क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ:आखिर निर्मल ह्रदय से 280 नवजात कहां गायब हो गए. उन्हें पूरी राज्य पुलिस और जांच एजेंसियों की ताकत मिलकर भी नहीं तलाश पा रही है. साल दर साल गुजरते जा रहे हैं और निर्मल ह्रदय की फाइलों पर धूल जमती जा रही है. मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा संचालित 'निर्मल हृदय' में नवजातों को बेचे जाने का खुलासा भले ही 2018 में हुआ, लेकिन यहां से नवजातों को बेचे जाने का धंधा लंबे समय से चल रहा है. पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ कि 280 से ज्यादा नवजात ऐसे हैं, जिनका कोई अता-पता नहीं है. संस्थान की फाइलों में उनका राज कहीं दफन होकर रह गया है. बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी), जिला समाज कल्याण अधिकारी (डीएसडब्ल्यूओ), पुलिस तथा अन्य अधिकारियों की प्रारंभिक जांच में यह खुलासा होने के बावजूद अब तक मामले में पुलिस के हाथ न तो कोई पुख्ता सबूत लगे हैं न ही उन नवजातों का कोई पता चल पाया है. आशंका जताई जा रही है कि इस पूरे रैकेट के तार इंटरनेशनल ह्यूमन ट्रैफिकर्स गिरोह से भी जुड़े हो सकते हैं.

2015 से ही बच्चों का सौदा

जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों से पता चला है कि बच्चा बेचने का काम 2015 से ही चल रहा है. 2015 से 2018 तक उक्त दोनों जगहों (निर्मल हृदय, शिशु भवन) में 450 गर्भवती को भर्ती कराया गया. इनसे जन्मे 170 बच्चों को सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत किया गया या जानकारी दी गई. शेष 280 बच्चों का कोई अता-पता नहीं है.

किसकी सरपरस्ती में चल रहा धंधा

जांच में ये भी पता चला है कि बच्चा बेचने का खेल लंबे समय से चल रहा है. इस धंधे से जुड़े लोगों की पहुंच इतनी है कि बच्चों की खरीद-बिक्री की शुरुआती जांच करने वाले सीडब्ल्यूसी के तत्कालीन अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह और सदस्य मोहम्मद अफजल को इन्होंने बर्खास्त करा दिया था. आखिरकार इस सरपरस्ती के पीछे राज्य की कौन सी बड़ी ताकतें हैं, इसका खुलासा आजतक नहीं हो सका है.

पूर्व अध्यक्ष पर छेड़छाड़ का आरोप

सीडब्ल्यूसी के तत्कालीन अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह और सदस्य मोहम्मद अफजल इन दोनों अधिकारियों पर छेड़छाड़ का आरोप लगाकर सुनियोजित साजिश के तहत हटवा दिया गया था. मामला 2015 का है. अध्यक्ष और सदस्य डोरंडा स्थित शिशु भवन का निरीक्षण करने गए थे. इस दौरान उन्हें वहां घुसने से रोका गया था. जबरन जांच की बात कह घुसे तो छेड़छाड़ का आरोप लगाकर बर्खास्त करा दिया गया.

वर्जन

नाबालिग व कुंवारी लड़कियां जो अनचाहे गर्भवती हुईं और बच्चों को जन्म दिया. ऐसे शिशुओं को सीडब्ल्यूसी के सामने प्रस्तुत किया जाता है. यहां पर कुछ बच्चों को दिखाया गया लेकिन बहुत से नवजातों को पता नहीं हैं. झारखंड के आदिवासी इलाकों में अन्य जगहों पर भी जहां इस संस्था के ऐसे सेंटर हैं, उनकी भी जांच की जा रही है.

आरती कुजूर, अध्यक्ष, सीडब्लूसी

अब तक जांच में चार बच्चों को बेचने की बात स्वीकार की गई है. सिस्टर कोनसीलिया और अनिमा इंदवार को जेल भेज दिया गया है. अन्य ननों से भी पूछताछ कर अन्य पहलुओं की पड़ताल की जा रही है. अब उन लोगों से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है, जिन्हें अवैध तरीके से नवजातों को सौंपा गया है. 280 नवजातों के गायब होने की बात प्रथम दृष्टया जांच में सामने आई है. इसकी लगातार जांच की जा रही है.

अनीश गुप्ता, एसएसपी, रांची

Posted By: Prabhat Gopal Jha