RANCHI : केस वन

सरोजा अपने परिजन का इलाज रिम्स में करा रही थी। उसे डॉक्टरों ने ठीक होने के बाद डिसचार्ज कर दिया। जब वह मरीज को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस रिजर्व करने पहुंची तो सोनाहातू जाने के लिए ढाई हजार रुपए मांगे गए। इस पर सरोजा ने असमर्थता जताते हुए कहा कि मरीज को लाने में तो 1500 रुपए लिए गए थे। इसके बाद भी एंबुलेंस चालकों ने उसके मरीज को ले जाने के लिए राजी नहीं हुए।

केस टू

दीपक अपने पिता को इलाज के लिए रिम्स लेकर आए थे। ठीक होने के बाद उन्हें घर ले जाने के लिए एंबुलेंस चाहिए था। जब वह प्राइवेट एंबुलेंस के लिए उसके बुकिंग ऑफिस पहुंचे तो हटिया जाने के लिए उनसे एक हजार रुपए मांगे गए। उन्होंने भाड़ा कुछ कम करने को कहा लेकिन संचालकों ने नहीं सुनी। बाद में वह जिंदगी मिलेगी दोबारा के एंबुलेंस से अपने मरीज को बिना कोई चार्ज दिए ले गए।

रिम्स में ऐसी परेशानी से सिर्फ सरोजा और दीपक को ही दो चार नहीं होना पड़ा। यहां आने वाले अन्य मरीजों के परिजनों को भी प्राइवेट एंबुलेंस को लेकर ऐसी ही प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है। हाल यह है कि रिम्स कैंपस में संचालित हो रहीं प्राइवेट एंबुलेंस के संचालकों की मनमानी कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। रांची में 10 किलोमीटर जाने के लिए भी ये लोग 700-1000 रुपए वसूल रहे हैं। इतनी ही नहीं 80 किलोमीटर का किराया इन लोगों ने 2500 रुपए रखा है। इससे मरीजों के परिजनों के लिए प्राइवेट एंबुलेंस लेना बस के बाहर हो रहा है। इतना ही नहीं परिजनों की मजबूरी का फायदा उठाकर ये डेड बॉडी ले जाने के नाम पर मुंहमांगी रकम वसूल रहे हैं।

सरकारी एंबुलेंस का लाभ नहीं

हॉस्पिटल में रिम्स के एंबुलेंस लोगों को सरकारी दर पर उपलब्ध कराए जाते हैं। इसमें छोटे एंबुलेंस के लिए 6 रुपए प्रति किलोमीटर चार्ज है। जबकि बड़े एंबुलेंस के लिए 9 रुपए प्रति किलोमीटर देना होता है। लेकिन ड्राइवर की कमी और रिम्स की एम्बुलेंस को रांची से बाहर नहीं भेजने के कारण मरीजों और परिजनों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से भी प्राइवेट एंबुलेंस चालकों की मनमानी और बढ़ गयी है।

Posted By: Inextlive