितने थपेड़ों को सहा और झेला होगा.

तने बन गए हैं आज वृक्ष

हजारों पेड़ों की मौजूदगी में इस विशाल बरगद के पेड़ों के तने आज वृक्ष के रूप में बदल चुके हैं. इसका दायरा लगातार बढ़ता चला जा रहा है. बरगद के पेड़ों का झुंड सा बन गया है, जिसकी छांव में लोग आराम करते हैं.

खुसरोबाग के इतिहास से जुड़ा पेड़

खुसरोबाग में स्थित इस विशाल बरगद के पेड़ ने खुसरोबाग के निर्माण को देखा तो नहीं है, लेकिन इतिहास से जरूर जुड़ा है. 1605 में अकबर की मृत्यु के पश्चात उसके पुत्र सलीम ने जहांगीर के नाम से सम्राट पद ग्रहण किया. जहांगीर उद्यानों का बहुत बड़ा प्रेमी था. 1599 से 1605 में इलाहाबाद प्रवास के दौरान राजकुमार सलीम ने सैरगाह के लिए खुसरोबाग का निर्माण कराया था. जहां पर जहांगीर की पत्नी शाह बेगम, बेटे खुसरो और बेटी निसार बेगम का मकबरा बनाया गया है.

जहांगीर की पत्नी का मकबरा बनवाया गया

1603 इस्वी में मुगल शासक जहांगीर की पत्‍‌नी शाह बेगम ने अत्यधिक मात्रा में अफीम का सेवन करके आत्महत्या कर ली थी. क्योंकि वो जहंागीर और अपने बड़े बेटे खुसरो के बीच चली आ रही कड़वाहट से दुखी थी. उनकी मौत के बाद उनकी याद में कब्र बनाया गया और बाग को जहांगीर के बड़े बेटे खुसरो के नाम पर खुसरोबाग का नाम दिया गया. शाह बेगम का मकबरा तीन मंजिला इमारत है.

वर्जन

खुसरोबाग का इतिहास इलाहाबाद के गजेटियर में ही नहीं बल्कि हर ऐतिहासिक पन्ने पर दर्ज है, जो ये बताता है मुगल शासक किस तरह से प्रकृति से जुड़े हुए थे. खुसरोबाग में कई ऐसे पेड़ हैं, जो बहुत पुराने हो चुके हैं. बरगद का पेड़ भी ऐसे वृक्षों में एक है, जिसे कोई नुकशान न पहुंचे, इसका विशेष ध्यान देना चाहिए.

-अभय अवस्थी

बृद्धिजीवी एवं इतिहासविद

Posted By: Vijay Pandey