Jamshedpur: सैटरडे को काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन सीआईएससीई ने प्लस टू इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट आईएससी का रिजल्ट डिक्लेयर किया और आयुष 99.25 परसेंट माक्र्स के साथ साइंस के नेशनल टॉपर बने.


नही था खुशी का थिकाना कदमा स्थित पारडीह रोड का हाउस नंबर 8. सैटरडे को इस घर के कोने-कोने में खुशियां फैली थीं। टाटा स्टील के रिसर्च एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में चीफ रिसर्चर पीके बनर्जी के चेहरे की खुशी सामने रखे प्लेट में लड्डू की तरह खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी। पीके बनर्जी की पत्नी अनुराधा बार-बार फ्रीज से ठंडे पानी का बोतल निकाल ला रही थी और वहां काफी संख्या में खड़े लोगों को पानी के लिए पूछ रही थी। पीके और अनुराधा बनर्जी को खुशियों के इन अनमोल पलों से रू-ब-रू कराया उनके बड़े बेटे आयुष बनर्जी के अचीवमेंट ने। उम्मीद नहीं थी
आई नेक्स्ट से बात करते हुए आईएससी साइंस के नेशनल टॉपर आयुष बनर्जी ने कहा कि एग्जाम में अच्छा लिखने से उन्हें अच्छे रिजल्ट की उम्मीद तो थी, लेकिन नेशनल टॉपर हो जाएंगे ऐसा उन्होंने नहीं सोचा था। आयुष को जेईई मेन में 215 माक्र्स मिले थे और वे 25 मई को कंडक्ट होने वाले जेईई (एडवांस्ड) के प्रिपेरेशन में लगे हैं। प्रिंसिपल ने कॉल किया, पापा ने कोलकाता से पता किया


आयुष और उनके पेरेंट्स के लिए सबसे परेशानी वाली बात यह रही कि वे खुद रिजल्ट नहीं देख पाए। दोपहर तीन बजे रिजल्ट डिक्लेयर होते ही सर्वर डाउन हो गया और दूसरे टेक्निकल प्रॉŽलम की वजह से वे इंटरनेट पर सीआईएससीई की साइट पर रिजल्ट नहीं देख पाए थे। उसने बताया कि उन्हें लोयला स्कूल के प्रिंसिपल फादर सेबेस्टियन ने कॉल कर उनके नेशनल टॉपर होने की खबर दी। इसके बाद आयुष के पापा पीके बनर्जी ने अपने एक फ्रेंड को कोलकाता कॉल कर आयुष का रोल नंबर बताया तब जाकर वहां से आयुष के माक्र्स का पता चला।पापा को inspiration मानते हैं आयुष अपनी मेहनत से कंट्री में नाम रोशन करने वाले आयुष अपने पापा पीके बनर्जी को इंस्पीरेशन मानते हैं। यही वजह है कि आयुष भी पापा की तरह ही आईआईटी खडग़पुर से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं। आयुष का कहना था कि उन्हें पापा से कॉम्पटीटीव एग्जाम के प्रिपेरेशन के दौरान काफी टिप्स मिलते हैं। बगल खड़ी मां अनुराधा बनर्जी की तरफ इशारा करते हुए आयुष ने कहा कि उनसे मोरल सपोर्ट नहीं मिलता तो इतना बड़ा अचीवमेंट शायद उन्हें नहीं मिल पाता। आयुष की मां अनुराधा ने बीएचयू से साइकोलॉजी में पीजी किया है। अनुराधा यूपी की रहने वाली हैं, जबकि पीके बनर्जी हल्दिया के रहने वाले हैं।इंजीनियरिंग के बाद सिविल सर्विसेज में जाना चाहते हैं आयुष

आयुष की पहली इच्छा तो आईआईटी खडग़पुर से केमिकल इंजीनियरिंग करना है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होने की बाद आयुष सिविल सर्विसेज में जाना चाहते हैं। उसने कहा कि वे सीधे तौर पर पŽिलक के लिए कुछ करना चाहते हैं और इसलिए सिविल सर्विसेज अच्छा ऑप्शन है।

Report by: amit.choudhary@inext.co.in

Posted By: Inextlive