लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद गठबंधन से बसपा के ब्रेकअप ने रालोद को भी अलग रास्ता चुनने को मजबूर कर दिया है।


lucknow@inext.co.inLUCKNOW : लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद गठबंधन से बसपा के ब्रेकअप ने रालोद को भी अलग रास्ता चुनने को मजबूर कर दिया है। बदले सियासी घटनाक्रम में अब रालोद ने सपा के साथ जाने का फैसला लिया है। दोनों दल आगामी विधानसभा उपचुनाव में साथ मिलकर लड़ सकते हैं। रालोद प्रदेश अध्यक्ष डॉ। मसूद अहमद ने तो नये गठबंधन का फॉर्मूला भी तय कर लिया है और इस बार सपा के अलावा कांग्रेस को भी साथ लाकर उपचुनाव लडऩे की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में हमारा गठबंधन सपा के साथ था और उसने ही अपने कोटे से तीन सीटें हमें दी थी।जरूरी नहीं कि हर प्रयोग सफल हो
वहीं गठबंधन टूटने को लेकर अखिलेश यादव ने भी बुधवार को चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मैं एक इंजीनियरिंग का स्टूडेंट रहा हूं और चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन एक तरह का प्रयोग था, जरूरी नहीं कि हर प्रयोग सफल हो जाए। वे ऐशबाग ईदगाह में मीडिया के सवालों के जवाब दे रहे थे। अखिलेश ने कहा कि मैंने गठबंधन की पहली प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि मैं मायावती का बहुत सम्मान करता हूं। उनका सम्मान मेरा सम्मान है। मैं अपनी बात पर आज भी कायम हूं लेकिन, अब रास्ते खुल गये हैं इसलिए हम अकेले चुनाव लडऩे जा रहे है। सपा में घमासान तेजबसपा से गठबंधन टूटने के बाद सपा में भी घमासान तेज होता जा रहा है। सपा के एक वाट्सएप ग्रुप में गठबंधन टूटने के बाद आपस में ही कहासुनी की नौबत आ गयी तो सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने भी गुरुवार को सैफई में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाकर मंथन किया। सपा सूत्रों की मानें तो गठबंधन टूटने की वजह से सपा में शिवपाल की वापसी की संभावनाएं बढ़ गयी है। वहीं चुनाव में हार की गाज भी कई वरिष्ठ नेताओं पर गिर सकती है। फिलहाल सपा में सबकी निगाहें अब मुलायम सिंह यादव के अगले कदम पर टिकी है। भाजपा को होगा फायदासूबे की 11 सीटों पर होने पर जल्द होने वाले उपचुनाव सपा और बसपा द्वारा अकेले लडऩे का सीधा फायदा अब भाजपा को होने की उम्मीद है। लोकसभा चुनाव से पहले यूपी की तीन संसदीय सीटों पर हुए उपचुनाव में सपा-बसपा ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए जीत दर्ज करायी थी जिसके बाद भाजपा को अपनी रणनीति बदलने की नौबत आ गयी थी।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari