- एसएसपी ऑफिस के सामने 48 घंटे में आधा दर्जन एक्सीडेंट

- सुविधा कम मुसीबत ज्यादा बने पत्थर के डिवाइडर

- कभी हो सकता है बड़ा हादसा

- रात के समय होते हैं ज्यादातर एक्सीडेंट

- सप्रू मार्ग पर एक ही प्वाइंट पर डिवाइडर से टकराई 6 गाडि़यां

- शहर में कई जगहों पर पत्थर के डिवाइडर लगाए गए, नहीं लगे रिफलेक्टर

- रात में डिवाइडर नजर न आने पर हो रहे एक्सीडेंट

LUCKNOW: ब्लैक स्पॉट को खत्म करने की जगह राजधानी पुलिस खुद एक्सीडेंट प्वाइंट बना रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि पुलिस ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के नाम पर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही है। दरअसल, पुलिस ने ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए शहर के कई चौराहों पर पत्थर के डिवाइडर खड़े कर दिए हैं। यह डिवाइडर जहां मानक के विपरीत हैं वहीं इन पर रिफ्लेक्टर ना लगने होने की वजह से आए दिन एक्सीडेंट हो रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि एसएसपी आवास से चंद कदमों की दूरी पर रखे गये इन डिवाइडर से 48 घंटे में 6 गाडि़यां टकराई, जिससे न केवल लोग चोटिल हुए बल्कि उनकी गाडि़यों को भी काफी नुकसान हुआ है। इसके बाद भी पुलिस मौन है।

बिना रिफ्लेक्टर के डिवाइडर

ट्रैफिक विभाग ने हजरतगंज समेत शहर के कई चौराहों पर ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए बिना रिफ्लेक्टर के ऊंचे-ऊंचे पत्थर के डिवाइडर खड़े कर दिए हैं। दिन में तो यह डिवाइडर नजर आते हैं, लेकिन रात के समय यह डिवाइडर नजर नहीं आते हैं। ऐसे में रोजाना एक्सीडेंट हो रहे हैं। पहले इन चौराहों पर प्लास्टिक के डिवाइडर लगे थे, जिससे एक्सीडेंट तो होते थे, लेकिन उससे ना तो गाड़ी और ना ही चलाने वालों को नुकसान होता था।

एसएसपी आवास के पास बना दिया एक्सीडेंट प्वाइंट

ट्रैफिक पुलिस ने सप्रू मार्ग स्थित एसएसपी आवास से चंद कदमों की दूरी पर पत्थर के डिवाइडर खड़े कर रखे हैं। यहां पर पिछले 48 घंटे के भीतर 6 लग्जरी गाडि़यां डिवाइडर से टकराई। एक ही प्वाइंट पर गाडि़यों के टकराने से पत्थर के डिवाइडर भी अपनी जगह से थोड़ा हट गये हैं।

केस नंबर एक-

टक्कर से खुल गए सेफ्टी एयर बैग

विकासनगर निवासी रफत अपनी लग्जरी कार से शुक्रवार रात सहारागंज मॉल से हजरतगंज चौराहे की ओर जा रहा थे। इस दौरान सप्रू मार्ग पर लगे पत्थर के डिवाइडर से उनकी कार टकरा गई। टक्कर इतनी तेज थी कि गाड़ी के सेफ्टी एयर बैग तक खुल गये।

केस नंबर दो-

टकरा कर डिवाइडर पर चढ़ गई इनोवा

सप्रू मार्ग की ओर आ रही इनोवा पत्थर के डिवाइडर से टकरा कर डिवाइडर पर चढ़ गई। कार सवार को ज्यादा चोट तो नहीं आई, लेकिन कार डिवाइडर पर चढ़ने पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। स्थानीय लोगों की मदद से कार को नीचे उतारा गया। कार के टकराने से डिवाइडर अपनी जगह से थोड़ा हट गया।

केस नंबर तीन-

वैगनआर कार सीधे टकराई डिवाइडर से

दो दिन पहले तेज बारिश के दौरान एक वैगन-आर स्किड होकर डिवाइडर से टकरा गई। रात और बारिश के चलते लाइन से लगे पत्थर के डिवाइडर नजर नहीं आए। ऐसे में वैगनआर सीधे डिवाइडर से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गई।

केस नंबर चार

जानकीपुरम निवासी अभिषेक यादव दो दिन पहले रात में सहारागंज मॉल से मूवी देकर अपनी बाइक से लौट रहे थे। रात और बारिश के चलते उन्हें सप्रू मार्ग पर रोड के बीचों बीच रखा पत्थर का डिवाइडर नजर नहीं आया, जिससे वह बाइक समेत सीधे डिवाइडर से जा टकराये। जोरदार टक्कर से बाइक का नुकसान तो हुआ ही साथ ही अभिषेक का पैर भी फैक्चर हो गया। उसे इलाज के लिए सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया।

यह हैं डिवाइडर के नियम और मानक

- डिवाइडर से दूसरे साइड की विजिबिल्टी खत्म नहीं होनी चाहिए

- डिवाइडर 3 से 4 फीट की ऊंचाई से ज्यादा नहीं होने चाहिए

- डिवाइडर पर रिफ्लेक्टर लगा होना चाहिए जो रात के समय साफ नजर आए

- लाइन से लगे डिवाइडर के अगले और पिछले हिस्से पर रिफ्लेक्टर वाला सांकेतिक बोर्ड लगा होना चाहिए

- डिवाइडर लाइट वेट होना चाहिए ताकि एक्सीडेंट होने पर गाड़ी को ज्यादा नुकसान न हो सके

यहां पत्थर के डिवाइडर

- डालीगंज एसएसपी ऑफिस

- पॉलीटेक्निक वेब सिनेमा के सामने

- सेक्टर 8 सुषमा हॉस्पिटल के पास

- हजरतगंज चौराहे से मेफेयर रोड

- हजरतगंज स्थित सप्रू मार्ग पर

- हुसैनगंज के लालबाग चौराहे पर

कोट-

सप्रू मार्ग पर पहले प्लास्टिक के डिवाइडर लगाए गए थे। यह डिवाइडर डैमेज हो गए, जिसके बाद पत्थर के डिवाइडर लगाए। डिवाइडर पर रिफ्लेक्टर लगाने का भी निर्देश दिया गया था। अगर रिफ्लेक्टर नहीं लगे हैं तो तत्काल रिफ्लेक्टर लगवाए जाएंगे। जरूरत के अनुसार ऐसे डिवाइडर को हटाया भी जाएगा।

- रवि शंकर निम, एसपी ट्रैफिक

Posted By: Inextlive