शहर में ऐसे तमाम स्टूडेंट्स हैं जो 90 प्रतिशत अंक लाने वालों की कतार में नहीं हैं. 80 प्रतिशत अंक लाकर भी गिल्ट महसूस कर रहे हैं.

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Meerut: मोहित, रोहन, चाहत सिर्फ उदाहरण भर हैं. शहर में ऐसे तमाम स्टूडेंट्स हैं जो 90 प्रतिशत अंक लाने वालों की कतार में नहीं हैं. 80 प्रतिशत अंक लाकर भी गिल्ट महसूस कर रहे हैं. अपनी परफार्मेंस पर खुद को कोस रहे हैं. उन्हें लगता है कि अब आगे उनके लिए कोई विकल्प नहीं हैं और डिप्रेशन का शिकार हो गए हैं. किशोर-किशोरी परामर्श केंद्र में बीते दो दिन में जहां 30 से ज्यादा ऐसे मामले आ चुके हैं वहीं काउंसलर्स के पास भी ऐसे मामलों की कतार लंबी है.

केस-1
रोहन (काल्पनिक नाम) के 12 में 80 प्रतिशत मा‌र्क्स आए हैं. वह खुश नहीं हैं. दूसरे स्टूडेंट्स से खुद की तुलना कर रहा है और गिल्ट का शिकार हो गया है.

केस-2
चाहत (काल्पनिक नाम) के 10वीं में 84 प्रतिशत अंक हैं. वह डिप्रेशन में हैं. उसे लगता है कि वह अब आगे कुछ भी अच्छा नहीं कर पाएगी.

केस-3
मोहित (काल्पनिक नाम)के 12वीं में 70 प्रतिशत मा‌र्क्स हैं. वह कहता है कि उसके लिए तमाम विकल्प खत्म हो गए हैं. टॉपर्स के मुकाबले इतने कम मा‌र्क्स की वजह से दिन-रात परेशान रहने लगा है.

यह है स्थिति
रिजल्ट्स आने के बाद जिला अस्पताल में स्थित परामर्श केंद्र में कई पेरेंट्स और स्टूडेंट्स पहुंच रहे हैं. अधिकतर पेरेंट्स की शिकायत है कि उनके बच्चे 80-85 मा‌र्क्स स्कोर देखकर किसी से बात नहीं कर रहे हैं. चिड़चिड़ाहट में घर से निकलना बंद कर दिया है. अकेले और गुमसुम हो गए हैं. जबकि स्टूडेंट्स का कहना है कि इस स्कोर के साथ वह कहीं भी स्टैंड नहीं कर रहे हैं.

न हो स्टूडेंट्स परेशान
सीबीएसई की काउंसलर डॉ. पूनम देवदत्त कहती हैं कि उनके पास ऐसे तमाम केस आ रहे हैं. नंबर्स की दौड़ में स्टूडेंट्स खुद को शामिल न करें. नंबर्स इज जस्ट सम डिजिट्स. स्टूडेंट्स हताश न हो. अपनी क्षमता को पहचाने और आगे के विकल्प के बारे में सोंचे.

रिजल्ट्स के बाद से स्टूडेंट्स और पेरेंट्स काफी संख्या में आ रहे हैं. 80 प्रतिशत स्कोर करके भी स्टूडेंट्स डिप्रेशन में हैं. मा‌र्क्स बताने में भी वह शर्म फील कर रहे हैं. यह ठीक नहीं है.
- डॉ. दिव्यांक दत्त, परामर्शदाता, किशोर-किशोरी केंद्र.

Posted By: Lekhchand Singh