Kanpur: सैटरडे को देश के टॉप सिवीलियन ऑनर भारत रत्न प्राप्त करने वाले प्रोफेसर रॉव ने आईआईटी कानपुर में भी एक लम्बा वक्त गुजारा है. इंडिया में टेक्निकल इनोवेशंस की रफ्तार उतनी तेज नहीं है जितनी होनी चाहिए इस बात पर उन्होंने संडे को दिए अपने एक बयान में गहरी चिंता जताई. और माना कि इसके पीछे कहीं न कहीं रिसर्च वर्क में आजकल के स्टूडेंट्स का इंटरेस्ट न लेना भी है. आई नेक्स्ट ने मंडे को इसकी असलियत को परखने के लिए सिटी के टॉप टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स आईआईटी और एचबीटीआई में रियलिटी चेक किया. हकीकत वाकई चौंकाने वाली थी. इन टेक्निकल इंस्टीट्यूशंस के टेक्नोक्रेट्स और प्रोफेसर्स से बातचीत करके ये बात तो साबित हो गई कि वाकई आज के टेक्नोक्रेट्स में से अधिकांश रिसर्च नहीं करना चाहते. आखिर ऐसा वो क्यों नहीं करना चाहते? आइए आपको बताते हैं...


डिग्री मिलते हीबीटेक की डिग्र्री मिलते ही टेक्नोक्रेट्स अपनी दुनिया में उडऩे में लगते हैैं। टेक्नोक्रेट्स का फोकस रिसर्च पर नहीं रहता है। ज्यादातर टेक्नोक्रेट्स बीटेक के बाद एमबीए को प्रॉयरिटी देते हैं। आईआईटियन एमबीए के लिए आईआईएम या यूएस की फ्लाइट पकड़ लेते हैैं। रिसर्च भी करते हैैं तो वो देश के बाहर की ही किसी अच्छी यूनीवर्सिटी को प्रॉयरिटी देते हैैं। रिसर्च पर हरकोर्टियंस भी रुचि नहीं लेते हैैं। एचबीटीआई के बीटेक पासआउट एमटेक के लिए आईआईटी या फिर दूसरे इंस्टीट्यूट की राह पकड़ लेते हैैं। क्या सारी जिंदगी पढ़ते ही रहेंगे?


ज्यादातर बीटेक स्टूडेंट्स डिग्र्री लेने के बाद नेशनल या फिर मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों रुपए के पैकेज की जॉब को ही तवज्जो देते हैैं। आईआईटी से एमटेक करने वाले आईआईटियंस की संख्या ज्यादा नहीं होती है। सिर्फ 10 परसेंट मेरीटोरियस ही एमटेक आईआईटी से करते हैैं। आईआईटी स्टूडेंट्स की सीपीआई 8.5 आयी तो उन्हें एमटेक में सीधे एडमिशन मिल जाता है। वर्ना गेट एग्जाम क्लियर करना होता है।बस पैसा कमाना है

आईआईटियंस फ्यूचर प्लान पहले ही बना लेते हैैं इसके बाद ही वो नेक्स्ट स्टेप उठाते हैैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि अच्छी लाइफ स्टाइल के लिए पैसा चाहिए। घर से जब निकले थे तो यही विजन था कि टेक्नोक्रेट्स बनकर पैसा कमाना है। जहां तक रही बात रिसर्च की तो इंडिया में अभी वो फैसेलिटी नहीं हैै जैसी कि यूएस की यूनीवर्सिटी में मिलती है। फैकल्टी बनने के लिए एमटेकस्टूडेंट्स का मानना है कि एमटेक करने वालों का विजन क्लियर होता है। वो किसी न किसी इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर बन कर लाइफ गुजारना चाहते हैैं। आईआईटी में एमटेक में ज्यादातर आउटसाइडर्स ही एडमिशन लेते हैैं। आईआईटी को एक साल के लिए करीब 200 करोड़ रुपए का बजट मिलता है। बजट का करीब 30 परसेंट रिसर्च पर खर्च किया जाता है। इसके अलावा स्पॉन्सर प्रोजेक्ट होते हैं उसमें भी करीब 50 करोड़ रुपए रिसर्च पर खर्च हो रहा है। आईआईटी में एक साल में एक अरब से ज्यादा रिसर्च पर खर्च किया जाता है। एचबीटीआई के भी बीटेक स्टूडेंट्स जॉब पर फोकस करते हैैं। वो रिसर्च को प्रॉयरिटी नही देते हैैं। इंस्टीट्यूट के डिप्टी रजिस्ट्रार एसके शर्मा ने बताया कि एमटेक करने के लिए ज्यादातर हरकोर्टियंस आईआईटी या फिर बीएचयू को प्रिफर करते हैैं। "आईआईटी में रिसर्च के लिए हैैंडसम पैकेज खर्च किया जा रहा है। सालाना करीब एक अरब रुपए रिसर्च पर खर्च किया जा रहा है। एल्युमिनाई भी कुछ फंड रिसर्च के लिए देते रहते हैैं। "

प्रो। कृपा शंकर, प्रोफेसर आईआईटी "बीटेक की डिग्र्री लेने के बाद स्टूडेंट्स की पहली प्राथमिकता जॉब होती है। टेक्नोक्रेट्स रिसर्च पर उतना फोकस नहीं करते हैैं। एचबीटीआई का स्टूडेंट अपने संस्थान में एमटेक करना पसंद नहीं करता है। " प्रो। जेएसपी राय, एचबीटीआई डायरेक्टर"अभी तो फाइनल इयर की पढ़ाई चल रही है। आने वाले टाइम क्या होगा कह नहीं सकते। लेकिन रिसर्च करने का इरादा नहीं है."विपुल, आईआईटी स्टूडेंट"कैंपस प्लेसमेंट में जॉब मिल चुकी है। पहली प्राथमिकता जॉब है। दो तीन साल बाद एमबीए करने के लिए आईआईएम या फिर यूएस जाऊंगी."अंकिता, आईआईटी स्टूडेंट"घर से जब बैग लेकर इंस्टीट्यूट आया था तो इस डिग्र्री से पैसा कमाने का सपना देखा था। अब वो सपना जल्द ही पूरा होने के करीब है। "निश्चल, आईआईटी स्टूडेंट"बीटेक की डिग्री लेकर पहले पांच साल जॉब करेंगे फिर रिसर्च या फिर मैनेजमेंट की पढ़ाई करूंगा। लगातार पढ़ाई नहीं कर सकता."अभिनव, आईआईटी स्टूडेंट"एमटेक की डिग्र्री लेने के बाद रिसर्च करने का पूरा इरादा है लेकिन कहां करूंगा यह अभी तय नहीं किया है। "राहुल, एमटेक स्टूडेंट, आईआईटी"एमटेक की डिग्र्री लेने के बाद पहले कुछ साल किसी अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में जॉब करूंगी। इसके बाद पीएचडी करूंगी." 
प्रिया, एमटेक स्टूडेंट, आईआईटी"क्या पूरी लाइफ पढ़ता ही रहूंगा। बीटेक की डिग्री लेकर नौकरी करूंगा। "शोभित, एचबीटीआई स्टूडेंट"बीटेक फाइनल इयर का पहला सेमेस्टर कम्प्लीट होने में कुछ टाइम बचा है। कैंपस प्लेसमेंट हो गया है, अब जॉब करना है."हर्षित, एचबीटीआई स्टूडेंट"जॉब मिल गयी है लेकिन अभी कैंपस में रहकर एक साल पढ़ाई पूरी करनी है। डिग्र्री मिलते ही नौकरी करने चला जाऊंगा." अनुभव, एचबीटीआई स्टूडेंट"एमटेक करने की सबसे बड़ी वजह है किसी अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में फैकल्टी बनना। इसके बाद अच्छी यूनीवर्सिटी से पीएचडी करूंगी."नियति, एचबीटीआई स्टूडेंट

Posted By: Inextlive