मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन इंसान जो कुछ भी दान करता है. उसके प्रतिफल में ईश्वर कई गुना ज्यादा वापस देता है. धनु राशि से मकर राशि की ओर सूर्य के जाने को उत्तरायण भी कहा जाता है. इस खास मौके पर खिचड़ी तिल गुड़ फलों के दान की परम्परा है. हालांकि समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दान के लिए किसी एक खास दिन का इंतजार नहीं करते हैं. वो पूरे साल लोगों को दान करते रहते हैं.


शिक्षादान : कोई बच्चा न रहे अशिक्षित

भगवान और गुरु साथ-साथ खड़े हों तो शिष्य को अपने गुरु की चरण वंदना करनी चाहिए। क्योंकि गुरुकी शिक्षा से ही भगवान तक पहुंचने का मार्ग पता चलता है। आईआईटी कानपुर के फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ। एचसी वर्मा ऐसे ही गुरु हैं, जो गरीब बच्चों को दो दशकों से शिक्षा दान करने का बीड़ा उठाए हुए हैं। गरीब बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रो। वर्मा ने 'ऑपर्चुनिटीज' नाम से स्कूल खोला है। यहां सर्वेट क्वार्टर में रहने वाले गरीब बच्चों को प्रो। वर्मा रोजाना मैथमैटिक्स पढ़ाते हैं। वहीं आईआईटी कैम्पस की न्यू सैक बिल्डिंग में हाईस्कूल से लेकर बीएसएसी तक के स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाता है।

रक्तदान- जिंदगी बचाना इनका मिशन
रोजमर्रा की जिंदगी में इंसान को अपनी रगों में दौड़ते हुये खून के बारे में शायद ही सोचने का कभी वक्त मिलता होगा। या कभी दिल में ख्याल भी आता होगा। मगर, उसकी अहमियत हॉस्पिटल में एडमिट उस पेशेंट से पूछिए जिसकी जिंदगी खून की कुछ बूंदें मिलने से बचाई जा सकती है। ऐसे ही कई पेशेंट्स की जिंदगी बचाने में अहम भूमिका निभाई है पढ़े-लिखे समाजसेवी युवाओं ने।
कानपुर यूथ वेलफेयर एसोसिएशन की टीम में शितांशु जायसवाल, अनुज खन्ना, आशीष अग्रवाल, मानस गुप्ता, अंकित अग्रवाल, चंकी गुप्ता समेत सुमित अग्रवाल शामिल हैं। एसोसिएशन के कोऑर्डिनेटर आशीष अग्रवाल ने बताया कि ब्लड डोनेट करने के लिए हम लोग बाकायदा कैम्प ऑर्गनाइज करते हैं। एक घटना का जिक्र करते हुए आशीष ने बताया कि एक रात हैलट से फोन आया कि कन्नौज निवासी एक व्यक्ति का भीषण एक्सीडेंट हुआ है। ब्लड की फौरन जरूरत है। आशीष ने बताया कि रात में ही वह हैलट ब्लड डोनेट करने पहुंचे। तब कहीं जाकर पेशेंट की जान बच सकी। एक अनजान को नई जिंदगी देकर जो खुशी मिली, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता।


श्रमदान - सफाई का संकल्प

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में स्वच्छ भारत अभियान' की शुरुआत भले ही कुछ दिनों पहले हुई हो लेकिन कानपुर को 'क्लीन सिटी, ग्रीन सिटी' बनाने में 'परिवर्तन फोरम' संस्था करीब 8 सालों से अहम योगदान दे रही है। संस्था के सदस्यों ने अपनी मेहनत से शहर के कई खराब सड़कों-चौराहों, गली-नुक्कड़, पार्को को खूबसूरत बना दिया है।
इस संस्था के मेम्बर राजेश ग्रोवर ने बताया कि हमारे ग्रुप में अनिल गुप्ता, कैप्टन त्रिपाठी, राजेश ग्रोवर, गणेश तिवारी, देवेन्द्र पारिख, संदीप जैन, प्रदीप खत्री, अनूप कुशवाहा, राघव त्रिपाठी, राजीव भाटिया, गोपाल सूतवाला आदि शामिल हैं। इस वक्त ग्रुप मेम्बर्स की संख्या बढ़कर करीब 600 तक पहुंच चुकी है। उन्होंने बताया कि संस्था का मुख्य उद्देश्य शहर को साफ-सुथरा बनाना है। रिक्शा चलाकर हमने छह वा‌र्ड्स में कचड़ा उठान स्कीम शुरू की।
इसके जरिए रैग-पिकर्स को हमने रोजगार भी दिया। अपने अथक प्रयासों की बदौलत परिवर्तन फोरम की टीम ने वीआईपी रोड का एक हिस्सा ग्रीन बेल्ट में तब्दील कर दिया है। वहीं हडर्ड चौराहा, शास्त्री नगर में गुलमोहर अपार्टमेंट के पास, चंदन वाटिका, नानाराव पार्क समेत शहर के कई इलाकों में स्वच्छता अभियान चलाकर वहां की सूरत ही बदल डाली है। नगर निगम के साथ मिलकर शहर की दीवारों पर पेंटिंग और अब जिला प्रशासन के भागीदारी अभियान में भी संस्था के सदस्य बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। हर महीने के पहले संडे को आयोजित भागीदारी स्वच्छता अभियान में अवार्ड भी मिल चुका है।

अर्थदान - पैसों की अहमियत क्या होती है यह उससे पूछो जो पाई-पाई के लिए मोहताज हो
वीएसएसडी कॉलेज के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के लैब इंचार्ज विवेक मिश्रा गरीबों के इस दुखदर्द को काफी सालों से देख और महसूस करते आ रहे हैं। इसीलिए उन्होंने हर दिन किसी न किसी गरीब की आर्थिक मदद करने का बीड़ा उठाया है। विवेक बताते हैं कि कॉलेज जाते वक्त जो भी पहला गरीब मिल जाता है। उसकी कुछ न कुछ आर्थिक मदद जरूर करते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे मालूम है कि मेरा यह प्रयास बहुत छोटा सा है। इससे गरीबी नहीं मिट सकती। लेकिन अगर हर सक्षम व्यक्ति यह तय कर ले कि उसे घर से निकलने पर रास्ते पर मिलने वाले किसी गरीब की फाइनेंशियल हेल्प करनी है। तो उनका कुछ हद तक भला जरूर होगा।


अन्नदान - कोई गरीब भूखा न सोए

मकर संक्रांति पर अन्न का दान करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। मगर, शहर में सुखराम सिंह, लक्ष्मी शंकर गुप्ता व रीटा बहादुर सिंह का नाम उस फेहरिस्त में शामिल है, जो एक दिन नहीं बल्कि साल भर अन्नदान करते रहते हैं। उम्र के छह दशक पार कर चुके यह सभी लोग वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गो के खान-पान का ध्यान रखते हैं।
एसोसिएशन के कोऑर्डिनेटर आशीष ने बताया कि बिठूर स्थित हरिधाम, शिवधाम समेत एक अन्य आश्रम में रहने वाले ब्भ् बुजुर्गो को लंच-डिनर करवाने का अरेंजमेंट करवाया जाता है। इसी तरह किदवई नगर में मेंटल असाइलम 'स्नेहाच्य' में बच्चों के लिए पार्टी ऑर्गनाइज की जाती है। संस्था के संरक्षकों का कहना है कि गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद करना हमारी संस्था का मुख्य उद्देश्य है। दान की प्रक्रिया साल भर जारी रहेगी।

Posted By: Inextlive