असम के बक्सा ज़िले में जातीय हिंसा की ताज़ा घटना में कम से कम छह लोग मारे गए हैं.


एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस आरएम सिंह ने बीबीसी को बताया कि मरने वालों की संख्या 12 तक जा सकती है.आरएम सिंह ने पुष्टि की है कि छह शव बरामद किए गए हैं, लेकिन यह संख्या बढ़ सकती है.उन्होंने बताया कि नारायणगुड़ी नामक गांव में कम से कम 36 घरों को जला दिया गया है.यह गांव मानस नेशनल पार्क के पास है.मारे गए सभी लोग मुसलमान हैं. हिंसा की ताज़ा घटना शाम के साढ़े छह बजे के आसपास हुई है, लेकिन पुलिस को इसके बारे में देर से जानकारी मिली.रिपोर्टों के अनुसार चालीस हथियारबंद चरमपंथियों ने गांव पर हमला कर दिया और घरों को जला दिया.इस गांव के आस पास के ग्रामीणों ने जब घरों को जलते देखा तो पुलिस चौकी को सूचना दी.पुलिस के अनुसार, कोकराझार और बक्सा जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया है.'बोडो विद्रोही जिम्मेदार'


इससे पहले गुरुवार शाम को दो अलग-अलग घटनाओं में विद्रोहियों ने दस ग्रामीणों की हत्या कर दी थी. मरने वालों में छह महिलाएं और दो बच्चे हैं. चार लोग जख्मी हैं और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है.

पुलिस के मुताबिक़ ये हत्याएं गुरुवार शाम को संदिग्ध बोडो विद्रोहियों ने की थी. मारे गए सभी लोग एक ही समुदाय से थे.पहली घटना बक्सा में नेशनल पार्क के पास नरसिंह गांव में जबकि दूसरी कोकराझार के सपूतग्राम के बालापारा में हुई थी.बोडोलैंड क्षेत्र के पुलिस महानिदेशक एल आर बिश्नोई का कहना है कि इन हत्याओं के लिए नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ़ बोडोलैंड (एनडीएफबी) का संगबिजित गुट ज़िम्मेदार है.बोडोलैंड मुस्लिम स्टूडेंट यूनियन (एबीएमएसयू) के महासचिव रकीबुल इस्लाम का दावा है कि 24 अप्रैल को मतदान के बाद से ही मुसलमानों को बोडो संगठनों द्वारा धमकियां दी जा रही थीं.चुनाव में खड़े बोडो उम्मीदवारों में पूर्व बीएसएफ प्रमुख रंजीत मूशाहारी भी शामिल हैं, लेकिन ये पहला मौक़ा है जब बोडोलैंड इलाक़े की 70 फ़ीसदी आबादी वाले ग़ैर बोडो समुदायों ने एक ग़ैर बोडो उम्मीदवार उल्फा के पूर्व कमांडर हीरा शारानिया को चुनाव मैदान में उतारा था.चुनावों से पहले बहुत से मुसलमान मतदाताओं ने बीबीसी से कहा था कि वो शारानिया को वोट करेंगे. हालांकि बोडो संगठनों द्वारा धमकी दिए जाने की बात भी स्वीकारी थी

Posted By: Subhesh Sharma