आज ही के दिन यानी कि 25 नवंबर को 1975 में सूरीनाम ब्रिटिश और डच के शासन से आजाद हुआ था। यहां अब यूपी-बिहार वाले भी रहते हैं और यहां भोजपुरी भी बोली जाती है।


कानपुर। आज यानी कि 25 नवंबर को सूरीनाम में पूरे धूमधाम से आजादी दिवस का जश्न मनाया जा रहा है। डचगुयाना की एक वेबसाइट के मुताबिक, सूरीनाम दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के उत्तर में स्थित एक देश है। सूरीनाम को 25 नवंबर, 1975 को नीदरलैंड से आजादी मिली थी। अब यहां की राजधानी पैरामारिबो है। बता दें कि 17 वीं शताब्दी में सूरीनाम पर ब्रिटिश और डच लोगों का कब्जा था, वे वहां पर बाहर से लोगों को ले जाकर अपने फायदे के लिए उनसे खेती करवाया करते थे। काफी संघर्षों के बाद 1975 में सूरीनाम को नीदरलैंड के शासन से आजादी मिली और यहां नया संविधान बना। बता दें कि सूरीनाम में 27.4 फीसदी आबादी सिर्फ हिंदुओं की है।इन दिन पहुंचे थे यूपी और बिहार वाले
'गार्जियन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 5 जून, 1873 को, पहली बार कई मजदूर भारत से सूरीनाम की आधुनिक राजधानी पैरामारिबो पहुंचे थे। इसके बाद 1873 से 1916 के वर्षों के दौरान करीब 34,000 से अधिक भारतीय मजदूरों को पांच साल के कॉन्ट्रैक्ट पर लाया गया, उनमें से अधिकतर उत्तर प्रदेश और बिहार से थे। डच लोगों ने इन भारतीयों को श्री राम की पवित्र भूमि और तीर्थयात्रा बताकर सूरीनाम पहुंचा दिया और बाद में उन्हें वहां की नागरिकता दे दी। यह जानकार आपको हैरानी होगी कि सूरीनाम में सबसे अधिक भोजपुरी या कैरीबियन भाषा बोली जाती है।10 जिलों में विभाजित है सूरीनामसूरीनाम को कुल 10 जिलों में विभाजित किया गया है। सूरीनाम का समाज बहुसांस्कृतिक है, जिसमें अलग-अलग जाति, भाषा और धर्म वाले लोग निवास करते हैं। देश की एक चौथाई जनता हर दिन 2 डॉलर से कम पर जीवनयापन करती है। इसके अलावा सूरीनाम बहुत से प्रसिद्ध फुटबॉल खिलाड़ियों की जन्म-भूमि भी रही है।

Posted By: Mukul Kumar