हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध गीतकारों का नाम लिया जाए और उसमें ग़ुलज़ार नाम से प्रसिद्ध सम्पूर्ण सिंह कालरा का नाम शामिल न हो ऐसा कभी नही हो सकता है। जी हां 18 अगस्त 1936 को जन्‍में गीतकार गुलजार सिर्फ एक गीतकार ही नहीं बल्‍िक एक कवि पटकथा लेखक फ़िल्म निर्देशक तथा नाटककार भी हैं। उनकी रचनाओं के आज लाखों की संख्‍या में प्रशंसक हैं। हर उम्र के लोगों के बीच उनकी रचनाएं छाई पड़ी हैं। गुलजार अब तक कई बड़े अवार्ड से सम्‍मानित भी हो चुके हैं। ऐसे में आइए आज इस विशेष दिन पर जानें आंधी और मौसम के गुलजार के बारे में ये खास 7 बातें...


अनगिनत यादगार गीत‘तुझसे नाराज नहीं’ और ‘तेरे बिना जिंदगी से’ जैसे अनगिनत यादगार गीत लिखने वाले गीतकार गुलजार मुख्य रूप से हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी के रचनाकार हैं। इनके गीत आज भी हर उम्र के लोगों के बीच अपनी एक विशेष जगह बनाए हुए हैं। गीतकार गुलजार ने एक कवि के रूप में भी एक पहचान बनाई है। उनकी कविताओं के तीन संग्रह ‘चांद पुखराज का’, ‘रात पश्मीने की’ और ‘पंद्रह पांच पचहत्तर’ प्रकाशित हो चुके हैं। फिल्मों का निर्देशन गीतकार गुलजार ने बॉलीवुड फिल्मों के निर्देशन में भी विशेष जगह बनाई है। जिसमें उनकी मुख्य फिल्में ‘आंधी’ तथा ‘मौसम’ शामिल हैं। ये फिल्मे काफी चर्चा में रही हैं। गुलजार साहब ने करीब 15 से अधिक फिल्मों का निर्देशन किया। जिनमें फिल्म मेरे अपने, परिचय, कोशिश, अचानक, खुशबू, किनारा, किताब, अंगूर, नमकीन समेत कई फिल्मे शामिल हैं। इन अवार्डो से सम्मानित
गुलजार ने अपने जीवन में कई अवार्ड पाए हैं। उन्हें 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार,2009  फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर के गीत 'जय हो' के लिए ग्रैमी पुरस्कार मिला। वहीं 2002 मे सहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष 2004 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुके हैं। वहीं इसके साथ ही करीब 7 नेशनल अवार्ड और 20 फिल्म फेयर अवार्ड अब तक उन्हें मिले हैं।


मेकेनिक से शुरू हुआ सफरगीतकार गुलजार का बचपन काफी उतार चढ़ाव में बीता, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। मुंबई स्थित वर्ली के एक गेरेज में बतौर मेकेनिक काम करने वाले गुलजार ने अपने जीवन को एक बेहतर मुकाम की ले जाने का प्रयास किया। यह अविभाजित भारत के झेलम जिला पंजाब के दीना गांव में पैदा हुए थे। जो अब पाकिस्तान में शामिल है। इनका असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है। फ़िल्म बंदनी में पहला गीतभारत पाक के बटवारे के बाद इनका परिवार परिवार अमृतसर (पंजाब, भारत) आकर बस गया, लेकिन गुलजार साहब यहां से मुंबई का रुख कर गए। यहां मैकेनिक का काम करते हुए इन्होंने कविताएं लिखना शुरू कर दिया। इसके बाद धीरे धीरे ये अपनी कलम को धार देते चले गए है। इन्होंने बिमल राय की 1956 में आई फ़िल्म बंदनी के लिए पहला गीत लिखा। गुलज़ार त्रिवेणी छ्न्द के सृजक माने जाते हैं।धारावाहिकों में भी योगदान

इसके बाद तो जैसे इनका सफर गति पकड़ने लगा। फ़िल्म इंडस्ट्री में इन्होंने एक सहायक के रूप में काम शुरू कर दिया। जिसमें ये बिमल राय, हृषिकेश मुख़र्जी और हेमंत कुमार के सहायक बने।  इतना ही नहीं इन्होंने धारावाहिकों की दुनिया में भी अपना योगदान दिया है। ‘मिर्जा गालिब’ और ‘तहरीर मुंशी प्रेमचंद की’ धारावाहिक खूब सराहे गए। धारावाहिक ‘हैलो जिंदगी’, ‘पोटली बाबा की’ और ‘जंगल बुक’ के गीत भी इन्होंने लिखे।राखी के साथ शादी रचाईगुलजार ने मशहूर अभिनेत्री राखी गुलजार के साथ शादी रचाई। हालांकि इनका दांपत्य जीवन ज्यादा दिन नहीं चल सका। एक बेटी मेघना गुलजार होने के बाद ये दोनों अलग हो गए। मेघना की परवरिश उनके गीतकार गुलजार ने ही की है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से फिल्मों में स्नातक करने के बाद मेघना भी पिता की राह पर चल पड़ी। अपने पिता की जीवनी लिखने के साथ ही वह निर्देशन की दुनिया में अपनी छाप छोड़ रही हैं।

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Posted By: Shweta Mishra