आंकड़े भारत के (2016)

21 लाख एचआईवी से ग्रसित

80 हजार नए रोगी हर साल

62 हजार मौतें हर साल एड्स से

50 फीसद ले रहे एआरटी ट्रीटमेंट

33 फीसद बच्चों को ही मिल पा रही दवाएं

आंकड़े विश्व में (2016)

36.6 मिलियन मरीज

34.5 मिलियन एडल्ट

17.8 मिलियन महिला

2.1 फीस 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे

-हो रहीं डिमेंशिया, मिर्गी, मानसिक रोगों की समस्याएं

-पहचान होने पर दवाओं से ठीक हो सकती है बीमारी

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW:एचआईवी व एड्स के एक तिहाई मरीजों को न्यूरो एड्स की समस्या हो रही है। जिससे वे भोजन करना और बाइक चलाने जैसी आम चीजें भी भूल रहे हैं। केजीएमयू के डॉ। शैलेंद्र कुमार सक्सेना के शोध में यह जानकारी सामने आई है। डॉ। शैलेंद्र ने केंद्र सरकार को इस पर कुछ सुझाव भी भेजे हैं, जिससे मरीजों को बेहतर सुविधा और इलाज मिल सके।

अलग-अलग वायरस

केजीएमयू में सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च (सीएफएआर) के एचओडी डॉ। शैलेंद्र कुमार सक्सेना ने बताया कि देश में अभी तक माना जाता था कि भारत के मरीजों में ये बीमारी नहीं होती है। यूरोप में जो एचआईवी का वायरस है उससे भारत का वायरस अलग है। यूरोप में एचआईवी 1-बी से बीमारी होती है। जबकि भारत में एचआईवी 1-सी से बीमारी होती है। वायरस अलग होने और जल्दी मौते होने से माना जाता था कि यहां यह बीमारी नहीं है।

शोध में मिली जानकारी

डॉ। शैलेंद्र ने बताया कि यूपी, तेलंगाना, आंध प्रदेश व कई अन्य राज्यों के मरीजों पर की गई रिसर्च से यह जानकारी सामने आई है। उन्होंने बताया कि इन मरीजों के ब्रेन में वायरस पहुंच जाता है। शोध में पाया गया कि एचआईवी के 30 फीसद मरीजों को न्यूरोकाग्नीटिव इंपेयरमेंट (मोटर डिसआर्डर) की समस्या है। वे चलने-फिरने में अक्षम होने लगते हैं। 20 से 30 फीसद मरीजों में माइल्ड न्यूरो काग्नीटिव डिसआर्डर दिखाई दिया। 2 से 8 फीसद मरीजों में एचआईवी एसोसिएटेड डिमेंशिया पाया गया। इसमें मरीज सामान्य चीजें भी भूलने लगता है। डॉ। शैलेंद्र ने बताया कि केजीएमयू में चूहों पर जब परीक्षण किया गया तो 24 घंटों में ही उन्हें यह बीमारी हो गई। डॉ। शैलेंद्र का यह शोध हाल ही में एक इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

केंद्र सरकार को दिया सुझाव

डॉ। शैलेंद्र ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि देश भर में चल रहे एआरटी सेंटर्स पर न्यूरोलॉजिस्ट और साइक्रियाट्रिस्ट की तैनाती अनिवार्य की जाए। मरीज को न्यूरोलॉजिस्ट और साइक्रियाट्रिस्ट को दिखाने से बीमारी पकड़ में आएगी और उसे दवाओं से ठीक किया जा सकता है।

दी जा सकती है सटीक दवा

डॉ। शैलेंद्र ने बताया कि आरएनए सिक्वेंसिंग तकनीक या वायरल लोड जांच करने के बाद बताया जा सकता है कि मरीज पर कौन सी दवा असर करेगी। किस दवा से वह पूरी तरह ठीक हो जाएगा।

बाक्स

न्यूरो एड्स के लक्षण

मिर्गी के दौरे आना

विकलांगता

न्यूरोपैथिक पेन

एडिक्शन (नशे की लत)

कुछ अच्छा न लगना

पागलपन या भूलने की समस्या

Posted By: Inextlive