- महावीर मंदिर के बगल में पटना जंक्शन की और भिखारियों ने कर रखा है इंक्रोचमेंट

- इंक्रोचमेंट के कारण सिक्योरिटी को लेकर आती है परेशानी

- फेस्टिवल के दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाने से अधिक होती है प्रॉब्लम

PATNA : पीके की नजर पटना जंक्शन से निकलने वाले लोगों की ओर गई। पीके ने पाया कि यात्रियों को बाहर सड़क तक आने में काफी परेशानी हो रही है। महावीर मंदिर के पास भिखमंगों ने सड़क को अतिक्रमित कर लिया है। पीके ने पाया कि महावीर मंदिर और पटना जंक्शन का विवाद बहुत ही पुराना है। रेलवे की मानें तो महावीर मंदिर ने उसकी जमीन का अतिक्रमण कर लिया है। दानापुर मंडल के डीआरएम जब एलएम झा थे तब यह मामला तूल पकड़ा था। विवाद बहुत हुआ। आस्थावान लोगों ने रेलवे के खिलाफ खूब हो-हल्ला भी किया। अंत में रेलवे को पीछे हटना पड़ा। फिलहाल मामला कोर्ट में है और स्टे लगा हुआ है।

सिक्योरिटी के लिहाज से ठीक नहीं

महावीर मंदिर के ठीक सामने स्कूटर स्टैंड और पीछे के छोटे मंदिर के पास की जमीन के बारे में रेलवे का कहना है कि यह जमीन महावीर मंदिर ने इंक्रोच कर लिया है। इस वजह से सिक्योरिटी को लेकर भी परेशानी आती है। जीआरपी और आरपीएफ के अधिकारियों ने बताया कि मंदिर के पास हमेशा ही रश रहती है। वहां हमेशा फोर्स की भी तैनाती रहती है, लेकिन रश की वजह से खूब परेशानी होती है। जीआरपी और आरपीएफ की परेशानी शनिवार और मंगलवार को ज्याद बढ़ जाती है। इस दिन महावीर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होती है। वहीं किसी फेस्टिवल के दिन तो आरपीएफ और जीआरपी के पसीने छूट जाते हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह सिक्योरिटी के लिहाज से एकदम ठीक नहीं है। यह संभव ही नहीं है कि हमलोग शनिवार और मंगलवार की रश की मॉनीटरिंग बेहतर तरीके से कर सकें।

फोर व्हीलर की लग जाती है कतार

पटना जंक्शन के सर्कुलेटिंग एरिया का स्पेस बहुत ही कम है। ए वन की कैटेगोरी में स्टेशन तो है लेकिन उस लिहाज से यहां के सकुर्लेटिंग स्पेस में जगह नहीं है। ऊपर से यहां के पार्किंग स्पेस पर भी अवैध कब्जा है। इस वजह से यहां हमेशा ही रश दिखतर है। वहीं महावीर मंदिर के स्कूटर स्टैंड के सामने भीख मांगने वालों की कतार लगी रहती है। वे महावीर मंदिर के साइड में और बाहर में रखे इंजन की तरफ भी बैठे रहते हैं। इस वजह से जंक्शन से निकलने के क्रम में परेशानी होती है। शनिवार या फिर मंगलवार को तो दिन भर गाडि़यों की लंबी कतार लग जाती है। लोगों को तो किसी बात से परवाह नहीं है एडमिनिस्ट्रेशन का रवैया भी अपने तरीके का है। आरपीएफ के अफसरों ने कहा कि हमलोगों ने कई बार यहां से भिखारियों को हटाने का प्रयास किया लेकिन संभव नहीं हो पाया। आस्था का सवाल है इस वजह से हमारे भी हाथ बंधे हैं, लेकिन मंदिर प्रशासन को इस ओर भी सोचना चाहिए।

सर्कुलेटिंग एरिया के चारो तरफ अतिक्रमण

पीके ने देखा कि जंक्शन का सर्कुलेटिंग एरिया पूरी तरफ अतिक्रमण की चपेट में है। आरएमएस की तरफ और मस्जिद के पीछे भी दुकानदारों ने जंक्शन के पार्किंग स्पेस का अतिक्रमण कर लिया है। जो जगह स्टाफ के पार्किंग के लिए हुआ करती थी उसपर अवैध तरीके से दुकानें सजी दिखती हैं। दो साल पहले उस एरिया की सभी दुकानो को वहां से हटाया गया है लेकिन फिर से वही नजारा है। आरपीएफ कहती है कि हमारे पास पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल नहीं है इसलिए हम हर चीजों का मॉनिटर नहीं कर सकते हैं।

कोई विवाद नहीं है। मामला कोर्ट में है। न्यास बोर्ड और रेलवे की आपसी सहमति से स्टे लगा है। दोनों इस बात पर राजी हैं कि जब तक फैसला नहीं आता है तब तक यथास्थिति बनी रहेगी। हमने कई बार संबंधित विभाग से कहा कि न्यास बोर्ड सालाना बीस लाख रुपए देगी भिखारियों के रिहेब्लिटेशन के लिए, लेकिन इसकी व्यवस्था करना तो हमारा काम नहीं है। अतिरिक्त दो लोग की रोज ड्यूटी लगती है मंदिर के बाहर मॉनिटर करने के लिए ताकि सिक्योरिटी में रेल प्रशासन को सहयोग मिले।

- किशोर कुणाल, अध्यक्ष, बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड

Posted By: Inextlive