2G & 3G denotes the different generations of Mobile technology. more of the people don't know they are using 2.5G mobile service. both mobile technologies are completely different on the basis of technological system & packet switching technology. 2G is more fast & secure but costly in all available regions & countries.

आजकल जब भी मोबाइल कनेक्शन या वायरलेस इंटरनेट कनेक्शन की बात आती है, तो हर कोई सबसे पहले यही पूंछता है कि कौन सा कनेक्शन लिया 3G या 2G । लोग आसानी से कह तो देते हैं, कि यार 3G  तेज़ तो है, लेकिन बहुत मंहगा है, इसलिए 2G से काम चला रहे हैं और जो लोग आजकल 3G  इंटरनेट या मोबाइल कनेक्शन लिए होते हैं, उनकी तो स्टाइल भी 3G यानि बहुत तेज रफ्तार वाली हो जाती है। तो आइए ज़रा देख ही लेते हैं कि दोनों मोबाइल कम्यूनीकेशन्स टेक्नोलॉजी में क्या खासियतें और क्या अन्तर हैं।


    वायरलेस कम्यूनीकेश्ान्स के क्षेत्र में 2G और 3G टेक्नोलॉजी को सेकेंड और थर्ड जनरेशन टेक्नोलॉजी के नाम से जाना जाता है। GSM यानि ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्यूनीकेश्ान के लिए पहली बार 2G टेक्नोलॉजी सन 1991 में शुरू हुई, जिसका इस्तेमाल धीरे धीरे बढ़ता गया, इसके पहले तक 1G टेक्नोलॉजी यानि एनालॉग सिग्नल प्रणाली प्रचलित थी। 2G के अन्तर्गत SIM (Subscriber Identity Module) की तकनीक शुरू हुई। यह काफी भरोसमंद तकनीक है जो वायस क्लैरिटी उपलब्ध कराने में समर्थ है। अधिकांश लोग यह नहीं जानते हैं कि 2G और 3G के बीच भी एक जनरेशन पैदा हुई जिसे 2.5G का नाम दिया गया है। इसी के प्रयोग से 2G मोबाइल यूज़र भी GPRS (General Packet radio Service) और EDGE फैसिलिटी का इस्तेमाल कर सकते हैं। तकनीकि तौर पर देखें तो आजकल भारत और तमाम अन्य विकासशील देशों में 2.5G और 2.75G सिस्टम ही मोबाइल कम्यूनीकेशन के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। अलग अलग जनरेशन के आधार पर कई सपोर्ट सिस्टम वाले मोबाइल हैंडसेट्स मार्केट में उपलब्ध हैं, जिस प्रकार की मोबाइल सर्विस लेनी हो उसी के अनुसार 2G / 3G सपोर्ट सिस्टम वाले हैंडसेट का होना भी जरूरी है।


    2G मोबाइल टेक्नोलॉजी की खामियों और धीमी गति की समस्या को खत्म करने के लिए 3G के विकास को दिशा मिली। इसे हाई स्पीड आईपी डेटा नेटवर्क के नाम से भी जाना जाता है। 3G में डेटा ट्रान्सफर के सम्बन्ध में पैकेट स्विचिंग के साथ ही सर्किट स्विचिंग तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, यही वजह कि 3G में डेटा ट्रान्सफर की की गति 2G से काफी बढ़कर 2.45 Mbits से लेकर 3.1 Mbits तक हो गई।


तकनीकि आधार पर देखें तो 2G और 3G में मुख्य अन्तर ये हैं -
1- 2G की तुलना में 3G में वायस के साथ साथ डेटा ट्रान्सफर की भी बेहतर सुविधा प्राप्त हो गई।
2- 3G सर्विस में मोबाइल पर वायस क्लैरिटी 2G से काफी अच्छी है, अनतर्राष्ट्रीय रोमिंग में भी।
3- 3G टेक्नोलॉजी 2G की तुलना में काफी सेक्योर मानी जाती है।
4- 3G सर्विस में बातचीत करने के अलावा वीडियो कॉलिंग, तेज़ रफ्तार इंटरनेट, मोबाइल टीवी, वीडियो कान्फ्रेंसिंग, मोबाइल इंटरनेट गेमिंग आदि सेवाऐं भी प्राप्त हो गईं, जो 2G के मामले में सम्भव नहीं थीं, या फिर बेहतर नहीं थीं।
5- 2G मोबाइल सर्विस आजकल विश्व के लगभग हर भाग में प्रचलित है, जबकि 3G सेवा तमाम विकासशील देशों में बहुत कम या उनके कुछ खास हिस्सों में ही उपलब्ध है।
6- 2G की तुलना में 3G मोबाइल सेवा देने के लिए मोबाइल ऑपरेटर्स को ज्यादा बैंडिवड्थ प्रदान करने वाले मोबाइल टावर्स और सर्वर सिस्टम की जरूरत है, इसी कारण 3G मोबाइल सेवा अभी 2G की अपेक्षा काफी मंहगी है।
7- 2G मोबाइल सेवा में डेटा ट्रान्सफर की अधिकतम गति जहॉं 270 KBPS है, वहीं 3G  के अन्तर्गत स्िथर मोबाइल कनेक्शन में कम से कम 2 Mbps और तेज़ गति से चलते समय ये स्पीड 384 Kbps के आस पास होगी। 


    आजकल 3G मोबाइल सेवा धीरे धीरे भारत में भी कॉमन होती जा रही है। पिछले कुछ समय में BSNL के बाद, टाटा डोकोमो, एयरटेल, वोडाफोन आदि कम्पनियां भी 3G वार में कूद चुकीं हैं। इस वार का नतीजा उपभोक्ताओं के लिए ही हित में होगा। हालांकि आने वाले कुछ सालों में हमें 3G के साथ साथ Fourth generation यानि 4G सेवा का भी लुत्फ उठाने का मौका मिल सकता है, लेकिन अभी हमें इसके लिए और इन्तज़ार करना होगा।

Posted By: Chandramohan Mishra