Meerut : टॉयलेट क्लीनर के नाम पर बेचा जा रहा तेजाब गल्र्स के लिए खतरनाक साबित हो रहा है. एक के बाद एक एसिड अटैक की कई घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन प्रशासन के ढीलेपन के चलते मौत का यह सामान अभी भी खुलेआम बिक रहा है. आईडी पर इसकी बिक्री करने और उनका विवरण रखने के निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं लेकिन न प्रशासन जागा और न पुलिस. दुकानदारों ने भी थोड़े से मुनाफे के लिए मामले की गंभीरता को ताक पर रख दिया.


खुलेआम बिक रहा है मौत का लिक्विड एसिड अटैक से लोगों की जिंदगी बर्बाद होने का सिलसिला नया नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी घोर लापरवाही बरती जा रही है। नियमों को ताक पर रख लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। आई नेक्स्ट टीम ने इसकी बिक्री की असलियत परखी तो पता लगा कि बेचने वालों को पाबंदी की जानकारी तो है, लेकिन पालन नहीं करना चाहते। उन्हें केवल उस मुनाफे से मतलब है, जो 30 रुपए की बोतल में उनके हिस्से आता है।आधा से पांच लीटर तक


एसिड की बिक्री को लेकर बने नियमों को परखने के लिए आई नेक्स्ट रिपोर्टर किराना की दुकानों पर गया। वहां एसिड ऐसे बिक रहा था, जैसे मिनरल वाटर। हमने माधवपुरम, दिल्ली रोड की किराने की पहली दुकान पर एसिड मांगा तो दुकानदार के नौकर ने अंदर से रैक से बोतल निकालकर थमा दी। न उपयोग की जानकारी ली, न नाम-पता पूछा। उसके पास आधा लीटर से पांच लीटर तक की बॉटल मौजूद थी। रिपोर्टर ने पूछा कि कौन सा ब्रांड है, तो दुकानदार ने बताया कि लोकल मेरठ का सबसे बढिय़ा ब्रांड है। काफी बढिय़ा क्वालिटी का है। 500 एमएल की ये बॉटल 30 रुपए की थी।मरवाओगे क्या

इसके बाद हम कैंट स्थित सदर दालमंडी में पहुंचे। वहां की थोक किराने की दुकान पर एसिड मांगा तो उसने तपाक से बोतल निकालकर दे दी। हमने कहा कि क्या आईडी नहीं पूछोगे तो दुकानदार ने कहा अरे भाई इसके लिए भी क्या आईडी दिखाना हो तो दिखा दो। उसके बाद रिपोर्टर गढ़ रोड पर पहुंचा। मेन रोड पर किराने की दुकान से तेजाब मांगा तो नौकर अंदर से बॉटल निकालकर ले आया। ग्राहक बने रिपोर्टर ने पूछा इसका बिल बनाकर दे दो। दुकानदार ने कहा अरे भाई बिल लेकर मरवाएगा क्या?एसिड की होम डिलीवरीएसिड को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार और सख्ती को कितनी गंभीरता से लिया गया, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। एसिड दुकानों पर ही नहीं साइकिल पर घर-घर जाकर भी बेचा जा रहा है। हालांकि एसिड बेचने के लिए एसिड एंड अदर केमिकल्स लाइसेंस होना चाहिए, जो कम ही लेते हैं।स्कूल-कॉलेज से बाजारों तक

नियमानुसार एसिड बेचने के लाइसेंस के साथ खरीदार का भी रिकॉर्ड मेंटेन होना चाहिए कि कहां और कितना एसिड बेचा जा रहा है और इसका उद्देश्य क्या है? मगर कम ही व्यापारी इसे मेंटेन कर रहे हैं। स्कूल-कॉलेज से लेकर घर में और बाजारों तक एसिड का उपयोग खुलेआम हो रहा है। रिसर्च लैब, हॉस्पिटल आदि में भी प्रयोग के नाम पर क ई लोग इसकी खरीदारी क र रहे हैं। न कोई रिकॉर्ड मेंटेन किया जा रहा है, न ही खरीदने वाले की पहचान हासिल की जा रही है।नहीं है किसी को जानकारी जब इस बारे में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से जानकारी मांगी गई तो सभी सफाई देने जुट गए। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इस रुलिंग के बारे में पता है, लेकिन अभी तक इस तरह की कोई जांच नहीं कराई गई। वहीं जिला प्रशासन में और भी बुरा हाल है। अधिकारियों की मानें तो हमारे पास ऐसा कोई मामला आया ही नहीं है। जब कोई शिकायत आएगी, तो कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने एसिड हमले की शिकार दिल्ली निवासी लक्ष्मी की जनहित याचिका पर सरकार को कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए थे। लक्ष्मी ने एक लड़के से शादी के लिए इनकार कर दिया था। इस पर लड़के ने उसे तेजाब से जला डाला। 2006 में लक्ष्मी ने जनहित याचिका दायर कर तेजाब की बिक्री पर पाबंदी लगाने की मांग की थी। 18 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि एक सप्ताह में तेजाब की बिक्री संबंधी मॉडल रुल्स राज्यों को भेजें। राज्य सरकारें उसी आधार पर तीन महीने में नियम कानून बनाए। नए नियम बनने तक कोर्ट के अंतरिम दिशा निर्देश लागू रहेंगे, जो कि ये थे।- दुकानदार तेजाब की खरीदी-बिक्री का रिकॉर्ड मेंटेन करें।- खरीदार का नाम, पता, उम्र, तेजाब की मात्रा, खरीद का कारण लिखें।- 18 वर्ष से कम उम्र होने पर तेजाब न दिया जाए। फोटो आईडी अनिवार्य होगा।- हर तीन महीने में पुलिस क ो तेजाब बिक्री का ब्यौरा दें।- नियमों क ा पालन नहीं करने वाले पर 50 हजार रु पए क ा जुर्माना।- शिक्षण संस्थान भी तेजाब के उपयोग क ा रिकॉर्ड रखें। - एसडीएम सुनिश्चित करें कि नियमों का पालन हो। रोजाना हजारों का हो रहा है कारोबार
तेजाब का व्यापार सिटी में काफी फलफूल रहा है। खासकर छोटे-छोटे दुकानदार भी इसे बेचने लगे हैं। अनुमान के अनुसार लोकल लेवल पर करीब दो हजार बॉटल्स की सेल हो रही है। एक बॉटल की कीमत 30 रुपए की आंकी जाए तो रोजाना इस हिसाब से 60 हजार रुपए डेली का कारोबार है। यानी महीने में 18 लाख रुपए का ये मौत का कारोबार है। इस हिसाब से सालाना 2.16 करोड़ रुपए का कारोबार है।'सिटी में हमारे पास न तो ऐसी कोई  कंप्लेन आई है। न ही हमने किसी तरह की कोई छापेमारी की है। हमारे पास अगर कोई कंप्लेन आएगी तो जांच की जाएगी.'- मुरलीधर मिश्र, सिटी मजिस्ट्रेट

Posted By: Inextlive