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PATNA : बिहार में तकनीकी शिक्षा बदहाल है. इसका ताजा उदाहरण हाल ही में स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन, पटना द्वारा जारी थर्ड सेमेस्टर के स्टूडेंट्स का है. लैटरल एंट्री के तहत शामिल पॉलिटेक्निक के इन स्टूडेंट्स में प्रदेश स्तर पर करीब 95 परसेंट स्टूडेंट्स फेल हैं. जो पास हैं उन्हें भी डी ग्रेड मिला है. जिस आधार पर वे अगले सेशन में एडमिशन भी नहीं ले सकेंगे. जबकि जो छात्र फेल हैं उनका साल भर बर्बाद हो गया है. इससे सभी स्टूडेंट्स अवगत हैं. इस बारे में जब बोर्ड के स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन से फोन पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने संपर्क किया तो उन्होंने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली. उन्होंने यह भी नहीं बताया कि किन कारणों से ऐसा हुआ.

यह है पूरा मामला

बीसीईसीईबी के द्वारा प्रतिवर्ष लैटरल एंट्री के तहत साइंस से 12वीं पास या आईटीआई पास स्टूडेंट्स की परीक्षा ली जाती है और उन्हें सीधे थर्ड सेमेस्टर में एडमिशन मिलता है. लेकिन इस बार पूरी प्रक्रिया में बीसीईसीईबी ने परीक्षा से एडमिशन तक तीन माह की देरी की. इसके बाद मात्र एक से डेढ़ माह में में छह माह की थर्ड सेमेस्टर की पढ़ाई छात्रों ने स्वंय की. छात्रों ने बताया कि कॉलेज में भी इसके लिए शिक्षकों व संसाधनों की व्यवस्था नहीं दी गई. नतीजतन 95 फीसदी छात्र फेल हो गए हैं. इसमें करीब 4800 छात्र प्रभावित हैं. उनका कहना है कि उनके करियर के साथ खिलवाड़ किया गया है. आखिर एडमिशन और परीक्षा की प्रक्रिया में बोर्ड की लापरवाही का खामियाजा छात्रों को क्यों भुगतना पड़ रहा है?

बोर्ड ने बीसीईसीइबी को कोसा

जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के सचिव भगवान सिंह से फोन पर संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि यह गलती बीसीईसीईबी बोर्ड की है. परीक्षा के बाद काफी समय इसने क्यों बर्बाद किया. क्योंकि इसके बाद टेक्निकल बोर्ड ने एडमिशन की प्रक्रिया पूरी कर समय पर रिजल्ट देने का काम किया है. इसलिए इसमें हमारी बोर्ड के कामकाज पर कोई प्रश्न नहीं है.

नियमों की हुई अनदेखी

एआईसीटीई का टेक्निकल एजुकेशन के संबंध में स्पष्ट निर्देश है कि मेडिकल, इंजीनियरिंग सहित अन्य तकनीकी कोर्स की एडमिशन प्रक्रिया हर हाल में 15 अगस्त से पहले पूरी कर हो. लेकिन यहां नियमों की अनदेखी की गई. हकीकत यह है कि लैटरल एंट्री के लिए एडमिशन का रिजल्ट ही सितम्बर, 2018 माह में निकला. हद यह है कि रिजल्ट निकलने के 3 माह बाद एडमिशन प्रक्रिया पूरी हुई.

4788 स्टूडेंट्स प्रभावित

ज्ञात हो कि थर्ड सेमेस्टर के खराब रिजल्ट से 5040 छात्रों में 95 परसेंट फेल हुए हैं. जिसकी संख्या 4788 है. कुल छात्रों में 1200 छात्र सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज जबकि 3840 छात्र प्राइवेट पॉलिटेक्निक कॉलेज के शामिल हैं. इसमें मेकेनिकल, सिविल, इलेक्टिकल , इलेक्ट्रानिक्स और कम्प्यूटर साइंस ट्रेड के छात्र शामिल हैं.

सवाल जो छात्र पूछ रहे

छह महीने की पढ़ाई डेढ़ माह में क्यों पूरा करने का दबाव दिया गया?

20 मा‌र्क्स के ऑब्जेक्टिव में एक अंक, दो अंक, तीन अंक जैसे मा‌र्क्स क्यों दिये गए?

कॉलेज में शिक्षकों और संसाधनों का टोटा क्यों? कैसे हो पढ़ाई?

नियम विरुद्ध 15 अगस्त के बाद एडमिशन प्रक्रिया क्यों पूरी की गई? जीरो सेशन क्यों नहीं किया गया?

Posted By: Manish Kumar