प्राणिमात्र की जीवन शक्ति को जीवित रखने वाले प्रत्यक्ष भगवान् सूर्यनारायण ने मन्वन्तर के आदि में अचला सप्तमी के दिन अपने प्रकाश से जगत को प्रकाशित किया था। इस दिन सूर्य उपासना के कई कृत्य कई प्रयोजनों और कई प्रकारों से किए जाते हैं।

माघ मास की शुक्ल सप्तमी अचला सप्तमी और भानु सप्तमी के नाम से जानी जाती है। जो इस वर्ष मंगलवार 12 फरवरी को है। सप्तमी सोमवार 11 फरवरी को दिन में 10 बजकर 38 मिनट से लग रही है, जो 12 फरवरी को दिन 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। अरुणोदय व्यापिनी ग्राह्य होने से 12 फरवरी को मनायी जाएगी।

सूर्य की होती है पूजा

प्राणिमात्र की जीवन शक्ति को जीवित रखने वाले प्रत्यक्ष भगवान् सूर्यनारायण ने मन्वन्तर के आदि में इसी दिन अपने प्रकाश से जगत को प्रकाशित किया था। इस दिन सूर्य उपासना के कई कृत्य कई प्रयोजनों और कई प्रकारों से किए जाते हैं।

गंगा स्नान ​का महत्व


जो पुरुष अचला सप्तमी को गंगा स्नान करता है, उसे सम्पूर्ण माघस्नान का फल प्राप्त होता है। स्नान के विषय में यह स्मरण रहे कि जो माघ-स्नान करते हों, वे इसी दिन पूर्व दिशा की प्रात:कालीन लालिमा होने पर और अचला सप्तमी निमित्त स्नान करने वालों को सूर्योदय के बाद स्नान करना चाहिए।

स्नान विधि

स्नान करने के पहले आक के सात पत्तों और बेर के सात पत्तों को कुसुम्भा की बत्ती वाले तिल-तैलपूर्ण दीपक में रखकर उसको सिर पर रखें और सूर्य का ध्यान इस प्रकार करें-

नमस्ते रुद्ररूपाय रसानाम्पतये नम:।

वरुणाय नमस्तेस्तु हरिवास नमोस्तुते।।

यावज्जन्म कृतं पापं मया जन्मसु सप्तसु।

तन्मे रोगं च शोकं च माकरी हन्तु सप्तमी।।

जननी सर्वभूतानां सप्तमी सप्तसप्तिके।

सर्वव्याधिहरे देवि नमस्ते रविमण्डले।।

(उत्तरपर्व53/33~35)

पूजा विधि


ध्यान करके गन्ने से जल को हिलाकर दीपक को प्रवाह में बहा दें। फिर स्नान कर देवताओं और पितरों का तर्पण करें और चन्दन से कर्णिका सहित अष्टदल कमल बनाएं। उस कमल के मध्य में शिव-पार्वती की स्थापना कर प्रणव मंत्र से पूजा करें और पूर्वादि आठ दलों में क्रम से भानु, रवि, विवस्वान्, भास्कर, सविता, अर्क, सहस्त्रकिरण तथा सर्वात्मा का पूजन करें।

इस प्रकार पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य तथा वस्त्र आदि उपचारों से विधिपूर्वक भगवान् सूर्य की पूजा कर - स्वस्थानं गम्यताम्'- कहकर विसर्जित कर दें।

व्रत

व्रत के रूप में इस दिन नमक रहित एक समय एकान्न का भोजन अथवा फलाहार करने का विधान है। यह मान्यता है कि अचला सप्तमी का व्रत करने वालों को वर्ष भर रविवार व्रत करने का पुण्य प्राप्त हो जाता है।

— ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र

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Posted By: Kartikeya Tiwari