पूर्ववर्ती बसपा सरकार में दिल्ली-सहारनपुर-यमुनोत्री हाईवे का निर्माण करने वाली हैदराबाद की कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा अंजाम दिए गये 455 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने शुरू कर दी है।

- उपसा से ईडी ने मांगे दस्तावेज, मनी लांड्रिंग का केस किया दर्ज
- बैंकों और उपसा के अफसरों और सीए को नोटिस देकर किया तलब
- गृह विभाग के आदेश पर एसआईटी भी कर रही घोटाले की जांच

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LUCKNOW: ईडी ने राज्य सरकार के स्टेट हाईवे अथॉरिटी से इस हाईवे के निर्माण से जुड़े सारे दस्तावेज तलब कर मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर लिया है जिससे हड़कंप मच गया। ईडी की जांच के दायरे में 14 बैंकों के अधिकारी, चार्टर्ड अकाउंटेंट और उपसा के अफसर आ रहे हैं जिनकी मिलीभगत से कंपनी बैंकों का 455 करोड़ लेकर फुर्र हो गयी। ध्यान रहे कि इस मामले की जांच करने से सीबीआई ने इंकार कर दिया था जबकि हाल ही में गृह विभाग के निर्देश पर एसआईटी ने इसका मुकदमा दर्ज किया था।
603 करोड़ का लिया था लोन
हैदराबाद की कंपनी एसईडब्लू-एलएसवाई हाइवे लिमिटेड ने दिल्ली-सहारनपुर-यमुनोत्री नेशनल हाइवे नंबर 57 के चौड़ीकरण का काम लेने के बाद 14 बैंकों से लोन लिया था। बाद में बैंक के चार्टर्ड अकाउंटेंट से मिलीभगत कर एक तिहाई काम पूरा होने की फर्जी वर्क रिपोर्ट तैयार की। कंपनी के प्रमोटर डायरेक्टर सुकरवा अनिल कुमार और अलोरी साईबाबा ने 14 बैंकों से 1700 करोड़ रुपये के लोन का एग्रीमेंट किया। उपसा के अधिकारी जब निर्माण कार्य की प्रगति जांचने पहुंचे तो पता चला कि कुल 13।33 फीसदी काम ही हुआ है। विभाग ने पड़ताल की तो पता चला कि काम पूरा होने की फर्जी जांच रिपोर्ट लगाकर आरोपी बैंकों से कुल 603 करोड़ रुपये का लोन हासिल कर चुके हैं। इसके बाद यूपी स्टेट हाइवे अथॉरिटी के तत्कालीन जीएम शिवकुमार अवधिया ने गोमतीनगर के विभूतिखंड थाने में कंपनी के प्रमोटर डायरेक्टर्स और लोन देने वाले सभी बैंकों के चार्टर्ड अकाउंटेंट्स समेत 18 लोगों के खिलाफ  धोखाधड़ी और गबन की एफआईआर दर्ज कराई थी।

ईडी ने थमाया नोटिस

इस मामले की गहन जांच के लिए राज्य सरकार ने यह प्रकरण सीबीआई को जांच के लिए भेजा पर उसने इसे टेकओवर करने से इंकार कर दिया। इसके बाद गृह विभाग ने इसकी जांच एसआईटी से कराने का निर्णय लिया जिसके बाद एसआईटी ने केस दर्ज कर लिया। इस बीच बैंकों की बड़ी रकम के गबन के मामले को ध्यान में रखते हुए ईडी ने भी इस केस को टेकओवर करने का फैसला लिया और उपसा से दस्तावेज हासिल करने के बाद मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर लिया। सूत्रों की मानें तो ईडी ने बैंकों के अफसरों, चार्टर्ड अकाउंटेंट और उपसा के अधिकारियों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए तलब किया है।

इन बैंकों से लिया था लोन

पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ  इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, देना बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ  कॉमर्स, पंजाब एंड सिंध बैंक, विजया बैंक, स्टेट बैंक ऑफ  हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ  मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ  पटियाला व अन्य।

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Posted By: Shweta Mishra