- रोहनिया में सवा करोड़ की शराब पकड़ने जाने के बाद आबकारी विभाग पर भी उठ रहे सवाल

- शहर से लेकर गांव की डगर तक फैला हुआ है अवैध शराब का कारोबार

शहर से लेकर गांव-गिरांव तक शराब माफियाओं का सिंडिकेट फैला है। सप्ताह में ऐसा कोई दिन नहीं जा रहा है जिस दिन कहीं न कहीं भारी मात्रा में शराब की खेप पकड़ी न जा रही हो। जबकि आबकारी विभाग की मानें तो जबरदस्त सख्ती है। मगर सवाल यह भी है कि जब सख्ती है तो कैसे हर रोज शराब की बरामदगी हो रही है। रोहनिया में आईटीआई कॉलेज और पेट्रोल पंप से बरामद सवा करोड़ की शराब के बाद पुलिस सहित आबकारी विभाग के कार्य प्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। रोहनिया में पकड़े गए शराब कारोबारियों ने भी दबी जुबान से स्वीकारा कि पुलिस के पास हिस्सा पहुंचता था। उधर, शहर भर में खुले हुक्का-बार में भी अवैध तरीके से शराब परोसी जा रही है। जहां पीने-पिलाने के बाद मारपीट की घटनाएं आम हो गई है। यह भी आबकारी के संज्ञान में है।

बगैर लाइसेंस चला रहे बार

शहर में करीब 80 बार लाइसेंसधारी हैं। मगर देखा जाए तो ढाई सौ से अधिक स्थानों पर बार खुले हुए हैं। होटल, गेस्ट हाउस की आड़ में हुक्का-बार चलाया जा रहा है और चोरी-छिपे मदिरापान भी कराया जा रहा है। जगजाहिर तब हो रहा है जब वहां मारपीट की घटनाएं सामने आ रही है। चाहे सामनेघाट एरिया के होटल में चल रहा हुक्का-बार हो या फिर सिगरा-महमूरगंज एरिया में आधा दर्जन से अधिक जगहों पर चल रहा हुक्का-बार। इसकी कम्प्लेन आसपास के लोगों ने आबकारी से भी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। शराब कारोबारियों को शह देने वालों में आबकारी विभाग के कुछ सेक्टर इंस्पेक्टर व सिपाहियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जाती रही है। जो पहले अवैध शराब बिकवाते हैं बाद में प्रेशर पड़ने पर छापा मारकर गुड वर्क भी दिखाते हैं। आबकारी में सीधे यह खेल चल रहा है। विभागीय सूत्रों की मानें तो यह काम रूरल बेल्ट में सबसे अधिक है।

जैसे सूचनाएं मिलती हैं तत्काल उस पर एक्शन लिया जाता है। कई खुलासे आबकारी विभाग ने किए हैं। हुक्का-बार में शराब परोसने की गोपनीय रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है।

करूणेंद्र सिंह, डीओ

आबकारी विभाग

Posted By: Inextlive