कानपुर जू में बाघिन त्रुशा के दो बच्चों की मौत का मामला दिन पर दिन तूल पकड़ता जा रहा है.


कानपुराइट्स एक स्वर से जू के जानवरों को बचाने की मांग कर रहे हैं। आई नेक्स्ट की मुहिम से लोग जुड़ते जा रहे हैं। हाल ये है कि कारवां बढ़ता जा रहा है। वेडनेसडे को डीपीएस कल्याणपुर के स्टूडेंट्स ने हाथों में तख्तियां लेकर जू कैंपस में मार्च किया। स्टूडेंट्स ने जू के डायरेक्टर से पूछा, सर आखिर उन दोनों कब्स की मौत कैसे हुई।आना ही पड़ा डायरेक्टर कोइम्पलाइज के रोकने पर भी जब स्टूडेंट्स का गुस्सा कम नहीं कम हुआ तो आनन फानन में जू डॉयरेक्टर को स्टूडेंट्स के पास आना ही पड़ा। एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग में डॉयरेक्टर के प्रवीण राव के न मिलने पर स्टूडेंट्स ने हाथों में पोस्टर्स लेकर मार्च निकाला। इस पर इम्पलाइज ने डायरेक्टर को फोन से इंफॉर्म किया तब जाकर वो स्टूडेंट्स से मिलने पहुंचे।Students ने किए सवाल


जानवरों की मौत से दुखी डीपीएस कल्याणपुर के स्टूडेंट्स अपना गुस्सा जाहिर करने जू पहुंच गए। जब वो डायरेक्टर से मिलने उनके ऑफिस गए तो वो वहां नहीं थे। स्टूडेंट्स के मार्च करने की खबर सुनकर वो बच्चों से मिलने उनके पास पहुंचे। कब्स की मौत से गुस्साए बच्चों ने डायरेक्टर साहब पर सवालों की बौछार कर दी। एक के बाद एक सवालों की बौछार से वो परेशान हो गए। इतना ही नहीं डायरेक्टर साहब बच्चों के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे थे तो अपने मोबाइल से रिकार्डिंग शुरू कर दी। स्टूडेंट: पिछले साल डियर मरे थे। इसके बाद जू में तीन कब्स का जन्म हुआ। यह खबर सुनकर हम लोग बहुत खुश थे। अभी इनको देख भी नहीं पाए थे कि दो कब्स की मौत हो गई। आखिर इनकी मौत कैसे हुई? डायरेक्टर: चिढ़ते हुए बोले, वेरी नाइस क्वेश्चन। अरे ये उनकी लाइफ पर डिपेंड करता है। बाघ के बच्चों को पूरी डाइट दी जा रही थी लेकिन अचानक उनकी हालत बिगड़ गई। जब तक केयर टेकर समझ पाते तब तक वो मर चुके थे। इनकी मौत का कारण जानने के लिए आईवीआरआई बरेली को सैंपल भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के अब तीसरे बच्चे पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।स्टूडेंट: एशिया के सबसे बड़े जू में जिस तरह से जानवर मर रहे हैं उसके लिए आप क्या कर रहे हैं। हमने सोचा था कि यहां आकर कई नए जानवर देखने को मिलेंगे। लेकिन, यहां तो कई पिंजड़े खाली हैं।

डायरेक्टर: जब से मैंने कानपुर जू ज्वॉइन किया है तब से जानवरों की संख्या बढ़ी है। बाड़े खाली हैं तो उनमें पक्षी या जानवर लाने की प्लानिंग की जा रही है।स्टूडेंट: जू में ग्रीनरी की बातें होती हैं लेकिन यहां कई पेड़ कटे हुए हैं।डायरेक्टर: इन पेड़ों को काटा नहीं गया है बल्कि पेड़ अपने आप गिर गए हैं, विजिटर्स को कोई दिक्कत न हो इसके लिए इन्हें किनारे कर दिया गया है।आई नेक्स्ट ने पिछले कुछ दिनों में कानपुर जू के एक के बाद एक कारनामे का खुलासा किया। इसी कड़ी में पेश है जू एडमिनिस्ट्रेशन का एक और कारनामा। जीहां, ये कारनामा है ऐमू बर्ड के एग से रिलेटेड। एग को सहेजने और उसके पालन को प्रमोट करने के लिए पूरे देश में वर्कशॉप्स ऑर्गनाइज की जा रही हैं। वहीं दूसरी तरफ जू में ऐमू का एग उसी को खिलाकर खत्म किया जा रहा है। एक और लापरवाहीजू एडमिनिस्ट्रेशन की एक के बाद एक लापरवाही सामने आ रही हैं। सर्दियों में ऐमू बर्ड की डाइट में न्यूट्रीशिन की मात्रा बढ़ाने के लिए डेली एग मिक्स किया जाता है। मुर्गी के अंडे को उसके खाने में मिलाकर देने से बर्ड को पूरा न्यूट्रीशन मिलता है लेकिन जू एडमिनिस्ट्रिेशन इसकी जगह ऐमू के एग को ही उसकी डोज में मिक्स कर देता है।क्या करें, इन eggs का

मुर्गी के एग की जगह ऐमू का एग उसे खिलाने का रीजन पूछने पर जू एडमिनिस्ट्रेशन ने चुप्पी साध ली। ऑफिशियल्स ने टालते हुए अंदाज में कहा कि ऐमू की संख्या बढ़ती जा रही है। इसको रोकने के लिए ऐमू का एग उसी को खिलाया जा राहा है। उनका कहना है कि एग बेकार न हो जाए.  इसलिए उसे ही मुर्गी के एग की जगह यूज कर लेते हैं।तो फिर aware क्यों नहींएक तरफ देश के डिफरेंट स्टेट्स जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक में ऐमू पालन पर काफी जोरों से काम हो रहा है। 3 दिसंबर से सिटी में भी पहली बार ऐमू पालन पर एक वर्कशॉप ऑर्गनाइज होने जा रही है। दूसरी ओर जू एडमिनिस्ट्रेशन को देखिए वो ऐमू के एग को उसी को खिला कर संख्या बढऩे से रोका रहा है।ऐमू हैं useful
देश भर में इस टाइम कुल 45,000 ऐमू हैं। इसकी स्किन से लेकर फैदर, नेल्स और मीट तक को एक्सपोर्ट किया जाता है। ऐमू का मीट दूसरे एनीमल्स के मीट से कहीं ज्यादा हेल्दी होता है इसके साथ ही इसके फैदर को डेकोरेशन से लेकर पिलो तक में यूज किया जाता है। इनके नेल्स को भी डेकोरेशन के लिए यूज किया जाता है। इसकी स्किन का लेदर काफी कीमती है। जो बढ़ी मात्रा में एक्सपोर्ट किया जाता है। ऐमू की बॉडी से निकला ऑयल ज्वाइंट और मसल्स पेन में रिलीफ देता है। स्किन पर भी इसका ऑयल लगाने से स्किन ग्लो करने लगती है।15 से 18 सौ रुपए है कीमतऐमू के एक एग की कीमत यूपी में 15-18 सौ रूपए है। उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु में इसकी कीमत ढाई से तीन हजार रूपए तक है। एग में प्रोटीन और विटामिन की अधिकता होने के कारण महाराष्ट्र में लोग इसे ज्यादा खाते हैं। इसको  एक्सपोर्ट भी किया जाता है। दूसरी कंट्रीज में भी ऐमू के एग को लोग शौक से खाना पसंद करते हैं।

Posted By: Inextlive