Patna : आखिर क्या कारण है कि 277 हत्या का आरोपी आराम से बरी हो जाता है. 20-20 लाख का इनामी अपराधी को भी बेल मिल जाता है. इस बेल में कहीं खेल तो नहीं.


एक गुप्त समझौता हुआ था
रणवीर सेना के सुप्रीमो ब्रह्मेश्वर मुखिया की रिहाई हो गयी, जबकि कई बड़े माओवादियों की रिहाई होने वाली है। द संडे गार्जियन ने 10 जून के अंक में एक रिपोर्ट छापी है, जिसमें रणवीर सेना सुप्रीमो और माओवादियों के बीच एक गुप्त समझौता होने की बात कही गयी है। आई नेक्स्ट की स्पेशल रिपोर्ट.

मधुर सबंध बनाना आया काम
ब्रह्मेश्वर मुखिया को वर्ष 2002 में अरेस्ट किया गया था और 8 जुलाई 2011 में जेल से रिहा किया गया। इन नौ सालों के दरम्यान ब्रह्मेश्वर मुखिया और माओवादियों के कुछ खास बंदियों से जेल में काफी अच्छे संबंध हो गये थे। संडे गार्जियन में पब्लिश्ड खबर की मानें तो इन दोनों के बीच एक समझौता हुआ और दोनों ने एक दूसरे पर से केस हटाने या फिर अपने गवाहों को मुकर जाने की रणनीति बनायी। सोर्सेज की मानें तो इसी गुप्त समझौते का नतीजा रहा कि ब्रह्मेश्वर मुखिया पर दर्ज हत्या के मामले में भी आराम से राहत मिल गयी.

शांति के लिए सब थे तैयार
बिहार में शांति रहे और किसी द्वेष के कारण जान न जाये। इसे माले नेता और मुखिया दोनों चाहते थे। ब्रह्मेश्वर मुखिया के बेटा और अखिल भारतीय किसान महासभा के अध्यक्ष इन्दूभूषण सिंह ने बताया कि नक्सलियों से जेल में भी मुखिया जी से संबंध काफी अच्छे हो गये थे। दोनों ओर से सेटेलमेंट की बात भी हो रही थी। कोई खून खराबा नहीं चाहता था। ऐसे में काफी हद तक बात आगे बढ़ी थी। वैसे नक्सली नेताओं ने हमेशा अपना-अपना प्रयास जारी रखा। इन्दूभूषण सिंह ने इस बात से इंकार किया कि नक्सली नेताओं ने मुखिया जी के खिलाफ गवाही नहीं दी। लेकिन उन्होंने माना कि संबंध सबसे सुधरे थे। जेल प्रशासन भी मुखिया जी को उस समय बुलाते जब नक्सली हंगामा करते थे। मुखिया जी के समझाने पर सभी मान जाते थे। जेल में बंदियों के हक के लिए नक्सलियों और मुखिया जी ने मिलकर आंदोलन भी किया था। इससे अलग इंदूभूषण ने यह जरूर कहा कि जेल में बंद हरेराम पाण्डेय से ही सिर्फ मुखिया जी की अनबन हुई थी. 

माले ने भी गवाही नहीं दी
ब्रह्मेश्वर मुखिया के वकील विष्णुधर पाण्डेय का कहना है कि फिलहाल मुखिया जी पर सेशन कोर्ट में दो केस का ट्रायल चल रहा था। इसमें पुरहरा, सहार में तीन मुस्लिम समुदाय के लोगों की हत्या का मामला। केस नमबर 408/04. इसमें बाद में बयान में ब्रह्मेश्वर मुखिया का नाम आया था। दूसरा केस बथानी टोला का था जिसका केस नम्बर एसीएसटी 37/10 है, इसमें भी वे बेल पर थे। पाण्डेय ने बताया कि मुखिया जी पर 22 मामले थे, जिसमें ज्यादातर में उसकी रिहाई हो चुकी थी। मजिस्ट्रेट के यहां भी चार मामले में रिहा हो चुके थे। इन केस के बहुत सारे गवाह होस्टाइल हो गये। श्री पाण्डेय की माने तो बरमेश्वर मुखिया और सीपीआई माले की ओर से गवाही नहीं दी गयी। सभी लोग शांति चाहते थे। दोनों ओर से शांति के लिए पहल हुई है.

'माओवादियों को बेल मिल जाने के बाद भी पुलिस की ओर से कोई न कोई अड़चन लगाकर उन्हें जेल में ही रखा जा रहा है, जबकि ब्रह्मेश्वर मुखिया को रिहा कर दिया गया। मुझे नहीं लगता कि रणवीर सेना और माओवादियों में कोई पैक्ट है। नक्सली और माले अलग-अलग हैं, यह सबको समझना चाहिए। अब भी बिहार के 55 जेलों में 357 नक्सली कैद हैं.' 
रामाधार सिंह
संयोजक राजनीतिक बंदी रिहाई समिति बिहार.

Nano info
-रणवीर सेना सुप्रीमो ब्रह्मेश्वर की रिहाई जुलाई 2011
-माओवादी लीडर पूर्णेन्दू शेखर मुखर्जी को अप्रैल 2012 में बेल
-माओवादी विजय कुमार आर्य की मई 2012 में जमानत मंजूर, रिहाई का प्रयास
-जून 2012 को वाराणसी सुब्रह्मण्यम को बेल, रिहाई का प्रयास

Posted By: Inextlive