PATNA: बीते 17 सालों में पटना में 2841 लोगों की मौत का कारण वायु प्रदूषण रहा है। गंभीर रूप से खराब होती वायु प्रदूषण की स्थिति और इसे काबू करने के लिए ठोस लक्ष्य का अभाव इसका कारण है। इस बात का खुलासा हाल ही में आईआईटी दिल्ली और सीड संस्था के द्वारा किए गए रिसर्च रिपोर्ट में किया गया है। इस रिपोर्ट में पीएम 2.5 के बढ़ते स्तर और उसके कारण होने वाले वायु प्रदूषण से असमय मौत का आंकड़ा पेश किया गया है। 'व्हाट यू ब्रीथ' शीर्षक से प्रकाशित इस रिपोर्ट में प्रदूषण के हेल्थ इंपैक्ट पर फोकस किया गया है। इसमें बताया गया है कि पटना में वायु प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानक से 175 से 200 प्रतिशत अधिक है। इस रिपोर्ट में पटना के अलावा गया और मुजफ्फरपुर का भी अध्ययन किया गया है।

कुल मौत में 27.4 फीसदी बच्चे

रिसर्च रिपोर्ट के अध्ययन से पता चलता है कि बेहद हानिकारक स्तर पर पहुंच चुके वायु प्रदूषण के कारण होने वाली असमय मौत में 27.4 प्रतिशत मामलों में बच्चें शामिल हैं। इस मौत का कारण 'एक्यूट रिस्पेरिटरी इनफेक्शन' यानि श्वास संबंधी गंभीर बीमारियां ही हैं। सीड की सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अंकिता ज्योति ने कहा कि वायु प्रदूषण के कारण लगभग 30 प्रतिशत मौत श्वांस संबंधी बीमारियों से हो रही है।

कम करना होगा पीएम 2.5

'नो व्हाट यू ब्रीथ' रिसर्च रिपोर्ट के लेखक व आईआईटी दिल्ली के सेंटर फोर एटमोसफेयरिक साइंसेज में एसोसिएट प्रोफेसर साज्ञनिक डे ने बताया कि एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इसे नियंत्रित करने का एक महत्वपूर्ण एक्शन प्लान होना चाहिए। इसे शार्ट टर्म, मीडियम टर्म और लांग टर्म प्लान के तहत कंट्रोल करना चाहिए। इस लिहाज से पटना में पीएम 2.5 का कंसंट्रेशन 53.4 प्रतिशत, मुजफ्फरपुर में 54.2 और गया में 41.8 प्रतिशत तक कम करने की जरूरत है। असमय मौत को रोकने के लिए बड़े एक्शन प्लान पर काम करने की जरूरत है।

करीब पांच गुणा तक बढ़ गया पीएम 2.5

रिपोर्ट के आंकडों के अनुसार बीते 17 साल में पीएम 2.5 में पांच गुणा तक वृद्धि हो गई है। इसमें थोड़ा उतार-चढ़ाव आता है लेकिन औसतन 22 से 26 प्रतिशत तक की वार्षिक वृद्धि रही है। वर्तमान में यह करीब 250 से 400 तक आंका जा रहा है। जबकि सेंट्रल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 40 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक पीएम 2.5 होना सेफ है।

Posted By: Inextlive