कर्नल पुरोहित की रिहाई के बाद मालेगांव विस्‍फोट एक बार फिर चर्चा में आ गया। वैसे मालेगांव महाराष्‍ट्र का एक छोटा शहर है। एक वक्‍त ऐसा था जब यह एक 'सुपरमैन' की वजह से खूब सुर्खियों में था। जी हां साल 2012 में एक डॉक्‍यूमेंट्री फिल्‍म आई थी नाम था 'सुपरमैन ऑफ मालेगांव'

स्पाइडरमैन से टक्कर लेने आया था मालेगांव का सुपरमैन
आपने 'द अमेज़िन्ग स्पाइडरमैन', 'कैप्टन अमेरिका' या 'सुपरमैन वर्सेज बैटमैन' वाली फिल्में खूब देखी होंगी। कभी मालेगांव के सुपरमैन के बारे में सुना है। ज्यादातार लोगों को जवाब न में होगा, क्योंकि यह सुपरमैन आज से पांच साल पहले चर्चा में आया था। उस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल का चलन होता, तो यह लोकल सुपरमैन हर एक व्यक्ित की जुबान पर चढ़ जाता है। खैर मालेगांव का जिक्र आया है तो यहां के सुपरमैन की जानकारी भी कर लें।

हैंडीकैम से शूट हुई थी फिल्म
इस डॉक्यूमेंट्री का निर्देशन फैज़ा अहमद ने किया था। जिसमें मालेगांव की, छोटी-सी, गरीब, तकनीक और सुविधाओं से कोसों दूर फिल्म इंडस्ट्री दिखाई गई है, लेकिन ये मुसीबतें फिल्म 'मालेगांव का सुपरमैन' के डायरेक्टर शेख नासिर, राइटर फरोघ जाफरी और बाकी टीम का हौसला नहीं तोड़ पातीं, और ये लोग हैन्डीकैम पर अपनी फिल्म शूट करते हैं।

सुपरमैन को उड़ता देख आप भी हंसेंगे
इस डॉक्यूमेंट्री में आप देखेंगे कि एक पॉवरलूम इंडस्ट्री में काम करने वाला मजदूर शफीक सुपरमैन बनने के सपने देखता है। और छुट्टी लेकर सुपरमैन का रोल करता है। हालांकि शफीक की कैंसर के चलते मौत हो गई है लेकिन फिल्म में शफीक की अदाकारी देख आपको हंसी जरूर आएगी। इस डाक्यूमेंट्री में आपको देखने को मिलेगा कि, मालेगांव वाले अपने सुपरमैन को उड़ाने के लिए रिक्शा, मोटरसाइकिल, ट्रॉली और खंभों की मदद लेते हैं। यह सीन आपको हंसने पर मजबूर कर देते हैं। दिलचस्प बात यह है कि जहां ओरिजनल फिल्म 'मालेगांव का सुपरमैन' सिर्फ एक लाख रुपये में बन गई थी। वहीं उसकी मेकिंग पर बनी यह डॉक्यूमेंट्री 'सुपरमैन ऑफ मालेगांव' 24 लाख रुपये में बनी थी।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari