-कानपुर में बच्चों में दिमागी बुखार के मामले तेजी से बढ़े, एनआईसीयू में क्षमता से तीन गुना ज्यादा बच्चे भर्ती

- एक्यूट इंसेफलाइटिस के अलावा बच्चों पर डायरिया का सबसे ज्यादा प्रकोप, भर्ती करने के लिए बेड तक नहीं

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यन्हृक्कक्त्र: एक तरफ जहां मौसम बदल रहा है वहीं दूसरी तरफ बीमारियां भी तेजी से बढ़ी हैं। खासतौर पर बच्चों में एक्यूट इंसेफलाइटिस के मामले बढ़े हैं। दिमागी बुखार के साथ बच्चों को समय पर सही इलाज नहीं मिलने की वजह ये उनकी हालत भी काफी बिगड़ रही है। मेडिकल कॉलेज के बालरोग अस्पताल में कानपुर के अलावा आसपास के 12 जिलों से बच्चे लगातार भर्ती हो रहे हैं। हालत यह है कि अस्पताल के एनआईसीयू में क्षमता से तीन गुना ज्यादा बच्चे भर्ती हैं।

क्रिटिकल हालत में पहुंच रहे बच्चे

बालरोग विभाग के हेड प्रो.यशवंत राय के मुताबिक अस्पताल में 120 बेड की क्षमता है जबकि 160 से ज्यादा बच्चों का इलाज किया जा रहा है। इनमें सबसे ज्यादा बच्चे एईएस के हैं। इसके बाद डायरिया से पीडि़त बच्चे भी काफी भर्ती हो रहे हैं। अस्पताल में बेड ऑक्यूपेंसी सौ फीसदी से भी ज्यादा है। यह बच्चे कानपुर के अलावा आसपास के जिलों से भी आ रहे हैं। खास बात यह है कि शुरुआत में इन बच्चों का इलाज आसपास के नीम हकीम से कराया गया,इस दौरान बच्चे की हालत बिगड़ गई। जिसके बाद उन्हें यहां भर्ती कराया गया।

बालरोग में दो महीने में ऐसे बढ़ी संख्या

अगस्त-

ओपीडी- 6192 बच्चे

इनडोर- 831

बेड ऑक्युपेंसी रेट-138 फीसदी

सितंबर-

ओपीडी-8052

इनडोर-993

बेड ऑक्युपेंसी रेट- 165 फीसदी

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कैसे बनते हैं एईएस का शिकार-

- बच्चों में यह बीमारी नमी या बदलते मौसम में ज्यादा होती है

- एई का सिंड्रोम सांस या मुंह के रास्ते शरीर में आता है

- जहां गंदगी होती है या खाना बनाने में साफ सफाई पानी साफ नहीं होता वहां इसका इंफेक्शन तेजी से फैलता है

एईएस के लक्षण-

-अचानक तेज बुखार आना,सिर में तेज दर्द होना

- शरीर के अंकों में जकड़न और एठन

-बच्चे का का सुस्त होना या बेहोश हो जाना

- शरीर का सुन्न पड़ना

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पता चलने पर जो खुाद कर सकते हैं-

- तेज बुखार होने पर शरीर को साफ व ताजे पानी से पोछें

-बच्चा बेहोश न हो तो उसे साफ पानी में ओआरएस का घोल मिला कर पिलाएं

- बच्चे को फैमिली फिजीशियन या बालरोग विशेषज्ञ को दिखाएं

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वर्जन-

दिमागी बुखार से पीडि़त काफी बच्चे भर्ती हुए हैं। एनआईसीयू में अपग्रेडेशन और बेहतर इलाज की वजह से काफी बच्चों को बचाया जा रहा है। हालाकि अस्पताल अपनी क्षमता से काफी ज्यादा पर काम कर रहा है।

- प्रो। यशवंत राव, एचओडी,बालरोग विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

इस सीजन में एईएस के मामले बढ़े हैं। सबसे जरूरी है कि पैरेंट्स बच्चों का इधर उधर इलाज न करा बुखार होने पर डॉक्टर को ही दिखाएं। साफ सफाई का हर बात में ध्यान रखे।

- डॉ.अमित चावला, वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ

Posted By: Inextlive