अनदेखी के चलते बांट-माप की 60 लाख की वैन को लगी जंग

10 साल पहले शुगर मिलों के धर्मकांटों की जांच के लिए दी गई थी मोबाइल ब्रिज टेस्टिंग वैन

60 लाख रुपए की मोबाइल ब्रिज टेस्टिंग वैन सिखेड़ा गांव में खा रही जंग

1200 गन्ना तौल केंद्र हैं समूचे मेरठ मंडल में

200 तकरीबन तौल केंद्र बने हैं मिलों के गेट पर

Meerut। जिले की शुगर मिलों में लगे धर्मकांटों की जांच के लिए बांट-माप तौल विभाग को 10 साल पहले दी गई करीब 60 लाख रुपए की मोबाइल ब्रिज टेस्टिंग वैन सिखेड़ा गांव में जंग खा रही है। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही चलते पिछले छह साल से मशीन खराब खड़ी है, लेकिन विभाग के अधिकारियों को इसकी सही लोकेशन तक का पता नही चला। मामले में शिकायत के बाद जब लखनऊ तक बात पहुंची तो आनन फानन में विभाग ने मशीन को तलाश कर मरम्मत के लिए बजट बनाना शुरु कर दिया है।

पांच साल बाद ही गुम हुई मशीन

केंद्र सरकार ने बडे़ व औद्योगिक इकाइयों जैसे शुगर मिलों में गन्ना तौलने के लिए बने धर्मकांटों की जांच के लिए साल 2008 में मेरठ बांट-माप विभाग को करीब 60 लाख रुपए लागत की 10 टायरा मोबाइल ब्रिज टेस्टिंग वैन उपलब्ध कराई थी। इस वैन से शुगर मिलों में मौके पर जाकर टनों के हिसाब से तौल केंद्र यानि धर्मकांटों की जांच की जाती थी। लेकिन इसे भ्रष्टाचार कहें या बांट-माप के तत्कालीन अधिकारियों की शुगर मिलों के मालिकों से मिलीभगत से कुछ समय बाद ही मशीन को गायब कर दिया गया।

धूल फांक रही वैन

गौरतलब है कि करीब पांच साल बाद 2013 में इस वैन का प्रयोग अचानक बंद कर दिया गया। इस मशीन को शुरूआत में खराब बताकर कुछ समय तक दौराला शुगर मिल डिस्टिलरी में छुपा कर खडा रखा गया। इसके बाद मवाना रोड स्थिति सिखेड़ा की एक फैक्ट्री में खड़ा कर दिया गया।

लाखों की घटतौली

मेरठ मंडल में करीब 1200 गन्ना तौल केंद्र हैं वहीं मिल के गेट पर करीब 200 तौल केंद्र हैं। सूत्रों के अनुसार प्रत्येक गन्ना तौल केंद्र को पांच प्रतिशत घटतौली पर सेट किया जाता है। जिसके चलते हर माह लगभग एक लाख रुपए के गन्ने की घटतौली की जाती है। इस प्रकार से मेरठ मंडल में घटतौली से गन्ना किसान से प्रत्येक माह लगभग 20 करोड़ रुपए और गन्ना सीजन में पांच से छह करोड़ की लूट होती है।

जांच के बाद जागा विभाग

इस मामले में मेरठ की सच संस्थान के प्रभारी संदीप पहल की शिकायत पर लखनऊ से विधिक माप विज्ञान विभाग के नियंत्रक डॉ। राम मनोहर मिश्रा ने बीते दिनों मेरठ पहुंच कर अधिकारियों के साथ बैठक लेकर इस मशीन का अपडेट लिया तो आनन फानन में अधिकारियों ने बताया कि एक साल से मशीन खराब है और बजट के अभाव में मशीन सही नही हो पा रही है। नियंत्रक के आदेश पर अब मशीन की रिपेयरिंग का बजट तैयार करना शुरु कर दिया गया है।

यह मशीन गुम नही हुई थी खराब थी इसके संबंध में रिपेयरिंग का बजट तैयार किया जा रहा है। बाकी जांच चल रही है।

आनन्द स्वरुप, डिप्टी कंट्रोलर

Posted By: Inextlive