RANCHI: रिम्स में मरीजों और उनके परिजनों को बेहतर सुविधा देने का दावा प्रबंधन करता है। इस दौरान रिम्स को झारखंड सरकार ने 6 माच्र्युअरी वैन भी दी। लेकिन पहले से ही रिम्स की एंबुलेंस चलाने के लिए ड्राइवर नहीं हैं। नतीजन, मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पाता। अब नई गाडि़यां भी आ गई हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इन गाडि़यों को चलाएगा कौन? बताते चलें कि रिम्स में गाडि़यों की तुलना में ड्राइवर नहीं के बराबर हैं।

दो बड़ी एंबुलेंस भी शोपीस

मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पावर ग्रिड ने भी रिम्स को दो बड़ी एंबुलेंस गिफ्ट दिया। ताकि जरूरतमंदों को सरकारी रेट पर एंबुलेंस मिल जाए। लेकिन ये दोनों एंबुलेंस भी रिम्स की शोभा बढ़ा रही हैं। कभी-कभार ये एंबुलेंस फ्री में मरीजों को उपलब्ध करा दी जाती हैं। इन दोनों एंबुलेंस के लिए रिम्स प्रबंधन न तो रेट तय कर पाया और न ही चलाने के लिए ड्राइवरों की बहाली हुई है। इसका फायदा प्राइवेट एंबुलेंस वाले उठा रहे हैं।

कार्डियक एंबुलेंस का रेट तय नहीं

हॉस्पिटल में तीन कार्डियक एंबुलेंस हैं। ये तीनों एंबुलेंस पीएम और प्रेसीडेंट विजिट पर ही निकलती हैं। इसके अलावा अगर कोई वीआईपी मूवमेंट हो तभी एंबुलेंस बाहर निकलती हैं और इसमें ड्राइवरों की ड्यूटी लगती है। इसके बाद इन्हें दोबारा गैराज में शिफ्ट कर दिया जाता है। वहीं आजतक कार्डियक एंबुलेंस का रेट तक तय नहीं किए जाने से मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

19 गाडि़यों के लिए 57 ड्राइवरों की जरूरत

रिम्स के पास पहले से ही अपनी एंबुलेंस व अधिकारियों की गाडि़यां हैं। इसके अलावा दो बस भी डॉक्टरों व मेडिकोज के लिए हैं। ऐसे में सभी को मिलाकर 19 गाडि़यां हैं, जिसके लिए तीन शिफ्ट में 57 ड्राइवरों की जरूरत हैं। लेकिन यहां पर 14 ड्राइवरों से ही काम चलाया जा रहा है। उसमें से भी एक ड्राइवर की ड्यूटी हेल्थ मिनिस्टर के आवास में है। वहीं दो ड्राइवर डायरेक्टर और एक सुपरिंटेंडेंट के पास ड्यूटी करते हैं।

Posted By: Inextlive