दिवाली पर लक्ष्‍मी पूजन काफी शुभ माना जाता है। लोग घरों पर ही नहीं बल्‍िक मंदिरों में भी लक्ष्‍मी पूजन करते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है जहां लक्ष्‍मी जी को 100 करोड़ रुपयों से सजाया जाता है। दूर-दूर से भक्‍त देवी दर्शन को आते हैं।


100 करोड़ रुपयों से सजती है लक्ष्मी जीदिवाली पर लक्ष्मी पूजा तो सभी करते हैं लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम में स्थित महालक्ष्मी मंदिर की दिवाली कुछ खास होती है। यहां धनतेरस से लेकर पांच दिनों तक यह पर्व मनाया जाता है। सबसे रोचक बात है कि, लोग यहां प्रसाद के रूप में मिठाई व फल नहीं बल्िक अपने-अपने घरों से नकदी व आभूषण लाते हैं। इस बार यह कलेक्शन 100 करोड़ से पार हो गया और लक्ष्मी जी का इसी से श्रृंगार होता है। सभी भक्त मंदिर के पुजारी को कैश व ज्वैलरी सौंप देते हैं जिसे मंदिर के गर्भ गृह में रख दिया जाता है। यह परंपरा काफी पुरानी है।ऐसा करने से बनी रहती है बरकत


मान्यता है कि महालक्ष्मी के दरबार में संपत्ति रखने से सालभर बरकत बनी रहती है। दीपोत्सव के दौरान हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। धनतेरस पर महिला श्रद्धालुओं को कुबेर की पोटली दी जाती है। पोटली में लक्ष्मीयंत्र, शगुन का एक सिक्का आदि होता है। पं. संजय पुजारी के मुताबिक इस वर्ष मंदिर में समुद्र मंथन के प्रसंग को जीवंत बनाने के लिए लघु स्वरूप में समुद्र तैयार किया जा रहा है।आजादी के बाद से चली आ रही परंपरा

महालक्ष्मी मंदिर में नकदी व आभूषण चढ़ाने की परंपरा आजादी के बाद से चली आ रही। उस वक्त यहां के महाराजा लोकेंद्र सिंह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। पहले यहां सिर्फ एक मूर्ति थी। राजा अपनी समृद्धि बनाए रखने के लिए विशेष पर्व पर मंदिर में धन आदि चढ़ाते थे। बीते 10 सालों से श्रद्धालुओं का संख्या लगातार बढ़ी है।टोकन प्रणाली से जमा होते हैं आभूषण व नकदीमुख्य पुजारी के मार्गदर्शन में प्रबंधन समिति श्रद्धालुओं के नकदी-आभूषण जमा करती है। इसके लिए तारीख व समय निर्धारित किया जाता है। रकम की पूरी जानकारी मंदिर के रजिस्टर में दर्ज की जाती है। श्रद्धालु के नाम के साथ टोकन नंबर भी लिखा जाता है। फिर उसी नंबर का टोकन श्रद्धालु को दिया जाता है। पर्व के बाद टोकन जमा कराने पर श्रद्धालु को रकम लौटा दी जाती है। रजिस्टर में दर्ज जानकारी गोपनीय रखी जाती है।सजावट में कारोबारी भी करते हैं सहयोग

मंदिर की सजावट में मुख्य पुजारी के साथ दो सहयोगी होते हैं। इसके अलावा 25 से 30 क्षेत्रीय व्यापारी भी सहयोग करते हैं। उन्हें किसी प्रकार की राशि नहीं दी जाती है। सजावट में करीब आठ दिन लगते हैं। मंदिर शासन के अधीन है। इसकी देखरेख व अन्य कार्य जिला प्रशासन द्वारा किए जाते हैं। पर्व के दौरान मंदिर की सुरक्षा के लिए 24 घंटे पुलिस तैनात रहती है। चार हथियारबंद पुलिसकर्मी सुरक्षा में लगे रहते हैं।National News inextlive from India News Desk

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari