- 42 सालों से गांधीजी के स्वस्थ भारत का सपना साइकिल से साकार करने में लगे

- 62 की उम्र में भी रोजाना साइकिल से तय करते हैं 50 किलोमीटर से ज्यादा का सफर

-कई जिलों तक की यात्रा साइकिल से की, साइकिल को मानते हैं अपनी फिटनेस का राज

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KANPUR। साइकिल से चलकर गांधी जी के विचारों को फैलाते-फैलाते कब जिन्दगी के आखिरी पड़ाव पर आ गया, पता ही नहीं चला। गांधी जी के स्वस्थ भारत की कल्पना को साइकिल से ही साकार करना है। यहीं जीवन का संकल्प है। ये कहना है सिविल लाइन्स निवासी म्ख् वर्षीय विंदा प्रसाद सविता का। उम्र के इस दौर में भी विंदा रोज भ्0 किलोमीटर साइकिल से ही चलते हैं। सिर्फ हेल्थ के लिए ही नहीं बल्कि विचारों के लिए भी।

सुबह भ् बजे सवार हो जाते हैं साइकिल पर

विंदा की सेंट्रल स्टेशन पर सर्वोदय बुक स्टॉल नाम से शॉप है। उनकी दिनचर्या सुबह ब् बजे शुरू हो जाती है। पांच बजे घर से निकल जाते हैं। साइकिल से ही स्टेशन पहुंचकर दोपहर ख् बजे वहां से चलते हैं। फिर अपने गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के काम में लग जाते हैं। संस्थान के तहत जितने भी काम होते हैं। वो साइकिल से ही जाकर निपटाते हैं। दिन भर में विंदा औसतन भ्0 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय कर लेते हैं।

घर-घर पहुंचाते हैं पत्रिका

विंदा सर्वोदय जगत नाम की पत्रिका निकालते हैं। जो गांधीवाद पर आधारित है। इस पाक्षिक पत्रिका को सिटी में भ्00 घरों में साइकिल से पहुंचाते हैं। ये पाक्षिक पत्रिका बनारस से छपती है। विंदा ने बताया कि गांधी जी के आदर्शों को घर-घर तक पहुंचाने के लिए साइकिल ही सबसे अच्छा माध्यम है। क्योंकि गांधी जी सादगी और शांति के पक्षधर थे। साइकिल से सादी सवारी और क्या हो सकती है भला।

क्97ख् में जुड़े गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र से

विंदा बताते हैं कि उन्होंने क्97ख् में गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र में सदस्यता ली थी। आज वे इस संस्थान के जिला मंत्री हैं। ब्ख् सालों से वे इस प्रतिष्ठान से जुड़े हैं। ये संस्था गांधी जी के विचारों को फैलाने का काम करती है। ये संस्था देश भर में काम करती है। स्कूलों व समाज में अलग-अलग गोष्ठियां करना। सामाजिक मुद्दों को उठाना और उनके लिए लोगों को प्रेरित करना आदि काम संगठन के तहत किए जाते हैं।

किया कई जिलों का सफर

विंदा ने न सिर्फ कानपुर बल्कि प्रदेश के कई जिलों तक का सफर साइकिल से ही तय किया है। लखनऊ, फैजाबाद, कन्नौज, हमीरपुर आदि जिलों में साइकिल से ही संगठन के काम से जाते हैं। घर पर बेटे बाइक से चलने के लिए कहते हैं लेकिन विंदा का कहना है कि काम के साथ-साथ सेहत भी बनी रहे, इसके लिए साइकिल बहुत जरूरी है। एक्सरसाइज का इससे अच्छा माध्यम कोई नहीं है।

कई बार की साइकिल रैली

विंदा ने कई बार साइकिल रैली की है। सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए उन्होंने कई बार साइकिल रैली निकाल लोगों को जागरूक किया है। यहां से लेकर लखनऊ तक साइकिल रैली निकाली है। विंदा बताते हैं कि साइकिल चलाने से ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है। हार्ट, बीपी, डायबिटीज जैसी बीमारियां नहीं होती हैं। शायद ये साइकिलिंग के चलते ही म्ख् की उम्र में भी लोग उन्हें भ्0 से ज्यादा का नहीं मानते हैं।

Posted By: Inextlive