RANCHI: गरीब मरीजों का बेहतर व फ्री इलाज मुहैया कराने के लिए सरकार ने आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की। इसके तहत गोल्डन कार्डधारियों का मुफ्त इलाज किया जा रहा है। लेकिन रिम्स में इलाज कराने वाले मरीज ऐसे इलाज से तौबा कर रहे हैं। इलाज में लेट-लतीफी के कारण अब मरीज आयुष्मान योजना का लाभ लेने से भी इनकार रहे हैं। मरीजों का कहना है कि इससे बेहतर वे पैसे देकर ही रिम्स में इलाज करा लेंगे। चूंकि योजना के तहत इलाज कराने के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। यही वजह है कि आयुष्मान योजना का लाभ दिलाने में रिम्स सदर हॉस्पिटल से भी पीछे चला गया है।

टेंडर में समय, बढ़ा मरीजों का दर्द

हॉस्पिटल में इलाज के लिए हर दिन दो से ढाई सौ मरीज एडमिट होते हैं। उसमें से आर्थो, सर्जरी, न्यूरो और गायनी में गंभीर मरीजों का इलाज होता है। ऐसे में मरीजों के इलाज के लिए जरूरी इक्विपमेंट्स और दवाओं का इंडेंट यूनिट से किया जाता है। इसके बाद स्क्रूटनी और टेंडर की प्रक्रिया करने में 10-15 दिनों का समय लग जा रहा है। इससे मरीजों का दर्द और बढ़ता जा रहा है।

20 का टेंडर, 5 के सामान की सप्लाई

इंडोर में इलाज करा रहे मरीजों का यूनिट से इंडेंट किया गया। इसमें से 20 मरीजों के इक्विपमेंट्स सप्लाई के लिए एजेंसियों से टेंडर मांगा गया। ऐसे में दस दिन बाद केवल पांच मरीजों के लिए इक्विपमेंट्स की सप्लाई हुई है। इससे बाकी मरीजों का इलाज शुरू नहीं हो पाया।

राज्य के टॉप 20 हॉस्पिटलों में रिम्स नहीं

राज्यभर के सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटलों में आयुष्मान योजना की शुरुआत की गई है। वहीं कई हॉस्पिटल इससे जुड़ने की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। ऐसे में रिम्स आयुष्मान योजना लागू करने वाले राज्य के 20 टॉप हॉस्पिटलों की लिस्ट से भी बाहर हो गया है। इसका खुलासा सीएम के साथ आयुष्मान को लेकर हुई समीक्षा बैठक में हुआ। इसके बाद मरीजों के इलाज में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है।

केस-1

15 दिन बाद ही हो सकेगा ऑपरेशन

आर्थो डिपार्टमेंट में भर्ती मार्शल बोदरा का आपरेशन किया जाना है। इसके लिए हेमीआर्थरोप्लास्टी वीथ बाइपोलर आल साइज विद इंस्ट्रूमेंटेशन की सप्लाई के लिए टेंडर 10 नवंबर को निकाला गया था। इसकी सप्लाई होने के बाद मरीज का 15 दिन बाद आपरेशन हो सकेगा।

केस-2

सप्लाई नहीं, टाला जा रहा इलाज

बुधनी देवी का आर्थो डिपार्टमेंट में इलाज चल रहा है। उसके आपरेशन के लिए प्रोक्सिमल फेमोरल नेलिंग और डाइनेमिक हिप स्क्रू की जरूरत है। इसका टेंडर भी 10 नवंबर को ही निकाला गया था, जिसकी सप्लाई अभी तक नहीं हो पाई है। इससे मरीज का इलाज टल रहा है।

केस -3

पैसे देकर इलाज कराने का लिया निर्णय

पुरूलिया के रहने वाले पुरन बेदिया अपने बच्चे बिरसई बेदिया का इलाज कराने रिम्स आए हैं। उन्होंने 9 नवंबर को ही अपने बेटे को ऑथरें वार्ड में भर्ती कराया था। डॉक्टरों ने कहा कि उसके पैर में रॉड लगाना पड़ेगा। 10 दिन से भी ज्यादा समय बीत चुका है। इसके बावजूद अब तक ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। इसलिए उन्होंने पैसे देकर ही इलाज कराने का निर्णय लिया है।

वर्जन

हमारे यहां डॉक्टरों की ओर से सपोर्ट नहीं मिल रहा है। इंडेंट मिलने के बाद स्क्रूटनी की जाती है कि मरीज गोल्डन कार्ड धारी है। इसके बाद टेंडर प्रक्रिया पूरी होती है। इस चक्कर में ही इलाज में देर हो रही है। अगर यूनिट हेड एंट्री करके दे तो फिर मरीज के लिए तत्काल टेंडर किया जाएगा। तब मरीजों का तेजी से इलाज कर सकेंगे। वहीं हमें क्लेम करने में भी परेशानी नहीं होगी।

डॉ। संजय कुमार, डीएस सह नोडल आफिसर, रिम्स

Posted By: Inextlive