10 दिन पहले पुलिस ने सिटी में एक्टिव गैंग्स की एक लिस्ट जारी की. एक्सक्लूसिवली आई नेक्स्ट के पास ये लिस्ट मौजूद है.


इस लिस्ट को पढऩे के बाद पुलिस डिपार्टमेंट के सीनियर ऑफिसर्स के भी होश फाख्ता हो गए। लिस्ट में एक, दो, पांच या 10 नहीं बल्कि पूरे 55 गैंग हैं। शहर में तो इतने थाने भी नहीं हैं। डी-2 से शुरू हुआ गैंग की यह जर्नी डी-83 तक पहुंच चुकी है। गैंग्स की इस लंबी फेहरिश्त में हर तरह के गैंग हैं। तार कटर, चेन स्नेचर्स से लेकर ऑटो लिफ्टर्स और किडनैपिंग करने वाले तक।

D मगर company नहीं

कुख्यात माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम के अपराध की दुनिया डी कम्पनी के नाम से मशहूर है। सिटी के डी गैंग्स को डी कम्पनी से ही जोडक़र देखा जाता है। मगर ऐसा नहीं है। डी गैंग्स का डी कम्पनी से कोई लेना देना नही है। हालांकि कई गैंग लीडर्स के कनेक्शन डी कम्पनी से होने की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं। गैंग्स को ‘डी’ कोड और किसी ने नहीं बल्कि पुलिस ने ही दिया है। मगर सवाल ये कि 26 अल्फाबेट्स में डी ही क्यों? वो इसलिए कि पुलिस के लिए डी का मतलब है ‘डिस्ट्रिक्ट.’ जैसे ही पुलिस किसी गैंग को डी से जोड़ती है तो यह उसके लिए किसी सम्मान से कम नहीं होता। सिटी में डी का अलग ही  खौफ है।

Flashback

अंडरवल्र्ड ने 70 के दशक में सिटी में पैर जमाने शुरू किए। पुलिस रिकॉर्ड के अकॉर्डिंग, 1970 में अतीक अहमद ने अपने सात भाइयों के साथ मिलकर एक गैंग तैयार किया। रंगदारी और लूटपाट से शुरुआत करने के बाद गैंग ने जल्द ही हत्या, किडनैपिंग और धमकी देने की ताबड़तोड़ वारदातों से सनसनी फैला दी। गैंग की संगीन वारदातों से पुलिस की फाइल मोटी होती चली गई। इसके बाद ये गैंग डी-2 के नाम से मशहूर हो गया। डी-2  के लगातार बढ़ते खौफ को कम करने के लिए पुलिस ने गैंग के बिल्लू और रफीक का एनकाउंटर कर दिया। मगर गैंग का नेटवर्क फैलता ही चला गया। लखनऊ, दिल्ली, मुंबई, मेरठ और ईस्ट यूपी की कई बड़ी वारदातों में गैंग का नाम आया और गैंग को एक और नई पहचान आईएस-273 (इंटर स्टेट गैंग यानी डी-टू) मिल गई।

आज भी है खौफ

चार दशक बीतने के बाद भी डी-2 गैंग का खौफ बरकरार है और सिटी का सबसे एक्टिव गैंग है। फिलहाल गैंग की कमान मो। अतीक अहमद के हाथों में है। शुरुआत में 7 भाइयों के इस गैंग में 19 एक्टिव मेंबर्स थे। इनमें 7 जेल में हैं, 11 जमानत पर और 1 फरार (गैंग लीडर का भाई अफजाल) चल रहा है। अब इस गैंग को नई उम्र के लडक़े ऑपरेट कर रहे हैं।

हर फन में माहिर

चार दशकों में डी-गैंग में कई ऐसे मेंबर इतने मजबूत हो गए कि उन्होंने बगावत कर अपना नया गैंग बना लिया। अब तक डी-2 बिखरकर कुल 55 सब-गैंग्स में बंट चुका है। ये गैंग ड्रग्स की सप्लाई, भाड़े पर हत्या, अपहरण, लूट, चोरी, डकैती चेन स्नेचिंग, तार कटिंग जैसे अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। इन गैंग्स की वजह से ही सिटी क्राइम ग्राफ कभी नीचे नहीं आता है।

दूसरे के area में No entry

सभी 55 गैंग्स पुलिस की हिट लिस्ट में हैं। इनमें कई ज्यादातर गैंग के सरगना अंडरग्राउंड हो चुके हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक सभी गैंग्स में कुल मिलाकर 288 मेम्बर्स हैं। इनमें से 114 जेल में हैं। 142 जमानत पर बाहर हैं और 26 लापता हैं। गैंग्स के 6 मेम्बर्स को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया है। कई मेंबर्स आपसी गैंगवार में मारे जा चुके हैं। क्योंकि हर गैंग को उसे एरिया में किसी दूसरे की एंट्री बर्दाश्त नहीं है।

तमंचे से लेकर AK-47 तक

लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के वीपंस और फिल्मी अंदाज में वारदातों को अंजाम देना गैंग्स का शौक बन चुका है। कई गैंग्स के ज्यादातर मेंबर चाइनीज पिस्टल्स का यूज कर रहे हैं। इसके अलावा कई विदेशी हथियार भी उनकी आर्मरी का हिस्सा हैं। हथियारों की सप्लाई भी कई गैंग्स का साइड बिजनेस है। कई बार पुलिस ने गैंग के मेंबर्स को चाइनीज पिस्टल के साथ गिरफ्तार भी किया है। डी-2 गैंग के पास से तो एके-47 राइफल तक बरामद हो चुकी है.

Posted By: Inextlive