आम आदमी पार्टी के भीतर इन दिनों अफरातफरी की हालत बनी हुई है. शाज़िया इल्मी और गोपीनाथ जैसे नेताओं ने पार्टी को छोड़ते वक़्त पार्टी में लोकतंत्र न होने का आरोप लगाया है. ऐसे में आम आदमी पार्टी कहाँ खड़ी है?


इसी विषय पर बीबीसी संवाददाता सुशांत एस मोहन ने आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष से बात की .आज आम आदमी पार्टी कहाँ खड़ी है. क्या पार्टी में बदलाव के दौर से गुजर रही है?पार्टी के सामने चुनौतियाँ बड़ी हैं, चुनौतियों के हिसाब से पार्टी अपने आप को रीइन्वेंट कर रही है. पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है यह है कि लोगों को पार्टी को बहुत ज़्यादा उम्मीदें थीं और अभी भी हैं.थोड़ी सी मायूसी अभी है लोगों के मन में, लेकिन उन उम्मीदों पर खरा उतरना हमारी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. जब हमने दिल्ली में मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ी तो लोग बड़ी संख्या में मायूस हुए.दूसरी चुनौती है कि हमारी पार्टी केवल डेढ़ साल पुरानी पार्टी है और हमें अभी अखिल भारतीय स्तर पर अपने संघटन को पूरी मजबूती के साथ बूथ स्तर तक खड़ा करना है.


जो भी नेता आपकी पार्टी छोड़ते हैं, वो चार लोगों, चौकड़ी की बात करते हैं. क्या आप उस चौकड़ी से मिले हैं? क्या आप भी उन चार लोगों में हैं ?

ऐसे आरोप हर पार्टी में लगते हैं, चाहे आप कांग्रेस को ले लें या भाजपा को. जो भी पार्टी छोड़ता है वो यह बात ज़रूर कहता है कि कुछ लोग नेता जी को घेरे हुए हैं. कुछ उन्हें चंडाल चौकड़ी, कुछ लोग चौकड़ी, कुछ लोग और भी शब्दों का इस्तेमाल करते हैं.https://img.inextlive.com/inext/inext/aashu_i1_020614.jpgअरविंद केजरीवाल, पूर्ण स्वराज की टोपी पहने हुएमैं थोड़ा इस बारे में स्पष्ट करना चाहता हूँ. पहली बात यह कि पार्टी दिसंबर से लगातार इलेक्शन मोड में रही. पार्टी को जिस तरह बैठकर आत्ममंथन करना चाहिए, जिस तरह अपनी ख़ूबियों-खामियों की पड़ताल करनी चाहिए, उसका वक़्त शायद नहीं मिल पाया.लेकिन पार्टी एक बात को निश्चित रूप से महसूस करती है कि उसे नई चुनौतियों के हिसाब से अपने आपको ट्रांसफॉर्म करने की ज़रूरत है और उसकी प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है. लेकिन जो ये कहते हैं कि पार्टी में कोई चांडाल चौकड़ी है तो मैं उससे बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखता.सोशल मीडिया पर कई कमेंट ऐसे आए हैं कि अरविंद केजरीवाल क्या करना चाहते हैं इसे समझना मुश्किल है?अरविंद केजरीवाल आज के ज़माने से दो क़दम आगे हैं. वह पार्टी को स्वराज के विचार की तरफ़ ले जाना चाहते है और यह हिन्दुस्तान के लिए यह बहुत क्रांतिकारी विचार है.

यानि अगर किसी मोहल्ले के अंदर को कोई प्रशासकीय फ़ैसला करना है, कोई काम करना है तो वहाँ के मोहल्ले के लोग उसका फ़ैसला करें. उनके विचार चूंकि अपने समय से थोड़ा आगे हैं इसलिए कभी-कभी लोगों को लगता है कि क्या अजीब बात कर रहे हैं, उनको समझना थोड़ा मुश्किल काम है.

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari