फ़्लिपकार्ट वेबसाइट से 25000 रुपए में एक सैमसंग मोबाइल फ़ोन ख़रीदने वाली को नवंबर में जो पैकेट मिला उसमें एक पत्थर था. स्नैपडील से सैमसंग फ़ोन ख़रीदने वाले व्यक्ति को उसमें विम साबुन की एक टिकिया मिली.


जिस अख़बार में यह ख़बर छपी थी उसके अनुसार फ़्लिपकार्ट इसके बदले दूसरा फ़ोन भेज रहा है. स्नैपडील ने पैसा वापस कर दिया है (और विशेष पहल करते हुए विम साबुन बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर ने उस उपभोक्ता को एक सैमसंग फ़ोन भेजा है).गुड़गांव में एक मोबाइल-फ़ोन स्टोर के मालिक ने ऐसी ख़बरों की कतरनों को बोर्ड पर लगा रखा है ताकि यह बताया जा सके कि ऑनलाइन ख़रीदारी कितनी अविश्वसनीय हो सकती है.वह यह भी कहते हैं कि भारतीय ऑनलाइन ख़रीदारी के लिए अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने को लेकर सहज नहीं हैं. और हां, पिछले साल ख़ुदरा ख़रीद में से ऑनलाइन बिक्री का हिस्सा 1% से भी कम था.


सभी उपभोक्ता ऑनलाइन ख़रीदारी नहीं करते. लेकिन उनमें से बहुत से मॉलों, डिपार्टमेंट स्टोरों और तो और किराना स्टोरों में जाने से पहले ऑनलाइन दाम देख लेते हैं. वह बहुत ज़्यादा सौदेबाज़ी करते हैं.लेकिन ऑनलाइन मिलने वाले ऑफ़र्स में अक्सर डिस्काउंट होते हैं, कई बार सब्सिडी भी होती है. उनसे मुकाबले के लिए कई बार दुकानदारों को घाटे में माल बेचना पड़ता है.कुछ उत्पादों पर भारी असर

जाने-माने ब्रांडों, मॉडल और विशिष्टता वाले उत्पादों को ऑनलाइन ख़रीदना आसान होता है. महानगरों से बाहर के कुछ कंप्यूटर उत्पादों के व्यापारियों ने तो बिक्री में 25% तक गिरावट की बात कही है, जिसकी वजह वह ऑनलाइन बिक्री को बताते हैं.मोटोरोला और शियोमी जैसे कुछ फ़ोन ब्रांड तो फ़्लिपकार्ट जैसे ई-रिटेलर्स के साथ 'एक्सक्लूसिव' डील्स कर रहे हैं.छोटे कस्बों में बड़ा बाज़ारहालांकि सेल्स (सस्ते में सामान बेचना) खुदरा बिक्री का एक पुराना हिस्सा है लेकिन किसी बड़ी खुदरा शृंखला की सेल भी पूरे देश को प्रभावित नहीं करती.लेकिन ई-टेलिंग में जिस तरह की छूट दी जा रही हैं, जैसे फ़्लिपकार्ट की बिग बिलियन डे और अमेज़न का दिवाली धमाका सप्ताह, उसने देश भर में बाज़ारों, कीमतों को हिलाकर रख दिया.भारी छूटों ने एक पैमाना तय कर दिया और फिर ग्राहक खुदरा व्यापारियों से भी उसी दाम के लिए सौदेबाज़ी करते हैं.दिल्ली में एक शोरूम के मैनेजर ने बताया, "खरीदार धमाकेदार सेल की न्यूनतम कीमत देखते हैं और फिर उसी दाम पर हमसे सामान मांगते हैं".मुफ़्त वितरण और बदलनामुफ़्त में सामान पहुंचना (फ़्री डिलीवरी) और बदले जाने (रिप्लेसमेंट) की स्थिति में मुफ़्त में उठाया जाना ऐसे ग्राहकों के लिए बहुत आकर्षक होता है जो मॉल तक नहीं जाना चाहते.

एक बार फिर ई-रिटेलर निवेशकर्ताओं के पैसे को ही डिलिवरी और लॉजिस्टिक्स में सब्सिडी देने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.सामान्य खुदरा व्यापारियों के लिए इससे मुकाबला करना मुश्किल है. कुछ उपभोक्ता ई-टेलर्स से डिलिवरी मिलने में देरी की शिकायत करते हैं लेकिन फ़्री डिलिवरी एक आकर्षक प्रस्ताव है.भले ही ऑनलाइन ई-कॉमर्स अभी छोटा हो, लेकिन विशाल पूंजी की सहायता से, यह बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है.सामान पर दी जा रही छूट बहुत से ग्राहकों को ऑनलाइन ख़रीदारी की ओर ला रही है और पारंपरिक खुदरा व्यापारियों का संतुलन गड़बड़ा रहा है जिनके पास ई-टेलिंग के फ़ायदे नहीं हैं.बहरहाल, भारत में उपभोक्ताओं के लिए यह समय बहुत अच्छा है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh